जर्मनी के केओस कंप्यूटर क्लब का दावा है कि, ऐपल के टच आईडी वाले बायोमेट्रिक सिक्योरिटी सिस्टम में उन्होंने सफलतापूर्वक सेंध लगा ली है.

हैकरों ने दावा किया है कि फोन की सतह पर छूटे उंगली के निशान की तस्वीर के आधार पर तैयार की गई नकली उंगली फोन को अनलॉक करने में सफल हो गई.

लेकिन ऐपल टच आईडी के सुरक्षित होने के अपने दावे पर कायम है.

नया नहीं

आइफ़ोन निर्माता कंपनी की वेबसाइट पर कहा गया है कि दो अलग-अलग उंगलियों के फिंगरप्रिंट के एक जैसे होने की संभावना 50,000 में से एक होती है और यह तकनीक उच्चतम स्तर की सुरक्षा मुहैया कराती है.

जर्मन हैकिंग थिंक टैंक एसआर लैब्स के प्रमुख वैज्ञानिक कार्स्टन नोल ने बीबीसी को बताया, ''अगर ऐपल ऐसी कोई सुविधा देता, जिसे दुनिया का बायोमेट्रिक उद्योग दशकों से हासिल करने की कोशिश कर रहा था, तो यह अतुल्य होता.''

उन्होंने कहा, ''इसलिए मुझे कतई आश्चर्य नहीं है कि एक दिन बाद ही यह सिस्टम हैक हो गया. इसके उच्च स्तर के सुरक्षित होने का दावा हास्यास्पद है.''

दावा

हालांकि ऐपल यह दावा नहीं करता कि टच आइडी पारंपरिक पॉसवर्ड सिक्योरिटी का पूर्ण विकल्प है, बल्कि फ़ोन को अनलॉक करने का यह ज्यादा सुविधाजनक तरीका है.

लेकिन हैकरों के द्वारा व्यक्तिगत फिंगरप्रिंट से नकली उंगलियों के बना लेने की संभावना पर ऐपल निर्माता कंपनी कुछ नहीं कहती, जैसा केओस कंप्यूटर लैब का दावा है.

नोल ने कहा कि पांच अंकों का पॉसवर्ड कोड, फिंगरप्रिंट से कहीं ज्यादा सुरक्षित है.

उनका मानना है कि ऐपल को टच आइडी विशेषता की मार्केटिंग करने के बजाय, फोन की सुविधाओं पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.

एक रसूखदार अमरीकी सीनेटर ने फोन को लेकर उठ रहे सुरक्षा संबंधित सवालों का ऐपल से जवाब देने को कहा है.

बीबीसी द्वारा सम्पर्क किए जाने पर ऐपल ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

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