-पर्यावरण और मानव जीवन के लिए बड़ा खतरा है पॉलीथिन का इस्तेमाल, फिर भी नहीं हो रही कार्रवाई

-पॉलीथिन पर नहीं लग रहा प्रतिबंध, नियम विरुद्ध अवैध प्रोडक्शन पर नहीं कसी जा रही लगाम

Meerut: जरा खुद के गिरेबां में झांककर देखिए। यह जानते हुए कि पॉलीथिन पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक है, हम उसका इस्तेमाल कर रहे हैं। हम जिस धरती पर जीवन यापन कर रहे हैं, उसी का सर्वनाश करने पर तुले हुए हैं। पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाने की बात हवा-हवाई है तो नियमों के साथ खिलवाड़ करने वालों पर भी कार्रवाई नहीं होती।

वैश्विक रूप से उपयोग

देखा जाए तो प्रत्येक वर्ष लगभग भ्00 अरब प्लास्टिक बैग्स का उपयोग होता है। व‌र्ल्ड वाच इंस्टीट्यूट के अनुमान के अनुसार इसमें से लगभग क्00 अरब प्लास्टिक बैग अकेले अमेरिका में उपयोग होते है। भारत में प्रति व्यक्ति उपयोग की मात्रा कम है, लेकिन भारत की अधिक जनसंख्या तथा डिस्पोज करने की आदतों के फलस्वरूप यह स्वास्थ्य संबंधी समस्या बना हुआ है। वर्षा के समय नालियों के अवरुद्ध होने का यह एक प्रमुख कारण है।

दस लाख का जुर्माना

देश में प्लास्टिक के प्रयोग पर रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन प्लास्टिक कैरी बैग्स के प्रयोग पर रोक लगाने वाले राज्यों में सिक्किम, नागालैंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, राजस्थान, जम्मू कश्मीर और दिल्ली शामिल हैं। इस दिशा में कदम उठाने वाले संघ शासित प्रदेशों में अंडमान निकोबार द्वीप, लक्षद्वीप और चंडीगढ़ भी शामिल हैं। सरकार प्लास्टिक प्रदूषण को रोकने के लिए ब्0 माइक्रोन से नीचे के प्लास्टिक बैग बनाने वालों के खिलाफ जुर्माने की राशि को क्0 लाख रुपए तक करने की योजना बना रही है। इसके लिए पर्यावरण संरक्षण अधिनियम तथा संबंधित नियमों में संशोधन किया जाएगा।

बेहद खतरनाक परिणाम

जैसे हमारी जिंदगी काम-काज में घिरती जा रही है, हम उतना ही आराम पसंद जीवन पसंद कर रहे हैं। इसके लिए अब सोने, चांदी या स्टील के बर्तन यूज ना करके डिस्पोजल प्लास्टिक की वस्तुओं को यूज कर रहे हैं। जो खाओ और फेंक दो। जिनमें प्लास्टिक की चम्मच, कप, प्लेट, गिलास, कटोरी, शराब और पानी की बोतलें शामिल हैं, जो सबसे खतरनाक है। यही आराम हमारी जिंदगी के लिए और कठिन परिस्थितियां पैदा कर रहा है। हमारे द्वारा यूज की जाने वाली प्लास्टिक को फेंक दिया जाता है। जो पानी और धरती को प्रदूषित कर रही है। गंगा में भी यही प्लास्टिक प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है।

नियमों को ठेंगा

पर्यावरण मंत्री ने ब्0 माइक्रोन से नीचे के प्लास्टिक बैग बनाने वाली इकाइयों के खिलाफ जुर्माने की राशि में वृद्धि करने के साथ ही बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक संबंधी एक पायलट परियोजना पर काम किए जाने की जानकारी दी थी। जिसके इस्तेमाल से देश को प्लास्टिक पॉलीथिन के कचरे से मुक्ति दिलाने में मदद मिलेगी। बताया गया कि प्लास्टिक बैग्स पर कोई प्रतिबंध नहीं है, लेकिन ब्0 माइक्रोन से नीचे के प्लास्टिक बैग्स के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है। इससे संबंधित कानून को ठीक से नहीं लागू किए जाने के कारण क्0-ख्0 माइक्रॉन के प्लास्टिक बैग भी धड़ल्ले से बाजार में उपलब्ध हैं।

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अंग्रेजी दिमाग की उपज

इतिहास उठाकर देखें तो प्लास्टिक एक विदेशी दिमाग की उपज है। जिसको क्8म्ख् में अलेक्जेंडर पार्कीस ने लंदन मे इंटरनेशनल प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया था। इसके बाद प्लास्टिक से बनी वस्तुएं आज हमारे जीवन के लिए इतनी घातक हो जाएंगी ये किसी ने नहीं सोचा होगा। हमारे देश में पहले लोग सोने चांदी के बर्तनों मे खाना खाते थे। मगर जैसे-जैसे समय बदला हमारी जरूरतें बदलती गई। आज प्लास्टिक ने हमारे जीवन में ऐसा आतंक मचाया है कि इसके प्रभाव से पूरा मानव जीवन तहस-नहस हो गया है। आज प्लास्टिक के बर्तनों में खाने से सैकड़ों प्रकार बीमारियां हो रही हैं। जिनका इलाज भी संभव नहीं है।

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प्लास्टिक पॉल्यूशन पर सरकार

प्लास्टिक बैगों से जानवरों की मौत और बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण को गहरी चिंता का विषय बताते हुए केंद्र सरकार ने ब्0 माइक्रोन से कम के प्लास्टिक बैग का उत्पादन करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने पर विचार कर रही है। सरकार ने यह स्वीकार भी किया कि ब्0 माइक्रोन से कम की प्लास्टिक थैलियों पर लगा प्रतिबंध कारगर ढंग से लागू नहीं हुआ है। पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदस्यों ने चिंता जताते सहमति भी जताई थी कि ब्0 माइक्रोन से नीचे की पॉलीथिन स्वाभाविक रूप से सड़-गल कर नष्ट (बायोडिग्रेडेबल) नहीं होती हैं, बल्कि वे पर्यावरण में यथावत बनी रहती हैं।

प्लास्टिक का यूज कम से कम किया जाए। लोगों में इसके लिए जागरूकता आनी बहुत जरूरी है। नहीं तो अर्थ-डे हर साल मनेगा और आखिर में स्थिति ऐसी होगी की हम अर्थ-डे भी नहीं मना सकेंगे। नगर निगम प्लास्टिक वेस्ट को डिस्पोज करने की व्यवस्था करे ताकि पॉल्यूशन कम हो सके।

- डॉ। स्नेहवीर पुंडीर

पॉलीथिन का यूज कम से कम किया जाना चाहिए। इसके द्वारा होने वाले पॉल्यूशन से बचाव के लिए पॉलीथिन का कम ही यूज होना चाहिए। नाले पॉलीथिन के यूज से चोक हो जाते हैं। पानी सड़कों पर भर जाता है। शासन व प्रशासन को इसके लिए कड़े नियम बनाने चाहिए।

- गिरीश भारद्वाज

हमेशा ही हम पॉलीथिन को कम यूज करने की अपील करते रहे हैं। जो भी कैंपेन चलता है उसमें भागीदारी करते हैं। इस कैंपेन के लिए भी हम लोगों से अपील करेंगे कि वे प्लास्टिक का कम से कम यूज करें। साथ ही प्लास्टिक बैग्स को इधर-उधर ना फेंके।

- आलोक शिशोदिया