-रेलवे स्टेशन सहित ट्रेनों में वारदात कम करने की जीआरपी की नायाब पहल

-जेल में बंद अपराधियों को सिखा रहे नैतिकता का पाठ

-विभिन्न धाराओं में निरूद्ध अपराधियों की कर रहे काउंसलिंग

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VARANASI

सुनने में थोड़ा अटपटा जरूर लग रहा होगा। हेडिंग पढ़कर आप सोच रहे होंगे कि जेल की बात हो रही है और ट्रेन में यात्रियों की सुरक्षा करने वाली राजकीय रेलवे पुलिस जीआरपी का जिक्र हो रहा है, आखिर जेल व जीआरपी का कनेक्शन क्या है? तो चलिए आपका यह कंफ्यूजन दूर कर देते है। दरअसल, ट्रेन में क्राइम करने के दौरान पकड़े जाने वाले अपराधियों को जीआरपी ने सुधारने का बीड़ा उठाया है। उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जिला जेल में गैंगस्टर सहित विभिन्न धाराओं में निरूद्ध अपराधियों की काउंसलिंग की जा रही है। जेल में बंद अपराधियों की काउंसलिंग के लिए परिजनों, सामाजिक संगठनों का सहारा जीआरपी ले रही है।

फरार अपराधियों के सरेंडर पर जोर

ट्रेन में अपराध करने के बाद फरार चल रहे अपराधियों का रिकॉर्ड भी जीआरपी खंगाल रही है। पिछले कुछ सालों के दौरान हार्डकोर घटनाओं जैसे डकैती, जहरखुरानी, लिफ्टिंग में नामजद अपराधियों के परिजनों को थानावार बुलाकर उनसे बातचीत की जा रही है। जीआरपी के एडीजी वीके मौर्य की पहल पर शुरू हुए इस अभियान को गति देने के लिए सीओ जीआरपी वीके श्रीवास्तव ने पिछले दिनों जिला जेल में पहुंचकर बंद अपराधियों की काउंसलिंग की। काउंसलिंग को लेकर जीआरपी की ओर से एक टीम भी गठित की गई है। इसमें इंस्पेक्टर, एसआई सहित जवान शामिल हैं।

यहां इतने पर गैंगस्टर एक्ट

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पर बनारस में है लगा गैंगस्टर एक्ट

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पर मुगलसराय में लगा है गैंगस्टर एक्ट

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पर जौनपुर में लगा है गैंगस्टर एक्ट

कहां-कितने हैं रजिस्टर्ड गैंग

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बनारस में हैं

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मुगलसराय में हैं

पकड़े गए कितने गैंग

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गैंग को बनारस में पकड़ा गया

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गैंग को मुगलसराय में पकड़ा गया

कहां कितनों की हुई काउंसलिंग

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बनारस के अपराधियों की काउंसलिंग

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मुगलसराय के अपराधियों की काउंसलिंग

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जौनपुर के अपराधियों की काउंसलिंग

दे रहे खास टिप्स

-मान लीजिए, सूटकेस की चोरी में पकडे़ गए तो फिर जेल जाने के साथ ही मुकदमे बाजी में पैसा जाएगा

-किसी यात्री का चेन या मोबाइल छिनकर भाग रहे हैं तो ट्रेन से गिरकर घायल होने पर इलाज में अथाह पैसा लगेगा, शरीर की दुर्गति होगी वह अलग से

-चंद रुपये के लालच में जहरखुरानी जैसी वारदातों को अंजाम देने से अच्छा है कि मेहनत कर कमाएं-खाएं

-सौ या चार सौ रुपये मेहनत से कमाने पर परिवार के साथ चैन से रहेंगे

वर्जन-

जेल में बंद अपराधियों से बातचीत कर उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पहल शुरू की गई है। अपराधियों के परिजनों सहित सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जा रहा है।

वीके श्रीवास्तव, सीओ जीआरपी

वाराणसी