सबसे पहले जानते हैं सूर्यग्रहण का कारण

इस क्रम में सबसे पहले जानते हैं सूर्यग्रहण का कारण। आखिर कब होता है ये। दरअसल सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है। कहते हैं कि ये घटना तभी होती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से होकर गुजरता है। ऐसे में देखने में ये लगता है कि पृथ्वी से देखने पर सूर्य को पूरे या आंशिक रूप से चंद्रमा ने ढक लिया है। ये बन जाता है सूर्यग्रहण।

कितने तरह के होते हैं ये सूर्यग्रहण

सामान्य तौर पर सूर्यग्रहण तीन तरह के होते हैं। पहला होता है पूर्ण सूर्यग्रहण, दूसरा होता है आंशिक सूर्यग्रहण और तीसरा होता है वलयाकार सूर्यग्रहण। इनमें पूर्ण और आंशिक सूर्यग्रहण का मतलब तो नाम से ही साफ हो रहा है। मतलब जहां पूरी तरह से सूर्य ढक जाए, तो वह है पूर्ण सूर्यग्रहण। वहीं जब ये आधा ढके तो इसका मतलब है आंशिक सूर्यग्रहण। तीसरा है वलयाकार सूर्यग्रहण। ये वो खगोलीय घटना है जब पृथ्वी का उपग्रह चांद पृथ्वी से काफी दूर रहने के बावजूद पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है। इससे पृथ्वी से सूर्य की जो तस्वीर उभरती है, उसमें सूरज का बीच का हिस्सा भी ढका हुआ नजर आता है और सूर्य का बाकी हिस्सा कंगन या वलय के आकार का दिखने लगता है।

आज है ऐसा सूर्य ग्रहण

आज का सूर्य ग्रहण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, प्रशांत महासागर, अटलांटिक, अंगोला जाम्बिया, कांगो और अर्जेंटीना में देखा जा सकता है। भारत में ये कहीं-कहीं ही देखा जा सकेगा।

सिर्फ इस वजह से नहीं देखते नंगी आंखों से

कई बार लोगों को कहते सुना होगा आपने कि ग्रहण को मत देखना। ये कहने का मतलब होता है कि उसको सीधे आंखों से मत देखना। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण छिपा है। दरअसल वैज्ञानिक बताते हैं कि ग्रहण के दौरान सूर्य से तेज अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं। ये किरणें एंजाइम सिस्टम को प्रभावित कर सकती हैं। इसी वजह से लोगों को ऐसी अहतियात बरतने की सलाह दी जाती है। ऐसे में या तो आप इसको चश्मा लगाकर देखें या वैज्ञानिक टेलिस्कोप से।

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