- लोक गीत को अब आप कहां देखती हैं?

- हर चीज का एक वक्त होता है। अब दोबारा से लोकगीत पहचान बना रहा है। पॉपुलर हो रहा है। अब कॉमरशियल एल्बम आ रहे हैं साथ ही युवा इसके साथ जुड़ रहे हैं। इससे अच्छा और क्या हो सकता है।

- लोकगीत को कैसे आगे बढ़ा रही हैं?

- मैंने एक सोन चिरय्या नाम से एक संस्था खोली है। इसके तहत मैं शहर-शहर जाकर बच्चों, महिलाओं में लोकगीत का टैलेंट देख रही हूं। एमपीजीएस में भी मृणालिनी अनंत से संपर्क के बाद ये मुमकिन हो पाया। यहां बच्चों में बहुत टैलेंट है।

- लोकगीत आप खुद ही बनाती हैं और फिर गाती हैं?

- जी नहीं, मैं जगह जगह के लोकगीत को ढूंढती हूं और फिर उस एक हिस्से की आवाज को अपनी आवाज में ढालकर उसका विस्तार करती हूं।

- आपको बिहार सरकार ने भोजपुरी एकेडमी का ब्रांड एम्बेसडर बनाया था, पर फिर क्यों आपने ये पद से नाम वापस ले लिया?

- मैं तुच्छ राजनीति नहीं करती हूं। मेरे ब्रांड एम्बेसडर बनने पर सिर्फ एक इंसान ने आवाज उठाई। वो सिर्फ अपने फायदे के लिए। क्योंकि वो इस तरह का बयान देखकर सुर्खियां पाना चाहते थे अपने राजनीतिक फायदे के लिए और अब वो हैं भी राजनीति में। मैंने ये पद किसी के दबाव में आकर नहीं छोड़ा, बल्कि मेरा मानना है कि मैं इन सब मामलों में नहीं पड़ती, इनका हिस्सा भी नहीं बनना चाहती। मैं किसी इंसान के लिए कुछ को छोटा साबित नहीं कर सकती हूं। ऐसे में मैंने इस पद से इस्तीफा दे दिया था।

- आपको पश्चिमी यूपी से कितना लगाव है?

- बहुत लगाव है, खासकर मेरठ से। मैं मेरठ में आना हमेशा पसंद करती हूं। मैंने 1999 में यहां काफी समय बिताया है। मेरे पति अवनीश अवस्थी उस वक्त यहां पर डीएम थे। बाद में मैंने हमेेशा मेरठ को मिस किया। पश्चिमी यूपी में गाए जाने वाली रागिनी मुझे बहुत पसंद है। भले ही हरियाणा वाले इसे अपना लोकगीत कहते हों, लेकिन सही मायने में ये ऐसा हो जाएगा कि जैसे उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों में भोजपुरी है।

- अपनी सफलता को किस तरह डिफाइन करेंगी?

- बहुत हद तक इसमें मेरे पति का भी सपोर्ट है वो कई जगह पर पोस्टेड रहते और मैं उनके साथ रहती। ऐसे में मुझे नए लोगों और वहां की संस्कृति से जुडऩे का मौका मिला। तभी आज मैं एक सफल सिंगर बन सकी।