इंडियन सिनेमा के 100 साल

जागरण फिल्म फेस्टिवल इस बार इंडियन सिनेमा के 100 साल को समर्पित है. यह फेस्टिवल देश की राजधानी दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में 1 से 6 जुलाई तक चलेगा. दर्शकों को इसमें डॉक्यूमेंट्री, मूल्य प्रधान फिल्में और विश्व स्तरीय क्लासिक सिनेमा देखने को मिलेंगी. इनमें 'जाने भी दो यारों' और 'मधुमति' सहित 20 क्लासिक सिनेमा वर्ग में शामिल होंगी. इसके अलावा सत्यजीत रॉय की 'अप्पू त्रिलोजी', रमेश सिप्पली की 'शोले', बिमल रॉय की 'दो बीघा जमीन', गुरु दत्त की 'प्यासा', मणि रत्नम की 'नायकन', हृषिकेश मुखर्जी की 'आनंद', विजय आनंद की 'गाईड' और के आसिफ की 'मुगल-ए-आजम' भी दिखाई जाएंगी.

समाज और सिनेमा पर चर्चा

फिल्में वर्ल्ड पैनोरोमा, इंडियन शोकेस, इंडियन प्रीमियर्स, जागरण सॉर्ट्स और सिनेमा ऑफ द सेलर्स के वर्ग में फिल्में दिखाई जा रही हैं. फेस्टिवल में दर्शकों के बीच सिनेमा को लेकर चर्चा भी होती है. यही इस फेस्टिवल की खासियत है. एक्सपर्ट फिल्मी तत्व और उनके सामाजिक मूल्यों को लेकर अपनी बात रखते हैं. शामिल लोग प्रतिक्रिया भी जताते हैं.

जागरण फिल्‍म फेस्टिवल में 'इंडियन सिनेमा के 100 साल'

सात राज्य और 16 शहर

यह फिल्म फेस्टिवल सात राज्यों और 16 शहरों में आयोजित होंगे. इसकी शुरुआत दिल्ली से होगी. कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, मेरठ, देहरादून, पटना, रांची, जमशेदपुर, इंदौर, भोपाल और मुंबई में जागरण फिल्म फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा. अलग-अलग जगह पर आयोजन के हिसाब से यह फेस्टिवल देश का सबसे बड़ा फिल्म फेस्टिवल है.

आयोजन में शामिल

फेस्ट का आयोजन फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया निदेशक कर रहा है. आयोजन में फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया, फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, प्रसाद इंस्टीट्यूट, कोरियन कल्चरल सेंटर और बर्लिनाले शॉर्ट्स भी शामिल हैं.

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