स्पेस रिसर्च एजेंसी जल्दी शुरू करेगी शुक्र अभियान
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने शक्र ग्रह पर अध्ययन के लिए मन बनया है और कहा है कि वो जल्द ही अपना शुक्र ग्रह अभियान शुरू करने का प्रयास करेगी। इसके लिए मंगलयान और चंद्र यान के सफल परिक्षण के बाद अब शुक्रयान विकसित करने पर कार्य शुरू किया जायेगा। इसरो के चेयरमैन एएस किरन कुमार ने पहले ही बताया था कि शुक्र के साथ मंगल का दूसरा अभियान भी उनकी प्राथमिकता सूची में है और इसके लिए भी अध्ययन जारी हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी ये दोनों अभियान अनुसंधान के दौर में हैं। इससे जुड़ी सारी चीजों का अध्ययन पूरा होने के बाद अनुमति हासिल की जाएगी और फिर योजना को कार्य रूप में लाया जाएगा।

चंद्रयान,मंगलयान के बाद जल्‍द आएगा isro का शुक्रयान

पृथ्वी से मिलता जुलता ग्रह होने के मिलेंगे लाभ
शुक्र ग्रह को पृथ्वी का जुड़वा बहन माना जाता है क्योंकि दोनों में बहुत सी चीजें मिलती-जुलती हैं। आकार, घनत्व और गुरुत्वाकर्षण के मामले में दोनों एक जैसे हैं। माना जाता है कि दोनों ग्रह 4.5 अरब साल पहले एक ही जगह से उत्पन्न हुए। शुक्र के बारे में सारे अध्ययन 1960 के बाद भारत में शुरू हो सके थे। इसरो का कहना है कि शुक्र की पड़ताल की दिशा में बहुत सारी सफलताएं मिलने के बाद भी काफी कुछ जानना बाकी है। यह ग्रह धरती की तुलना में सूर्य के तीस फीसदी ज्यादा नजदीक है। आशा की जाती है कि पृथ्वी के समान होने के कारण इस ग्रह के अध्ययन से कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलेंगी जो पृथ्वी के लिए काफी लाभदायक हो सकती हैं।
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चंद्रयान,मंगलयान के बाद जल्‍द आएगा isro का शुक्रयान

मंगल पर जा चुका है मंगल यान
इससे पहले 24 सितंबर 2014 को भारत ने कम लागत का अंतरिक्ष यान मंगल ग्रह पर भेजा था। इसरो ने मंगलयान को भेज कर खुद को उन देशों की सूची में शामिल कर लिया था जिन्होंने मंगल पर अपने यान भेजे थे। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 450 करोड़ रुपये थी जो अन्य देशों के मार्स प्रोजेक्ट के मुकाबले कम थी। मंगलयान को मंगल पर मीथेन गैस के प्रमाण लेने और वहां के मौसम को समझने के लिये भेजा गया था।
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चंद्रयान,मंगलयान के बाद जल्‍द आएगा isro का शुक्रयान

चंद्रयान भी किया चुका है लॉन्च
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 22 अक्टूबर 2008 को श्रीहरिकोटा से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान(पीएसएलवी) से चंद्रयान-1 लॉन्च किया था। हालांकि एक साल बाद ही 29 अगस्त 2009 को इसरो का संपर्क चंद्रयान से टूट गया था। अब इसके मिलने के दावे किए गए हैं। नासा के मुताबिक चंद्रयान अब भी चांद की सतह से करीब 200 किमी ऊपर चक्कर काट रहा है और यह चांद के ऑर्बिट में ही है। इस बीच ये भी कहा जा रहा है कि इसरो चंद्रयान दो के प्रक्षेपण की तैयारी में लगा है।
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