दलवीर भंडारी
1 अक्टूबर 1947 को जन्में जस्टिस दलवीर भंडारी एक ऐसा नाम है जो देश ही नहीं विदेश तक चर्चा में बना है। 2005 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने वाले दलवीर भंडारी वर्तमान में अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश के पद आसीन है। नवंबर 2017 में दलवीर दूसरी बार 5 साल के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस बने हैं। इसके पहले वह 27 अप्रैल 2012 को इस पद आसीन हुए थे। दो बार इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस बनने वाले यह दूसरे भारतीय हैं।
नगेंद्र सिंह
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के रूप में दलवीर भंडारी से पहले डॉक्टर नगेंद्र सिंह का नाम है। 18 मार्च 1914 को जन्में नगेंद्र सिंह भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त रह चुके हैं। 1973 में आईसीजे से जुड़ने वाले नगेंद्र सिंह 1985 में यह अन्तरराष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष के पद पर आसीन हुए। यह दो बार चुने गए।
रघुनंदन स्वरूप पाठक
रघुनंदन स्वरूप पाठक भारत के 18वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जाने गए। 25 नवम्बर को जन्में आर एस पाठक यानी कि रघुनंदन स्वरूप पाठक भी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में चुने गए थे। इन्होंने स्थायी न्यायाधीश के रूप में 1989 से 1991 तक कार्यभार संभाला था।
बेनेगल नरसिंह राव
इस लिस्ट में सबसे पहला नाम बी एन राव यानी कि बेनेगल नरसिंह राव भी शामिल हैं। 26 फरवरी 1887 को जन्में बेनेगल नरसिंह भारतीय प्रशासनिक अधिकारी, कानून विशेषज्ञ होने के साथ ही राजनीति में भी निपुण थे। 1950 से 1952 तक इन्होंने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
जानें क्या है आईसीजे
आईसीजे यानी कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यह एक मजबूत इकाई है। इसमें करीब 193 देश मेंबर्स के रूप में जुड़े हैं। आईसीजे में 15 जज होते हैं आईसीजे में हर तीसरे साल 5 नए जजों का चुनाव होता है। इन जजों का कार्यकाल 9 साल का होता है। इसकी मुख्य रूप से आधिकारिक भाषा अंग्रेजी और फ्रेंच है। इसकी स्थापना 3 अप्रैल, 1946 नीदरलैंड के हेग में हुई थी। यहां सभी मेंबर्स देश कानूनी रूप से न्याय पाने के हकदार हैं।
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