जेई के केसेज ने डॉक्टर्स को भी किया हैरान, बच्चों के साथ-साथ बड़ों में हो रही यह बीमारी

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JAMSHEDPUR : डिस्ट्रिक्ट में फैले जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) ने एक तरफ जहां हेल्थ डिपार्टमेंट की नींद उड़ाई है, वहीं इस बार जेई का नया ट्रेंड देखकर डॉक्टर्स भी चकरा रहे हैं। आमतौर पर यह बीमारी बच्चों में होती है, लेकिन इस बार जेई के पॉजिटिव पाए गए पेशेंट्स में ब्फ् परसेंट से ज्यादा एडल्ट हैं। कई ओल्ड एज के लोग भी जेई से पीि1ड़त हैं।

बड़ों में भी हो रहा इंफेक्शन

भारत में जेई मुख्य तौर पर पेडियाट्रिक प्रॉब्लम समझी जाती है, लेकिन अब यह बीमारी अपना रूप बदले लगी है। बच्चों के साथ-साथ बड़े भी इसका शिकार बन रहे हैं। बात जमशेदपुर की करें, तो यहां इस बार कई एडल्ट्स में जेई इंफेक्शन पाया गया है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ एसी अखौरी ने बताया कि पहली बार हुआ है कि इतनी बड़ी संख्या में एडल्ट्स में जेई पाया गया हो। इस बार माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट के पास जेई की जांच के लिए म्0 सैंपल आए, जिनमें से ख्फ् में जेई की पुष्टि हुई। जेई के इन ख्फ् केसेज में क्फ् एक से क्भ् साल तक के बच्चे और क्0 एडल्ट हैं। इनमें से दो पेशेंट्स तो 7म् वर्ष और 70 वर्ष उम्र के हैं।

डॉक्टर्स भी है हैरान

बच्चों के साथ-साथ एडल्ट में भी हो रहे जेई के मामलों में डॉक्टर्स को भी हैरान कर दिया है। डॉ एसी अखौरी ने बताया कि बच्चों में इस बीमारी के होने की ज्यादा संभावना रहती है, लेकिन कई एडल्ट भी जेई से पीडि़त पाए गए हैं, जो कि एक चौंकाने वाली बात है। उन्होंने गंदगी, वेस्ट डिस्पोजल की सही व्यवस्था नहीं होने, दूसरी जगहों से आने वाले लोगों की बड़ी संख्या के साथ-साथ मिक्स्ड इंफेक्शन को भी इसकी एक बड़ी वजह बताया।

मिक्स्ड इंफेक्शन है बड़ी वजह

डॉ अखौरी ने जेई के स्वरूप में आ रहे बदलाव की एक बड़ी वजह मिक्स्ड इंफेक्शन भी बताया। उन्होंने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को मलेरिया फैलाने वाली फीमेल एनोफिलिस, डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर या जेई के इंफेक्शन की वजह बनने वाले क्यूलेक्स मच्छरों में से एक से ज्यादा प्रजाति के मच्छरों के काटने की वजह से इंफेक्शन हो तो उसे मिक्स्ड इंफेक्शन कहा जाता है। यहां ऐसे मामले भी आ चुके हैं जिनमें एक पेशेंट को एक से ज्यादा इंफेक्शन था। उन्होंने कहा कि कोल्हान रीजन पहले ही मलेरिया इनडेमिक जोन है, ऐसे में यहां मिक्स्ड इंफेक्शन के भी ज्यादा चांसेज हैं। इन संभावित वजहों को बताते हुए उन्होंने एडल्ट्स में जेई इंफेक्शन का पता लगाने के लिए और भी रिसर्च की जरूरत के साथ-साथ इससे बचने के लिए साफ-सफाई और हेल्थ एजुकेशन की जरूरत बताई।

क्या है जापानी इंसेफ्लाइटिस

जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेई) एक वायरल डिजीज है, जो क्यूलेक्स ग्रुप के मादा मच्छरों के इंफेक्टिव बाइट से होता है। जेई वायरस प्राथमिक रूप से किसी व्यक्ति के सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। जेई का पहला केस क्87क् में जापान मे मिला था, क्9फ्भ् में जापान में जेई का इनडेमिक हुआ। भारत में जेई का पहला क्लिनिकल केस क्9भ्भ् में वेल्लोर में आया था। जेई का स्पेशिफिक एंटी वायरल मेडिसिन अवेलेवल नहीं है, इसलिए पीडि़त का ट्रीटमेंट लक्षण के आधार पर किया जाता है।

एज ग्रुप के अनुसार जेई पेशेंट्स की संख्या

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जापानी इंसेफ्लाइटिस का इंफेक्शन आमतौर पर बच्चों में होता है, लेकिन इस बार बड़ों में भी जेई के कई मामले आए हैं। इसकी एक वजह गंदगी, माइग्रेशन के साथ-साथ मिक्स्ड इंफेक्शन है। हालांकि इसके कारणों का पता लगाने के लिए अभी और रिसर्च की जरूरत है। इससे बचाव के लिए साफ-सफाई और हेल्थ एजुकेशन जरूरी है।

डॉ एसी अखौरी, एचओडी, माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट, एमजीएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल