-दरोगा और उसके साथी ने 18 मई को ही कर दिया था ईशा का कत्ल

-डिजायर कार में कत्ल करने के बाद लाश को डिक्की में रखकर ठिकाने लगाया

-कत्ल में कथित पत्रकार समेत तीन अन्य युवकों का नाम सामने आया, गिरफ्तारी हुई

-पुलिस ने एक एंकर की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त कार बरामद की

KANPUR :

दरोगा ज्ञानेंद्र की पत्नी ईशा की सिर कटी लाश भले ही कौशांबी में मिली है, लेकिन उसका कत्ल कानपुर में ही हुआ था। कातिल दरोगा ने मनीष के साथ मिलकर उसका कत्ल किया था। जिसके बाद वे लाश को कार की डिक्की में रखकर ठिकाने लगाने गए थे। दरोगा ज्ञानेंद्र और उसके साथी मनीष ने इस खौफनाक कत्ल को अन्जाम दिया था और इस कत्ल के बारे में कथित पत्रकार समेत दो अन्य युवकों को भी मालूम था। इन तीनों आरोपियों ने सबूत को छुपाने में कातिल दरोगा और उसके साथी की मदद भी की। पुलिस ने इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन कातिल दरोगा और उसका साथी अभी भी फरार चल रहे हैं। इसके अलावा पुलिस ने एक एंकर की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त कार को बरामद कर लिया है।

18 मई को ही कर दिया था कत्ल

कातिल दरोगा ज्ञानेंद्र ने 18 मई को ही ईशा का कत्ल कर दिया था। उसी दिन दरोगा ईशा को मंदिर में दर्शन कराने के बहाने घर से ले गया था। वो कत्ल के इरादे से ही अकेले ईशा को लेने गया था। जिसके बाद उसने रास्ते में मनीष को कार में बैठाया। मनीष कार को चला रहा था, जबकि ज्ञानेंद्र और ईशा बैक सीट पर बैठे थे। वे ईशा को हाईवे पर ले गए। जहां पर सुनसान जगह पर दरोगा ने कार में ईशा का कत्ल कर उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। जिसके बाद दोनों ने शव को डिक्की में डाल दिया। इसके बाद दरोगा ज्ञानेंद्र और मनीष लाश को ठिकाने लगाने के लिए घाटमपुर से जहानाबाद रोड होते हुए वहां से कौशांबी गए। इसके बाद दोनों ने शहर वापस आकर कार खड़ी कर दी और भाग गए।

फ्रैंड के कहने पर राजी हुई थी ईशा

ज्ञानेंद्र ने ईशा के कत्ल का प्लान बना लिया था, लेकिन ईशा ने नाराजगी की वजह से ज्ञानेंद्र के साथ चलने से मना कर दिया। जिसे देख ज्ञानेंद्र ने ईशा की फ्रैंड अवंतिका से उसको फोन करवाया था। अवंतिका के कहने पर ही ईशा ज्ञानेंद्र के साथ चलने को राजी हो गई थी। अवंतिका बारादेवी निवासी अंकुर की प्रेमिका है। अवंतिका के मुताबिक ज्ञानेंद्र ने उस पर दबाव बनाकर फोन करवाया था। उसे दरोगा ज्ञानेंद्र के इरादे के बारे में कुछ भी पता नहीं था। वरना वो ईशा को कभी भी कॉल नहीं करती। पुलिस ने अवंतिका और अंकुर को हिरासत में ले लिया है। अंकुर का दरोगा ज्ञानेंद्र के साथी मनीष से विवाद चलता है।

दामोदर नगर निवासी है कथित पत्रकार

कातिल दरोगा ज्ञानेंद्र के गुनाह में कथित पत्रकार ऋषभ मिश्रा भी शामिल है। ऋषभ दामोदर नगर में रहता है। वो खुद को पत्रकार बता कर लोगों पर रौब झाड़ता है, जबकि वो न तो किसी न्यूज पेपर में है और न ही किसी इलेक्ट्रानिक चैनल में। उसका भाई प्रशान्त एक इलेक्ट्रानिक चैनल में काम कर चुका है, लेकिन उसने कुछ दिन काम करने के बाद जॉब छोड़ दी थी। ऋषभ का एक करीबी रिश्तेदार इलेक्ट्रानिक चैनल में है। उसी के नाम पर ऋषभ खुद को पत्रकार बताता है। ऋषभ कातिल दरोगा के साथ मनीष का भी दोस्त है। उसे ईशा के कत्ल के बारे में पूरी जानकारी थी।

