KOSIKALAN (26 Nov.): राष्ट्रीय संत जैन मुनि तरुण सागर महाराज ने कहा कि जिन लोगों को देश में असहिष्णुता का माहौल दिखता है, उन्हें पाकिस्तान का रुख करके देखना चाहिए। तभी अनुभव होगा कि हमारा भारत कितना सहिष्णु है और असहिष्णुता किसे कहते हैं। उन्होंने देश में परिवर्तन के लिए उपदेश व ताकत के समन्वय पर जोर दिया।

सभी को है बोलने की आजादी

जैन मुनि गुरुवार को शहर की जैन धर्मशाला में विश्राम के दौरान पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को बोलने की आजादी है। असहिष्णुता के मुद्दे पर भी आने वाले बयानों को अपने आपको चमकाने के प्रयास में देखा जाना चाहिए। कहा कि मछली को पानी की कीमत पानी में रहकर नहीं, उसके बाहर जाकर पता चलती है। इसी तरीके से देश के बाहर जाकर देश की सहिष्णुता के बारे में पता चलेगा। परिवर्तन के मुद्दे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि पूर्व में देश का राजा संतों के पास जाकर विचार-विमर्श करते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं होता। कहा कि सरकार के पास ताकत होती है और संतों के पास उपदेश। दोनों ही एक दूसरे के बिना कुछ नहीं कर सकते हैं। यदि इनका समन्वय होता है तो निश्चित ही सुखद परिणाम होंगे। उन्होंने कहा कि गाय धर्मनीति व राजनीति के बीच में आकर पिस रही है। जिसे इन दोनों नीतियों के जंजाल से निकालकर अर्थ नीति से जोडऩा चाहिए। सरकारों ने भी इसे अभी तक राष्ट्रीय पशु नहीं बनाया। जो कि दुख की बात है। उन्होंने विपक्ष के पद को गरीब, किसानों और मजदूरों का पक्षधर करार देते हुए कहा कि सत्ता में आने के बाद दल सभी का दर्द भूल जाते हैं।