-रेलवे कालोनियों में खुलेआम चल रही हैं डेयरियां

- रेलवे ऑफिसर्स के बंगले के आउट हाउस से होता डेयरी का संचालन

- पिछले कई सालों से रेलवे प्रशासन ने इन डेयरी वालों के खिलाफ नहीं की कार्रवाई

GORAKHPUR: रेलवे के अफसरों ने अपने बंगले के आउट हाउस को डेयरी बना रखा है। जबकि यह आउट हाउस बंगले का रखरखाव करने वालों के रहने के लिए होता है। हैरानी है कि रेलवे ऑफिसर्स के आउट हाउस पर खुलेआम चल रही ये डेयरी किसी जिम्मेदार अफसर को नहीं दिखाई देती। डेयरी चलाने वाले यहां तक कहते हैं कि वे साहब को भी रोज दूध पहुंचाते हैं।

और आईनेक्स्ट ने लिया जायजा

रेलवे ऑफिसर्स बंगले के आउट हाउस और रेलवे क्वार्टर में चल रही अवैध डेयरी की शिकायत जब आईनेक्स्ट को मिली तो रिपोर्टर ने कैमरा पर्सन के साथ पूरी स्थिति का जायजा लिया। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने देखा कि ज्यादातर ऑफिसर्स बंगले के आउट हाउस में गाय और भैंसें बंधी है और डेयरी का काम लिया जा रहा है। जबकि इसके लिए स्पेशल परमिशन की जरूरत है होती है, वह भी निजी यूज के लिए। जबकि बंगले में इसका व्यावसायिक यूज किया जा रहा है। बंगले में डेयरी के चलते आसपास के लोगों को भी काफी परेशानी हो रही है।

नहीं चला सकते डेयरी

जब परमिशन को लेकर रिपोर्टर के मन में जिज्ञासा बढ़ी तो रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि रेलवे ऑफिसर के आउट हाउस और क्वार्टर में चल रहे डेयरी की परमिशन नहीं है। आउट हाउस में ज्यादातर ऑफिसर के ही नौकर रहते हैं, लेकिन वे डेयरी नहीं चला सकते हैं। लेकिन हेड क्वार्टर से सटे और रेलवे की कालोनियों में खुलेआम डेयरी का संचालन किया जा रहा है।

दूध पीने के साथ-साथ कर रहे हैं कारोबार

रेलवे के एक कर्मचारी ने बताया कि चार साल पहले एक बड़े अधिकारी ने क्वार्टर व बंगले में अवैध रूप से पशु पालने वालों पर कार्रवाई की थी, लेकिन उनके जाने के बाद से न तो डेयरी संचालकों की कोई लिस्ट बनाई गई और न कोई कार्रवाई की गई। अब तो हद ही हो गई है। जैसे-जैसे दूध का रेट बढ़ रहा है, रेलवे ऑफिसर्स और कर्मचारी दूध पीने के साथ-साथ दूध का कारोबार भी कर रहे हैं।

प्लेस - व्ही पार्क, सड़क नंबर- ब्

जब आई नेक्स्ट रिपोर्टर व्ही पार्क के बंगला नंबर चार के आउट हाउस पर पहुंचा तो वहां शमा यादव नाम का डेयरी संचालक मिला। रिपोर्टर के पूछे जाने पर बताया कि वह बगंले के अधिकारी के रहने पर यहां रहते हैं। उसने यह भी बताया कि वह साहब को रोज डेढ़ लीटर दूध पहुंचाता है, वह बिना कुछ लिए। उनकी कमाई का अंदाजा इसी से हो जाता है कि वे ग्राहकों को भ्0 रुपये लीटर तक दूध बेचते हैं।

प्लेस - कौवाबाग कालोनी, क्वार्टर नंबर 7ब्

आई नेक्स्ट रिपोर्टर जब इस बंगले पर पहुंचा तो आस पास के लोगों ने बताया कि बंगला खाली है, लेकिन यहां के आउट हाउस में रहने वाले डेयरी का संचालन करते हैं। पड़ोसियों ने बताया कि मोहल्ले के मैक्सिमम लोगों के यहीं से दूध की सप्लाई की जाती है।

प्लेस- कौवाबाग कालोनी, क्वार्टर नंबर ब्ब्फ्

आई नेक्स्ट रिपोर्टर अपने कैमरा परसन के साथ जब राजेंद्र के बंगले के पास पहुंचा तो वहा पीछे पशु बंधे मिले। हालांकि काफी ढूंढने पर भी वहां कोई नहीं मिला।

क्या है नियम

रेलवे प्रशासन की तरफ से मिली जानकारी के मुताबिक, रेलवे ऑफिसर का बंगला हो या साधारण कर्मचारी का क्वार्टर, पशु पालने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है। व्यावसायिक दृष्टि से अनुमति नहीं दी जाती है। जिस किसी को पशु पालने के लिए जरूरत पड़ती है, उसे बकायदा प्रत्येक महीने के हिसाब से पेमेंट कर आईओडब्लू के माध्यम से परमिशन लेनी होती है। तभी वह पशु रख सकता है, लेकिन पशुओं की संख्या का जिक्र करना पड़ता है।

कोट्स

डेयरी खुलने से मोहल्ले के लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं। अक्सर पशुओं के गंदगी के चलते नाली पटी रहती है।

सोनी, कालोनीवासी

नाली तो अक्सर जाम रहती है। दूध तो साहब लोग पीते हैं, लेकिन इन पशुओं के चलते जो दिक्कतें आती हैं। उस तरफ तो कोई ध्यान ही नहीं देता।

प्रेमा, कालोनीवासी

वर्जन

जिन लोगों ने अपने घरों में पशु पाल रखे हैं, अगर उन्होंने परमिशन नहीं ली होगी तो जांच कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

आलोक कुमार सिंह,

सीपीआरओ, एनई रेलवे