- अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से यानि जोन 3 में आती है संगम नगरी

- जोन 2 सबसे सेफ और जोन 5 माना जाता है सबसे खतरनाक एरिया

- लेकिन लगातार हो रहे कांस्ट्रक्शन और पर्यावरण से छेड़छाड़ से हम पहुंच गए हैं जोन 3 तक

<- अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से यानि जोन फ् में आती है संगम नगरी

- जोन ख् सबसे सेफ और जोन भ् माना जाता है सबसे खतरनाक एरिया

- लेकिन लगातार हो रहे कांस्ट्रक्शन और पर्यावरण से छेड़छाड़ से हम पहुंच गए हैं जोन फ् तक

vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: vikash.gupta@inext.co.in

ALLAHABAD: भूकंप के इस झटके से फिलहाल भयभीत होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि संगम नगरी अभी भी अपेक्षाकृत कम खतरे वाले जोन में शामिल है। लेकिन हम इसे एक चेतावनी के रूप में लें तो हमारे लिए यह बेहतर होगा। वैसे तो पहले भी इलाहाबाद ने भूकंप के झटके महसूस किए हैं, लेकिन शनिवार को जो दो झटके महसूस किए गए वह पूरी तरह से स्पष्ट थे और करीब चालीस सेकेंड तक महसूस किए गए। ऐसा पहले कभी यहां नहीं हुआ। इसीलिए हम इसे अलार्मिग स्टेज मान सकते हैं।

डेंजर जोन है फाइव

एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग अलग है। भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर चार हिस्सों जोन ख्, जोन फ्, जोन ब् तथा जोन भ् में बांटा गया है। जोन ख् सबसे कम खतरे वाला तथा जोन भ् सर्वाधिक खतरनाक जोन माना जाता है। उत्तर पूर्व के सभी राज्य जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन भ् में ही आते हैं। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन ब् में आते हैं। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन फ् में आता है। जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन ख् में आते हैं।

सेंट्रल एरिया को कम है खतरा

इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। एआर सिद्दीकी बताते हैं कि गंगा के मैदान के सेंट्रल एरिया में बसे इलाहाबाद, कानपुर, जालौन, झांसी, बांदा, फतेहपुर, इटावा, फतेहपुर, हमीरपुर ललितपुर जैसे एरिया जोन थ्री में हैं। इसलिए यहां अपेक्षाकृत कम खतरा है। वहीं ज्योग्राफी डिपार्टमेंट के प्रो। बीएन मिश्र का कहना है कि बहुत पहले तक गंगा यमुना का मैदानी क्षेत्र होने के कारण इलाहाबाद को किसी जोन में नहीं था और बिल्कुल सेफ था। लेकिन अधाधुंध कांस्ट्रक्शन व पर्यावरण को नुकसान से यह जोन थ्री में शामिल किया गया। एक शोध के मुताबिक परिस्थितियां बदल रही हैं और बेहद सुरक्षित माने जाने वाला गंगा का मैदानी क्षेत्र भी धीरे धीरे खतरे की ओर बढ़ रहा है। इस 'बिग जोन' के एल्युवियम स्वायल (भूरी-भूरी मिट्टी) की सतह पर कई भ्रंश हैं जिनके सक्रिय होने पर हिमालय क्षेत्र से आने वाली भूकंपीय तरंगे सतह को प्रभावित कर सकती हैं।

हमेशा ही बाहर रहा केन्द्र

डॉ। एआर सिद्दीकी ने बताया कि पहले भी इलाहाबाद ने भूकंप के झटके महसूस किए हैं, लेकिन इसका केन्द्र हमेशा बाहर ही रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष क्9ख्0 में सासाराम, क्9फ्ब् में इंडो-नेपाल बार्डर, क्9भ्ख् में बहराइच व गोंडा, क्9भ्ब् में नेपाल, क्9भ्म् में बुलंदशहर, क्9म्0 में गुड़गांव, क्9म्भ् में गोरखपुर, क्9म्म् में मुरादाबाद, क्99क् में उत्तरकाशी, क्999 में चमोली एवं ख्007 में गौतमबुद्धनगर में भूकंप का केन्द्र था। इसके झटके संगम नगरी में भी महसूस किए गए।

बचाव के लिए ये कर सकते हैं

--------------------

-खुले स्थान पर जाएं।

-बिल्डिंग, पेड़ों, बिजली के खंभों आदि से दूर रहें।

-लिफ्ट की बजाए सीढि़यों का इस्तेमाल करें।

-कहीं फंस गए हों तो दौड़े नहीं, इससे भूकंप का ज्यादा असर होता है।

-खिड़की, आलमारी, पंखे, ऊपर रखे भारी सामानों से दूर हट जाएं

-टेबल, बेड, डेस्क जैसी मजबूत चीजों के नीचे घुस जाएं और उनके लेग्स कसकर पकड़ लें ताकि झटकों से वह खिसकें नहीं

-कोई मजबूत चीज न हो तो किसी मजबूत दीवार से सटकर शरीर के नाजुक हिस्से को किसी मोटी चीज से ढककर घुटने के बल टेक लगाकर बैठ जाएं

-खुलते एवं बंद होते दरवाजे के पास न खड़े हों

-गाड़ी में हैं तो बिल्डिंग, होर्डिग्स, खंभों, फ्लाईओवर, पुल आदि से दूर सड़क किनारे या खुले मैदान में गाड़ी रुकवा लें