- शहर में चुड़ैल की मौजूदगी की अफवाह से डरे-सहमे हैं लोग

-डॉक्टर्स के मुताबिक, नहीं होता भूतों का अस्तित्व

ALLAHABAD: शहर के बैरहना और उसके आसपास के इलाके चुड़ैल घूमने की अफवाह ने पूरे शहर को डरा के रखा है। किसी ने इस चुड़ैल को देखा हो या नहीं, लेकिन सभी के मन में डर बैठा है। क्या वाकई भूत-प्रेत होते हैं या यह सिर्फ कोरी अफवाह मात्र है। आखिर क्यों हमें ऐसी पैरानार्मल एक्टिविटीज का आभास होता है, क्या कहते हैं डॉक्टर्स। पढि़ए आई नेक्स्ट की रिपोर्ट-

मौजूद भी है तो महसूस करना मुश्किल

हमारी बॉडी के कुछ अंग हैं जिनके जरिए हम बाहरी चीजों से इंटरेक्ट होते हैं। इनमें आंख, कान, नाक, जीभ आदि शामिल हैं। लेकिन, इन अंगों में इतनी ताकत नहीं है कि एक्सटर्नल एनर्जी को महसूस कर सके। लेकिन, जब एक साथ कई लोग भूत-प्रेत या चुड़ैल को देखने की बात करते हैं तो इसे मेडिकल साइंस की भाषा में मास हिस्टीरिया कहा जाता है। इसमें पूरे मॉब को एक ही जैसी चीज नजर आने लगती है।

बहुत पॉवरफुल है हमारा ब्रेन

मेडिकल साइंस कहती है कि हमारा ब्रेन बहुत ज्यादा पॉवरफुल होता है। जब हम लगातार एक जैसी ही चीजों के बारे में सोचते या इमैजिन करते हैं तो ब्रेन उसे आर्टिफिशियली तैयार कर देता है। एग्जाम्पल के तौर पर जिन महिलाओं के बच्चे नहीं होते तो वह दिनभर इसके बारे मे सोचती हैं। कई बार ब्रेन आर्टिफिशियल प्रेगनेंसी कराने लगता है। इसमें महिलाओं को लेबर पेन होता है और बच्चेदानी में सूजन से पेट फूलने लगता है। अल्ट्रासाउंड कराने पर जबकि ऐसा कुछ नहीं सामने आता।

सपनों में भी पहुंच गए भूत

मेडिकल साइंस के हिसाब से देखें तो बुरे सपने (दु:स्वप्न) कुछ और नहीं बल्कि बढ़-चढ़ कर देखे गए सपने ही हैं। ऐसे सपने देखने का मतलब यह नहीं है कि कोई भूत, प्रेत या पिशाच पीछे पड़ा है, दरअसल, ये सपने हम भीतरी तनाव, निराशा, व्याकुलता, मदिरा या फिर ड्रग्स के प्रभाव के कारण देखते हैं। इन चीजों के कारण नींद में रेम पीरियड बढ़ जाता है और हम लंबे-लंबे और ऊटपटांग सपने देखते हैं। इसे ड्रीम एंग्जाइटी डिसॉर्डर कहा जाता है। डॉक्टर्स के पास ऐसे मरीजों के पहुंचने वालों की संख्या काफी ज्यादा है।

ऊपरी चक्कर नहीं हिस्टीरिया के रोगी

अक्सर हिस्टीरिया के रोगियों को हम भूत-प्रेत का साया समझने लगते हैं। आमतौर पर महिलाएं इस रोग की चपेट में ज्यादा आती हैं। इसमें उनका जी मिचलाना, तेज या धीमे सांस चलना, बेहोशी छाना, हाथ-पैर अकड़ना, चेहरे की आकृति आदि बिगड़ने के लक्षण सामने आने लगते हैं। कई बार अचानक रोना, हंसना, दूसरों से बेवजह मारपीट भी करने लगती हैं। रोगी खुद को कई गुना ज्यादा ताकतवर समझने लगता है। स्कूल जाने वाली ग‌र्ल्स में यह रोग मानसिक तनाव, सदमे, चिन्ता, प्रेम में असफलता, मानसिक दुख या गहरा आघात लगने से होता है।

पहले भी हो चुकी है रिसर्च

इंटरनेशनल लेवल की रिसर्च में यह पू्रव हो चुका है कि इंसानी शरीर में एक खास तरह की एनर्जी मौजूद होती है जो डेथ के बाद बॉडी से बाहर निकल जाती है। इसे चाहकर भी महसूस नहीं किया जा सकता है। माना जाता है कि यह एनर्जी गर्भ में पल रहे बच्चे के शरीर में तो जगह बना सकती है, लेकिन किसी जिंदा इंसान को काबू नहीं कर सकती। क्योंकि, लिविंग बॉडी में पहले से एनर्जी मौजूद होती है। यही कारण है कि कई बार जन्म लेने वाले बच्चे पिछले जन्म में घटी घटनाओं के बारे में बताते हैं, जिसे पुनर्जन्म कहा जाता है।

-हम दिनभर जिन चीजों के बारे में सोचते हैं, वही महसूस भी करते हैं। एक साथ कई लोगों को एक ही चीज का आभास होना मास हिस्टीरिया कहलाता है। हमारा माइंड इतना पॉवरफुल है कि आर्टिफिशियल एटमॉस्टिफर पैदा कर देता है जिससे हमे भूत-प्रेत का आभास होता है।

-डॉ। अभिनव टंडन, सायकायट्रिस्ट

भूत-प्रेत के नाम पर दहशत फैलाना ठीक नहीं है। अगर मरीज में ऐसे लक्षण नजर आ रहे हैं तो उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

-डॉ। पुष्कर निगम, सायकायट्रिस्ट