- आईटीसी क्लेम हो सकती है सेल्स टैक्स के ज्वाइंट कमिश्नर एके सिंह पर जानलेवा हमले की बड़ी वजह

-सोर्सेज का कहना, एके सिंह आईटीसी क्लेम के मामलों में कर रहे थे काफी सख्ती

- आईटीसी क्लेम के नाम पर करोड़ों की होती है राजस्व चोरी, फर्जी फ‌र्म्स से बिलिंग कराकर लगाते हैं चूना

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KANPUR। सेल्स टैक्स अधिकारी पर हुए जानलेवा हमले को आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट)क्लेम के अभियान से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। क्योंकि आईटीसी क्लेम पर बड़े पैमाने पर खेल चलता है। इस क्लेम की रकम पर बड़े कारोबारियों की पैनी नजर रहती है। वहीं अधिकारी भी आईटीसी क्लेम के इस फर्जीवाड़े में मोटी रकम खाते हैं। पिछले दिनों विभाग ने आईटीसी क्लेम के फर्जीवाड़े पर काफी सख्ती की थी। दर्जनों फ‌र्म्स को पकड़ कर उन पर कार्रवाई की थी।

भ्00 फ‌र्म्स के खिलाफ अभियान

आईटीसी क्लेम को लेकर पिछले एक साल में करीब भ्00 फ‌र्म्स के खिलाफ अभियान चल चुका है। इन फ‌र्म्स की पूरी डिटेल विभाग तैयार करने में लगा है। दरअसल पुलिस भी आईटीसी क्लेम को इस हमले के पीछे मुख्य वजह मान रही है। इसलिए इन भ्00 फ‌र्म्स पर निगाहें टेढ़ी हैं। सेल्स टैक्स ज्वाइंट कमिश्नर एके सिंह आईटीसी क्लेम के मामलों में काफी सख्ती कर रहे थे।

900 करोड़ का है 'खेल'

आईटीसी क्लेम में सिटी से साल भर में 900 करोड़ से ऊपर का खेल होता है। ये एक मोटा अनुमान भर है। विभागीय सूत्रों ने बताया कि आईटीसी क्लेम से करीब 900 करोड़ रुपये का खेल साल भर में हो जाता है। वहीं ब्0 हजार करोड़ के लगभग सरकारी खाते में राजस्व जमा होता है। आईटीसी क्लेम के मामले में जाजमऊ, दादानगर व पनकी इलाके के कई बड़े कारोबारी शामिल रहते हैं। क्ख्00 करोड़ की टैक्स चोरी हर साल फिर भी हो ही जाती है।

क्या है आईटीसी क्लेम?

आईटीसी क्लेम अधिक जमा किए गए वैट टैक्स में होने वाली वापसी है। दरअसल व्यापारी अगर कोई सामान किसी दूसरे राज्य से लाकर सिटी में बेचता है। तो उसे उस राज्य को सेल्स टैक्स यानी वैट देना होता है। जब कोई वस्तु किसी एक व्यापारी द्वारा यूपी में किसी दूसरे व्यापारी को बेचा जाता है तो माल पर वैट विभाग को दिया जाता है। फिर जब माल दुबारा बिकता है। तो फिर से माल पर वैट लगता है। जो की उसकी शुरुआती कास्ट पर लगता है। लेकिन दुबारा वैट दूसरे व्यापारी के प्रॉफिट पर लगना चाहिए। इसलिए विभाग टैक्स तो ले लेता है। लेकिन फिर उस व्यापारी को आईटीसी क्लेम के रूप में वापस करता है।

कोई एडजस्टमेंट तो कोई कैश में लेता है वापस

आईटीसी क्लेम कोई एडजस्टमेंट के रूप में तो कोई कैश वापस लेता है। दरअसल जब साल के अंत में आईटीसी क्लेम वापस होता है तो व्यापारी इसे ज्यादातर एडजस्टमेंट में डाल देते हैं। कुछ व्यापारी इसकी रकम एकाउंट में भी डाल देते हैं। अगर किसी व्यापारी ने 90 रुपए की कोई वस्तु ली। उस पर क्0 रुपए प्रॉफिट व क्0 प्रतिशत वैट के साथ वस्तु को क्क्0 रुपए में किसी दूसरे व्यापारी को बेंच दिया। उस व्यापारी ने उसमें क्0 रुपए प्रॅाफिट जोड़ा तो उस वस्तु की कीमत क्ख्0 रुपए हो गई। वैट के क्ख् रुपए जुड़कर अब वस्तु की कीमत क्फ्ख् रुपए हो जाएगी। इसलिए 90 रुपए पर लिए गए वैट को इस दूसरे व्यापारी के आईटीसी क्लेम के रूप में वापस किया जाएगा।

ऐसे होता है क्लेम का खेल

आईटीसी क्लेम के नाम पर सिटी में बड़े-बड़े खेल किए जाते हैं। सिटी के कई बड़े कारोबारी इस खेल में इंवॉल्व रहते हैं। विभागीय सूत्रों ने बताया कि आईटीसी क्लेम में तमाम फर्जी फ‌र्म्स हैं। ये फ‌र्म्स होती नहीं हैं बस सिर्फ बिलिंग के नाम पर चलती हैं। माल सीधे क्रेता तक पहुंचता है। लेकिन बीच में तमाम तरह की फर्जी बिलिंग होती है और आईटीसी क्लेम लिया जाता है। दरअसल बीच में जितने ज्यादा व्यापारी होंगे क्लेम की रकम उतनी ही बढ़ जाती है। इसलिए व्यापारी सीधे तौर पर माल बेचने की जगह बीच में कई फर्जी फ‌र्म्स के नाम से फर्जी बिलिंग करा लेते हैं। जिससे आईटीसी क्लेम कर सकें। सेल्स टैक्स में इस क्लेम के लिए मोटी रकम ली जाती है। विभाग में ऊपर से लेकर नीचे तक सबका अलग हिस्सा है।