यंग एज में अर्थराइटिस

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में यंग एज में होने वाले अर्थराइटिस की संख्या में काफी बढ़ोत्तरी हो रही है। जिसमें कि सबसे ज्यादा शिकार नई शादीशुदा लड़कियां हैं। रायपुर में आयोजित इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की एक वर्कशॉप में लेफ्टिनेंट जनरल डॉ.वेद चतुर्वेदी ने बताया कि कम उम्र में होने वाले इस अर्थराइटिस को रूमेटॉयड अर्थराइटिस कहते हैं। डॉ.चतुर्वेदी लंबे समय तक रूमेटोलॉजिस्ट संघ के प्रमुख रहे हैं।

बीमारी बनी तलाक का कारण

यंग एज में इस बीमारी से पीड़ित कई महिलाओं के तलाक के मामले सामने आए हैं। इसकी वजह यह है कि बीमारी के चलते बुखार आता है और मांसपेशियों में दर्द बना रहता है। ऐसे में लड़कियां घर के काम करने में उतनी सक्षम नहीं रह पाती। अक्सर पैरेंट्स अपनी बेटियों की शादी 20 से 30 साल की उम्र तक कर देते हैं। लड़कियां जब ससुराल पहुंचती हैं तो उन्हें जोड़ों में दर्द की शिकायत हो जाती है और लड़के के घरवाले सोचते हैं कि उनसे बहू की बीमारी की बात छिपाई गई। कई सुसराल वाले समझते हैं कि बहू काम न करने के लिए दर्द का बहाना बनाती है। जिसके परिणामस्वरूप घर में लड़ाई-झगड़ा होता है और बात तलाक तक पहुंच जाती है।

50 परसेंट मामलों में तलाक

डॉ.चतुर्वेदी बताते हैं कि देश के एक प्रतिशत युवा इस बीमारी से पीड़ित हैं। इनमें से 90 परसेंट पेशेंट कम उम्र की लड़कियां या महिलाएं हैं। इस बीमारी के 50 प्रतिशत से ज्यादा केसेज में मरीज का तलाक हो चुका होता है। एक रिचर्स की मानें तो आम लोगों की तुलना में रूमेटॉयड अर्थराइटिस के पीड़ित लोगों में तलाक होने की संभावना 70 परसेंट अधिक रहती है।

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