42 लोगों को बताया गया था आरोपी
जानकारी है कि 23 मई को हुई सुनवाई में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीना बंसल कृष्णा ने आरोपों को तय करने को लेकर 29 जून की तारीख आरक्षित की थी। ऐसे में आरोपियों के पक्ष में उतरने वाले वकीलों को छह जून तक लिखित में अपना पक्ष रखने की बात कही गई थी। इसके अलावा अपने आरोप पत्र में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की ओर से कुल 42 लोगों को आरोपी बताया गया था। इनमें से छह लोगों को भगोड़ा बताया गया है।

पुलिसिया जांच पर भी लगे सवालिया निशान
हालांकि कोर्ट की ओर से इस मामले में पुलिस की जांच पर भी सवालिया निशान लगाया गया था। इसके अंतर्गत अदालत ने सवाल उठाते हुए कहा था कि प्रथम दृष्टया इस बात का कोई साक्ष्य यह नहीं दर्शा रहा है कि आरोपियों ने मैच को फिक्स किया है, या उसमें सहयोग भी दिया है। ऐसे में पुलिस की ओर से आरोप तय करने को लेकर हुई जिरह में आरोपियों के मैच फिक्सिंग व सट्टेबाजी में शामिल होने के अपने दावे को पुख्ता करने के लिए आरोपियों के बीच टेलीफोन पर बातचीत का भी संदर्भ दिया गया था। इसी के साथ यह भी आरोप लगाया गया था कि टेलीफोन पर हुई बातचीत का रिकॉर्ड आरोपियों के बीच संबंधों की ओर खुला इशारा कर रही है।

वकीलों ने कुछ ऐसा किया दावा
इस दौरान आरोपियों के पक्ष में आए वकीलों ने पुलिस के दावे पर कहा कि जांच में प्रथम दृष्टया उनके मुवक्किलों पर किसी भी तरह का कोई अपराध साबित नहीं होता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा कोई सबूत भी नजर नहीं आ रहा, जिसके आधार पर आरोप को तय कर दिया जाए। बताया जा रहा है कि अदालत की ओर से इससे पहले दाऊद व छोटा शकील को अपराधी घोषित किया गया था, लेकिन पुलिस उनकी गिरफ्तारी से बच रही है। इसपर पुलिस ने अदालत को अपनी दलील दी है कि मुंबई में 1993 के मुंबई श्रृंखलावार धमाकों को लेकर दाऊद व शकील की संपत्तियां पहले ही कुर्क हैं। इसके अलावा ये दोनों उसके बाद से भारत भी नहीं आए। अब फिलहाल आज है फैसले की तारीख। देखना है कि अदालत को किसका पक्ष ज्यादा भारी लगता है।

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