70 साल के डालमिया एन श्रीनिवासन गुट की ओर से प्रेसिडेंटशिप के उम्मीदवार थे. बंगाल क्रिकेट संघ के प्रेसिडेंट डालमिया इस पोस्ट के प्रबल दावेदार हैं, क्योंकि किसी और नाम पर सर्वसम्मति नहीं बन सकी. प्रेसिडेंटशिप नामांकन का समय संडे को दोपहर तीन बजे तक का था. लेकिन तब तक किसी और उम्मीदवार ने नामांकन नहीं किया. मंडे को बहुप्रतीक्षित वार्षिक आम सभा (एजीएम) में अन्य पदाधिकारियों का चुनाव होगा.
 
डालमिया का रास्ता इसलिए भी साफ हो गया, क्योंकि एक अन्य पूर्व अध्यक्ष शरद पवार को पूर्वी क्षेत्र से प्रस्तावक नहीं मिला. पूर्व क्षेत्र की सभी छह इकाइयां श्रीनिवासन गुट की समर्थक हैं. बीसीसीआइ सूत्रों ने कहा, ‘इस बार पूर्वी क्षेत्र की बारी थी इसलिए डालमिया के पास पूर्व से प्रस्तावक और अनुमोदनकर्ता दोनों थे.’ हालांकि पवार शनिवार को ही यहां पहुंच गए थे और उन्होंने अपने समर्थकों के साथ बैठक भी की. मजे की बात यह है कि दोनों गुट डालमिया को अपना उम्मीदवार बता रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण श्रीनिवासन मजबूर होकर अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ सके. वह चुनाव प्रक्रिया के दौरान केवल मतदान कर पाएंगे. अदालत ने श्रीनिवासन की बीसीसीआइ अध्यक्ष और आइपीएल टीम मालिक के तौर पर हितों के टकराव की कड़ी आलोचना की थी.

तीन उपाध्यक्ष का भी विरोध नहीं
आंध्र प्रदेश के गोकाराजू गंगराजू (दक्षिण क्षेत्र), असम के गौतम राय (पूर्व क्षेत्र) और जम्मू-कश्मीर के एमएल नेहरू (उत्तर क्षेत्र) का निर्विरोध उपाध्यक्ष चुना जाना तय है. शेष दो उपाध्यक्ष पदों के लिए मध्य के ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुकाबला सीके खन्ना से, जबकि पश्चिम के रवि सावंत का मुकाबला समरजीत सिंह गायकवाड़ से होगा.

पटेल को मिलेगी ठाकुर से चुनौती
सचिव पद के लिए श्रीनिवासन के वफादार वर्तमान सचिव संजय पटेल और भाजपा सांसद और हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के बीच मुकाबला होगा. गोवा के चेतन देसाई को संयुक्त सचिव पद के लिए झारखंड क्रिकेट संघ के अमिताभ चौधरी का सामना करने के लिए चुना गया है. चौधरी श्रीनिवासन गुट के सदस्य हैं. कोषाध्यक्ष पद के लिए अनिरुद्घ चौधरी और कांग्रेस सांसद राजीव शुक्ला के बीच मुकाबला होगा.

जाने डालमिया की हिस्ट्री  
 
डालमिया इससे पहले 2001 से 2004 तक बीसीसीआइ अध्यक्ष रहे थे. वैसे उन्होंने इसके बाद 2013-14 में भी थोड़े समय के लिए अध्यक्ष पद का दायित्व संभाला था जब श्रीनिवासन आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले की जांच के चलते बीसीसीआइ अध्यक्ष पद से हटे थे. 1979 में बीसीसीआइ से जुडऩे के बाद वह कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. 1997 में डालमिया आइसीसी के अध्यक्ष चुने गये थे.

कभी विकेटों के पीछे खड़ा रहने वाला एक नौजवान भारतीय क्रिकेट को अपने बूते बहुत आगे ले जाएगा, ये शायद ही किसी ने सोचा होगा. वो शख्स कोई और नहीं, बल्कि जगमोहन डालमिया हैं. क्रिकेट की दुनिया में जब भी बेहतरीन प्रशासकों की बात होती है तो पहला नाम यकीनन डालमिया का ही आता है. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) में लंबी पारी खेल चुके डालमिया एक बार फिर ‘बोर्ड के बॉस’ बन गए हैं, हालांकि इसकी ऑफीशियल आउंसमेंट मंडे को एन्युअल आम सभा (एजीएम) में होगी. 

Who is Dalmia

डालमिया रहे हैं ‘कम बैक मैन’
कोलकाता की क्रिकेट बिरादरी में ‘जग्गू दा’ के नाम से मशहूर डालमिया का बीसीसीआइ से साढ़े तीन दशकों से भी पुराना नाता है.  वह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आइसीसी) तक की कमान बखूबी संभाल चुके हैं. हालांकि एक समय ऐसा भी आया था, जब उनको चुनाव लडऩे से प्रतिबंधित कर दिया गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानते हुए वापसी की. इसके साथ ही उनके नाम के साथ ‘कम बैक मैन’ का भी तमगा चस्पा हो गया. जून, 2013 में श्रीनिवासन के अस्थायी तौर पर पद से हटने के बाद डालमिया बोर्ड के अंतरिम अध्यक्ष बने.  इसके पीछे भी कहीं न कहीं उनका ‘मास्टर स्ट्रोक’ था.

क्लब क्रिकेट से आइसीसी अध्यक्ष तक
बहुत कम लोगों को मालूम है कि डालमिया कॉलेज के दिनों में क्रिकेटर थे. वह स्कॉटिश चर्च कॉलेज की क्रिकेट टीम के विकेटकीपर थे. वह कई क्रिकेट क्लबों के लिए भी बतौर विकेटकीपर खेले थे. वह एक बार दोहरा शतक भी जड़ चुके हैं. बीसीसीआइ के साथ उनकी जुगलबंदी 1979 में शुरू हुई. 1983 में जब भारतीय क्रिकेट टीम ने कपिल देव की कप्तानी में पहला विश्व कप जीता था, तब वह बोर्ड के कोषाध्यक्ष थे. दक्षिण एशिया में 1987 और 1996 में क्रिकेट विश्व कप के आयोजन का श्रेय उन्हीं को जाता है. 1997 में वह निर्विरोध आइसीसी के अध्यक्ष चुने गए और तीन वर्षों तक उन्होंने यह पदभार संभाला. वह कई बार बीसीसीआइ अध्यक्ष बने.

गबन का आरोप लग चुका है डालमिया पर
जिंदगी में कभी न कभी बुरा वक्त सबका आता है. डालमिया भी अपवाद नहीं रहे. बीसीसीआइ में शरद पवार गुट के सक्रिय होने पर 2006 में डालमिया को फंड के गबन के आरोप में बीसीसीआइ से हटा दिया गया. उन्होंने इस फैसले को बांबे हाईकोर्ट और उसके बाद सुïप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. डालमिया के खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हो पाया और उन्हें सभी मामलों में बरी कर दिया गया. डालमिया को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल (सीएबी) के अध्यक्ष पद का चुनाव लडऩे से भी रोका गया. उन्होंने इस फैसले को भी कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी. जुलाई, 2007 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला सुनाते हुए उन्हें चुनाव लडऩे की अनुमति दे दी. डालमिया ने चुनाव लड़ा और जीता भी.

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