- क्योंकि बैराज बनाने में 10-15 साल से कम नहीं लगेगा समय

- डायरेक्टर आईडब्ल्यूएआई का कहना है कि जहाज चलाने के लिए बैराज है जरूरी

- गंगा पर बैराज निर्माण में आएगा करीब 25 हजार करोड़ का खर्च

balaji.kesharwani@inext.co.in

ALLAHABAD: मोदी सरकार ने हल्दिया से इलाहाबाद के बीच जहाज चलाने और वाटरवे से इलाहाबाद को जोड़ने के सपने तो दिखाए हैं। लेकिन इस सपने का लाभ इलाहाबादियों को नहीं बल्कि, पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के लोगों को ही मिलने वाला है। इसे लेकर आईनेक्स्ट की इनवेस्टिगेटिव सिरीज जारी है।

बनेगा बैराज, तभी चल सकेगा जहाज

सोमवार को इनलैंड वाटरवे अॅथारिटी ऑफ इंडिया के क्षेत्रीय कार्यालय पटना के डायरेक्टर गुरुमुख सिंह ने बताया था कि हल्दिया से वाराणसी तक जहाज चलने लगा है। लेकिन इलाहाबाद तक जहाज रूटीन वे में तभी चल सकेगा, जब वाराणसी से इलाहाबाद के बीच में बैराज बनेगा। अगर डायरेक्टर की बात को सही माना जाए तो इलाहाबाद तक टूरिस्ट जहाज आने में कम से कम क्0-क्भ् साल जरूर लग जाएगा। क्योंकि बैराज बनाना आसान नहीं है। बैराज बनने में क्0-क्भ् साल या फिर उससे अधिक का भी समय लग सकता है।

क्योंकि बैराज बनाना आसान नहीं है

ये हम नहीं कर रहे हैं, बल्कि इनलैंड वाटरवे अथारिटी ऑफ इंडिया के सोर्सेज और वेबसाइट ये बता रही हैं। वाराणसी से इलाहाबाद के बीच बैराज बनाने की बात इसलिए की जा रही है, क्योंकि वाराणसी से इलाहाबाद के बीच गंगा में कई जगह पर वाटर लेवल कम है। जबकि जहाज चलाने के लिए ख् से तीन मीटर वाटर लेवल की जरूरत है। लीन सीजन में कहीं-कहीं वाटर लेवल एक मीटर से भी कम पहुंच जाता है। ख्00म् से ख्0क्ख् तक नेशनल वाटरवे-क् का सर्वे करने के बाद डीएचआई प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने गाजीपुर, मिर्जापुर के बबुरा और चुनार के महाराची गांव के पास बैराज बनाने का प्रोजेक्ट तैयार किया था।

ख्0 हजार करोड़ से अधिक का आएगा खर्च

आईडब्ल्यूएआई ने अगर नेशनल वाटरवे-क् पर वाराणसी से इलाहाबाद के बीच बैराज बनाने का प्रोजेक्ट पास किया तो उस पर करीब ख्0 हजार करोड़ से अधिक का खर्च आएगा। क्योंकि डीएचआई कंपनी ने ख्0क्ख् में गाजीपुर, बबुरा और चुनार के महाराची गांव में जहां बैराज बनाने का प्रोजेक्ट बनाया था, उस पर करीब ख्8 हजार करोड़ रुपए का खर्च बताया था। अब अगर वाराणसी से इलाहाबाद के बीच दो स्थान पर भी बैराज बनता है, तो उस पर ख्0 हजार करोड़ रुपए का खर्च आना तय है। जबकि मोदी सरकार ने नमामि गंगा प्रोजेक्ट के तहत अभी केवल ब्ख्00 करोड़ रुपया ही नेशनल वाटरवे के लिए जारी किया है।

क्या है बैराज

बैराज गंगा के बीच में एक तरह का बनाया जाने वाला बांध है। ताकि जिस स्थान पर वाटर लेवल कम रहता है। वहां पर वाटर लेवल को आईडब्ल्यूएआई के निर्धारित मानक तीन मीटर को मेंटेन किया जा सके। इसके लिए गंगा के नीचे खुदाई तक होती है।

इनसेट

एक कोसी था, उसे भी बनारस मंगा लिया

अगर आईडब्ल्यूएआई की प्लानिंग हल्दिया से इलाहाबाद तक जहाज चलाने की है तो क्षेत्रीय कार्यालय इलाहाबाद की सुविधाएं बढ़ाने के बजाय, सुविधाओं में कटौती क्यों की जा रही है। सुविधा के नाम पर आईडब्ल्यूएआई इलाहाबाद के पास एक मात्र कोसी जहाज था, जिससे इलाहाबाद से वाराणसी के बीच वाटर लेवल का सर्वे करने के साथ ही ड्रेनेज कंट्रोल का भी काम होता था। आईडब्ल्यूएआई डिपार्टमेंट ने कोसी जहाज को भी इलाहाबाद से छीन कर वाराणसी मंगा लिया। मंगलवार को कोसी जहाज वाराणसी चला गया। सूत्रों की मानें तो अब कोसी इलाहाबाद नहीं बल्कि वाराणसी में या फिर वाराणसी से सटे चुनार में रहेगा।

किराए के नाव से होगा सर्वे

आईडब्ल्यूएआई की टीम महीने में दो बार वाटर लेवल का सर्वे करती है। जिसके लिए जहाज की जरूरत पड़ती है। लेकिन जहाज लेने के बाद अब नाव से सर्वे करना पड़ेगा। वो भी किराए के नाव से। आईडब्ल्यूएआई ऑफिस के पास एक गाड़ी भी नहीं है। एक कोसी जहाज था, वो भी चला गया। सुविधाओं में कटौती कर वाराणसी से जोड़ दिया जाना, ये साबित करता है कि फिलहाल आईडब्ल्यूएआई का सारा प्लान वाराणसी तक ही सीमित है।