PATNA: पटना सिटी से दीघा तक एक ऐसी ट्रेन चलती है, जो राजस्व तो नहीं देती शहर को जाम भरपूर्ण देती है। जाम की समस्या को देखेते हुए पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर रेल प्रशासन पटरी को समेटने की तैयारी कर रहा है। वहीं राज्य सरकार आर ?लाक से दीघा तक रेल की जमीन पर फोरलेन सड़क बनाने की प्लानिंग में है। फोरलेन बनाने से पहले सरकार को बड़ी चुनौतियों से गुजरना होगा। क्योंकि शायद देश में पहला रेल ट्रैक होगा जो तबेले में तब्दील हो चुका है। रेल की पटरियों से गाय-भैंस बांधी जा रही है। दिन में एक बार ट्रेन यहां से गुजरती है। जब ट्रेन आती है तो जानवरों को हटा लिया जाता है और गुजरते ही दोबारा पटरियों पर ही बांध दिया जाता है। यह हकीकत तब सामने आई जब हमारे ब् रिपोर्टर ने 7 किलोमीटर पैदल चलकर इस ट्रैक का मुआयना किया।

सरकार देगी खास जगहों पर जमीन

पटना-दीघा रेल खंड पर फोरलेन का रास्ता अब पूरी तरह से साफ हो गया है। बुधवार को रेल मंत्रालय की तरफ से वरीय अधिवक्ता डीके सिन्हा ने न्यायालय को बताया है कि रेलवे की करीब क्क् एकड़ जमीन के बदले राज्य सरकार खास-खास जगहों पर जमीन उपल?ध कराने को तैयार हो गई है। इसके लिए अफसरों की बैठक में मुहर लग चुकी है। घाटे और बिना उद्देश्य के चल रही पटना-दीघा ट्रेन को बंद कराने के लिए हाईकोर्ट स्वयं संज्ञान लेकर मुकदमा चलाया है। मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन एवं न्यायाधीश डॉ। अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई कर प्रगति रिपोर्ट जानी है। राज्य सरकार और रेल मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई कि अब फोरलेन में किसी प्रकार की बाधा नहीं है।

जाम में फंसे थे न्यायाधीश

पटना दीघा लाइन पर जब लोकल ट्रेन चलती है तो सड़कों पर लंबा जाम लग जाता है। क्9 जुलाई को कोर्ट जाने के दौरान पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश डा। रविरंजन इस जाम में फंस गए। इसके बाद हाईकोर्ट ने रेलवे के वरीय सलाहकार डीके सिन्हा, राज्य सरकार के महाधिवक्ता राम बालक महतो और अपर महाधिवक्ता ललित किशोर को तलब किया। कोर्ट ने पूछा कि इस ट्रेन में जब आदमी ही नही रहते हैं तो इसे चलाने का क्या मतलब है?