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छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: स्टील सिटी में प्राइवेट बसों का संचालन बंद हो सकता है। ऑटो की धमाचौकड़ी, बसों की घटती संख्या, डीजल के बढ़ते दाम और लंबे समय से किराया न बढ़ने से बस संचालक मायूस हो चुके हैं। जिसके चलते बसों के संचालन पर ब्रेक लग सकता है। टाटा स्टील ने वीआईपी बस स्टेशन बना दिया है। इसके बाद भी यात्रियों की संख्या में कोई खास वृद्घि नहीं हुई। बस संचालकों का कहना है कि कुछ सालों में बसों का मेंटीनेंस काफी बढ़ गया है और उसके मुताबिक कमाई नहीं हो रही है। इस वजह से बस चलाने में दिक्कत हो रही है।

इन रूटों पर चल रहीं बसें

रूट बसों की संख्या

साकची-डिमना 9

साकची-गोविंदपुर 9

साकची-राहरगोड़ा 4

साकची-स्टेशन वाया बिष्टुपुर 14

साकची-कांड्रा 30

साकची-सुंदनगर 12

साकची-टेल्को 10

स्टूडेंट्स करते हैं सफर

शिक्षित बेरोजगार प्राइवेट बस एसोसिएशन के अध्यक्ष चेतन्न कुमार ने बताया कि बसों में रोज छात्र, छात्राएं वूमेंस कॉलेज, ग्रेजुएट, कॉपरेटिव कॉलेज, वर्कर्स कॉलेज, केएमपीएम, एलबीएसएम, लोयला, बेल्डीह, तारापोर, राजेंद्र विद्यालय, दयानंद कॉलेज, मोतीलाल नेहरु, जुस्को स्कूल सहित विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्राएं आते-जाते हैं।

छात्रों को है डिस्काउंट

शहर में स्कूल जाने वाले छात्र-छात्राएं प्राइवेट बसों में सफर कर स्कूल आते जाते है। स्कूल जाने वाले छात्रों को स्कूल आने-जाने के किराये में छूट दी जाती है। बसों का संचालन सुबह 6 बजे से शाम सात बजे तक किया जाता है।

बढ़ा किराया हुआ वापस

एसोसिएशन से मिली जानकारी के मुताबिक 2014 में बसों के किराएं में वृद्धि की गई थी, लेकिन कुछ ही दिनों में डीजल की कीमतें कम होने से लोगों ने बढ़े किराये को देना बंद कर दिया था। इसके बाद आज तक किराया नहीं बढ़ाया जा सका है।

सरकारी बसों ने भी दम तोड़ा

शहर में जेएनयूआरएम योजना के तहत जमशेदपुर अक्षेस के संरक्षण में चलाई गई 50 सिटी बसों में एक्का दुक्का ही शहर में दौड़ रही है। इनमें से लगभग 40 बसों का खराब होकर सिदगोड़ा स्थित जेएनएसी बस स्टैंड में खड़ी हैं।

मै करीम सिटी कॉलेज में पढ़ता हूं। रोज गोविंदपुर से आता हूं बस से छूट मिलने के चलते मेरा बस से किराया 15 रुपये लगते हैं, जबकि टेंपो से आने में 40 रुपये लग जाते हैं। शहर में बसों का संचालन नहीं बंद होना चाहिए।

शाकिब, गोविंदपुर

बसों के बंद होने से लोगों को दिक्कत होगी। मैं रोज कांड्रा से टाटा स्टील में जॉब करने बस से आता हूं। इससे कम किराये में यात्रा हो जाती है। बसों का संचालन बंद नहीं होना चाहिए। हर दिन हजारों लोग बसों से ही सफर करते हैं।

आनंद कुमार, कांड्रा

स्टूडेंट्स सिटी बसों में ही सफर करते हैं। बस में पांच रुपये में साकची पहुंच जाते हैं, जबकि ऑटो में 10 रुपये देने पड़ते हैं। इसलिए बसों का संचालन नहीं बंद होना चाहिए। बसों के बंद होने से सबसे अधिक दिक्कत छात्र-छात्राओं को होती है।

आरती, मानगो

2014 से किराया नहीं बढ़ा है। सुबह-शाम तो बसों में ठीक-ठाक भीड़ रहती है, लेकिन दिन में बसों को खाली ही चलाना पड़ रहा है। डीजल के दाम भी बढ़ते जा रहे हैं। इस वजह से गाड़ी का खर्चा निकालना मुश्किल हो रहा है।

विपिन कुमार, बस मालिक

बसों को चलाने में एसोसिएशन हाथ खड़े कर रहा है। बस मालिक भी बसों के चलाने को लेकर अश्वस्त नहीं हैं। खर्च बढ़ने से बस चलाने में दिक्कत हो रही है।

-चेतन्न कुमार, अध्यक्ष, शिक्षित बेरोजगार प्राइवेट बस एसोसिएशन, साकची

प्राइवेट बस स्टॉप में जगह नहीं होने से जुस्को ने नया बस स्टॉप दिया है। शहर में सरकारी बसों का संचालन ध्वस्त हो चुका है, लेकिन प्राइवेट बसों को बंद नहीं होने दिया जाएगा।

-संजय कुमार पांडेय, स्पेशल ऑफिसर, जेएनएसी