पुलिस कर्मी के घर पर खड़ी थी कार

पुलिस ने बारादेवी निवासी एंककरंग करने वाले अनुराग श्रीवास्तव उर्फ अन्ना की निशानदेही पर तीन कार स्विफ्ट डिजायर, आईटेन और जैज बरामद की है। तीनों कार कातिल दरोगा के साथी मनीष कठेरिया की है। कातिल दरोगा डिजायर कार से ही ईशा को अपने साथ ले गया था। इसी कार में ईशा का कत्ल किया गया। कातिल दरोगा और उसके साथी ने कत्ल और लाश को ठिकाने लगाने के बाद कार को बारादेवी निवासी ठाकुर नाम के पुलिस कर्मी के घर पर खड़ी कर दिया था। उसके बेटे देवराज को पुलिस ने उठा लिया है। मनीष अकेले ही उनके घर पर कार खड़ी करने गया था, लेकिन पुलिस कर्मी ने कार में खून देखकर मना कर दिया। जिस पर मनीष ने झूठ बोल दिया कि वो दरोगा ज्ञानेंद्र के साथ घाटमपुर गया था। जहां पर एक एक्सीडेंट होने पर वे खून से लथपथ एक घायल को हॉस्पिटल ले गए थे। जिसकी वजह से कार में खून लग गया है। उसने भरोसा दिलाने के लिए दरोगा ज्ञानेंद्र की मोबाइल पर ठाकुर से बात करा दी। जिसके बाद वो कार खड़ी करके चला गया। ठाकुर पुलिस कर्मी के बेटे देवराज ने अगले दिन कार को धो दिया था। जिसमें उसे चूड़ी का एक टुकड़ा और बिछिया मिली थी। जिससे उनको शक हो गया कि कार में कुछ और ही हुआ है। फिलहाल पुलिस देवराज से पूछताछ कर रही है।

शहर में छिपे हैं दरोगा ज्ञानेंद्र और मनीष

पुलिस कातिल दरोगा ज्ञानेंद्र और मनीष की गिरफ्तारी के लिए अन्य जिलों में भी दबिश दे रही है, लेकिन दोनों शहर में ही फरारी काट रहे हैं। इसका प्रमाण है कि ज्ञानेंद्र और मनीष शनिवार को गौशाला चौराहे के पास जगदीश टी स्टॉल में किसी से बात कर रहे थे। सोर्सेज के मुताबिक दोनों सरेंडर करने के लिए वकीलों से सलाह ले रहे हैं, ताकि वे पुलिस पूछताछ से बच सकें। वहीं, दरोगा पुलिस महकमे के अपने साथियों से संपर्क में लगा है, ताकि उसको कहीं से बचने का कोई मौका मिल सकें। दरोगा ने वकील की सलाह से एक झूठी कहानी भी तैयार कर ली है। जिसे वो पकड़े जाने पर अपने बचाव में बताएगा।

बीसी में करोड़ो रुपए फंस गए।

ईशा के कत्ल में मनीष कठेरिया के नाम का खुलासा होने से कई लोगों के रुपए फंस गए हैं। मनीष बीसी चलाता है। जिसमें कई कारोबारी समेत अन्य लोगों ने रुपए लगाए हैं। कत्ल में नाम आने के बाद से वो फरार है। उसकी गिरफ्तारी भी तय है। ऐसे में लोगों का पैसा फंस गया है। इलाकाई लोगों के मुताबिक इस समय वो करीब 9 बीसी चला रहा है। जिसमें हर एक बीसी लाखों की है। ऐसे में माना जा रहा है कि लोगों का करोड़ों रुपया मनीष के पास फंस गया है।