क्या हैं विशेषताएं
रेक्टेंगुलर डिजाइन वाले इस जीसैट-6 का वजन 2117 किग्रा है। इसमें प्रोपेलेंटो का वजन 1132 किग्रा और उपग्रह का शुद्ध भार 985 किग्रा है। जीसैट-6 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि, इसमें 6 मीटर व्यास का न मुड़ने वाला S-बैंड एंटीना है। बता दें कि यह इसरो द्वारा बनाया गया अभी तक का सबसे बड़ा एंटीना है। इस एंटीना का इस्तेमाल भारतीय मुख्य भूमि के ऊपर 5 स्पॉट बीम के लिए किया जाएगा। इसरो का कहना है कि, यह 9 साल तक एक्टिव रह सकेगा। जीसैट-6 एस-बैंड और सी-बैंड में एक नेशनल बीम के माध्यम से संचार मुहैया कराएगा, जोकि सेना के लिए होगा।

यह मिलेगा लाभ
जीसैट से स्पेक्ट्रम को फिर से उपयोग किया जा सकेगा, साथ ही इसकी क्षमता भी बढ़ जाएगी। इसके अलावा सैटेलाइट फोन सर्विसेज का भी विस्तार होगा। इसके जरिए संचार सेवाओं में व्यापक सुधार की उम्मीद की जा रही है। उपग्रह के चलते एक ही स्पेक्ट्रम फ्रीक्वेंसी को एक ही समय पर अलग-अलग कामों के लिए S-बैंड के स्पेक्ट्रम का उपयोग किया जा सकेगा। दरअसल देश में स्पेक्ट्रम की बढ़ती मांग को देखते हुए संचार सेवाओं के साथ ही रक्षा सेवाओं के लिए भी अलग से C-बैंड का प्रावधान किया गया है, जिससे सैटेलाइट फोन सेवा को बढ़ाया जा सकेगा। बताते चलें कि, सैन्य सेवाओं के लिए C-बैंड की फ्रीक्वेंसी को सुरक्षित रखा गया है, यह फ्रीक्वेंसी बहुत प्रभावी होगी, क्योंकि इसकी मदद से खराब मौसम में भी रडार, वाई-फाई और सैटेलाइट फोनों को एक्टिव रखा जा सकेगा।

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