रोहिणी नक्षत्र आज

हिंदू शास्त्रों के मुताबिक भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि में हुआ था। जिससे रोहिणी नक्षत्र में जन्में प्रभु का जन्म इस दिन धूमधाम से मनाया जाता है। हालांकि इस बार जन्माष्टमी एक विशेष सयोंग में पड़ रही है। विद्वानों के मुताबिक इस बार वहीं रोहिणी नक्षत्र पड़ रहा है जिसमें प्रभु का जन्म हुआ था। यह हर साल नहीं पड़ता है। जिससे आज दुर्लभ योग है।

इस मुहूर्त में करें जन्‍माष्‍टमी पर पूजा

यह है शुभ मूहूर्त

जिससे आज पूजा के लिए शुभ मूहूर्त भी निकला है। यह रात 12 बजे से 12.45 तक का है। इसी मुहूर्त में विधिविधान से पूजा करना फलदायी होगा। इससे भगवान कृष्ण की विशेष कृपा बरसेगी। रात में प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाएगा। इसके अलावा जो लोग दूसरे दिन जन्माष्टमी मनाएंगे उनके लिए 26 अगस्त की सुबह तक 10:45 तक का शुभ समय है।

इस मुहूर्त में करें जन्‍माष्‍टमी पर पूजा

इनका लगाएं भोग

जन्माष्टमी पर पूरा दिन व्रत रखना शुभ होता है। जन्माष्टमी पर घरों में कृष्ण जी को अलग-अलग प्रसाद का भोग लगता है। घर पर तरह-तरह के मीठे पकवान बनाए जाते हैं। इस दिन धनिया की पंजीरी, और माखन मिश्री का भोग लगाना महत्वपूर्ण बताया जाता है। इसके अलावा मावा के लड्डू, खरबूजे के बीज की बर्फी व चरणामृत भी भोग के प्रसाद शामिल करने जरूरी होते है।

इस मुहूर्त में करें जन्‍माष्‍टमी पर पूजा

ऐसे करें पूजा

जन्माष्टमी पर रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मनाया जाता है। पूजा में गंगाजल, खीरा, आम का पत्ता और कलश रखना अनिवार्य होता है। इसके बाद फूल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान की पूजा करें। उन्हें नए वस्त्र धारण कराएं। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण जी की आरती करने के बाद पूरे परिवार के साथ भजन गाएं। इसके बाद शंखनाद करें और प्रसाद ग्रहण करें।

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