- पॉलिटिकल पंडितों की मानें तो भाजपा-जेडीयू गठबंधन टूटने का दिखेगा असर

- दो यादव कैंडिडेट्स के बीच वोट बंटने की स्थिति में कुशवाहा को हो सकता है फायदा

PATNA: मधेपुरा लोकसभा कंस्टीट्यूएंसी जितना कोसी की बाढ़ के लिए जाना जाता है उससे ज्यादा मंडल आयोग वाले बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल के कारण जाना जाता है। यहां से इस बार राष्ट्रीय स्तर के नेता शरद यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है। उन्हें उन्हीं की जाति के दबंग नेता पप्पू यादव चुनौती दे रहे हैं। शरद यादव के लिए इस बार की राह कांटे चुभोने वाली है। शरद यादव की राष्ट्रीय छवि है। वे बिहार की सत्ता पर काबिज पार्टी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन उनका क्षेत्र में कम दिखना उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है।

शरद को ऐसे माथे पर बिठाया

शरद यादव मध्य प्रदेश के जबलपुर के रहने वाले हैं, लेकिन बिहार में उन्होंने अपनी जीत का झंडा गाड़ा। ख्009 में शरद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के रवन्द्रि चरण यादव को एक लाख 77 हजार म्ख्क् वोट से हराया था। ख्00ब् के चुनाव में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के शरद यादव को म्9 हजार 987 वोट से हराया था। तब लालू प्रसाद दो स्थान से चुनाव लड़े थे और जीत दर्ज की थी, इसलिए लालू प्रसाद ने मधेपुरा की सीट खाली कर दी। बाद में जब इस सीट पर उपचुनाव हुआ तो पप्पू यादव जीते थे।

महंगा पड़ेगा गठबंधन टूटना!

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जेडीयू का गठबंधन जब टूट रहा था तब राजनीतिक गलयिारे में इस बात की खूब चर्चा थी किनीतीश कुमार की जिद्द की वजह से गठबंधन टूट रहा है। शरद नहीं चाहते थे कि गठबंधन टूटे। अब बीजेपी ने मधेपुरा से नीतीश गवर्नमेंट की इंडस्ट्री एंड डिजास्टर मैनेजमेंट की एक्स मिनिस्टर रेणु कुशवाहा के हसबैंड विजय सिंह कुशवाहा को उतारा है। हालांकि शरद यादव और पप्पू यादव की तुलना में बीजेपी ने कमजोर कैंडिडेट दिया है, लेकिन बिहार सहित पूरे देश में पॉलिटिकल सिनारियो और नमो की हवा को देखते हुए भाजपा कैंडिडेट को कमतर आंकना भूल साबित हो सकती है और फिर एलजेपी सहित रालोसपा गठबंधन का भी उन्हें फायदा मिलेगा। नरेन्द्र मोदी की पूर्णिया रैली में विजय ंिसंह कुशवाहा के शामिल होने के बाद ही उनकी पत्नी रेणु कुशवाहा ने मिनिस्टर का पद छोड़ दिया था। अब रेणु अपने पति को जिताने में लगी हैं।

सबसे बड़ी बात

मधेपुरा में इस बार वोटरों का बड़ा वर्ग चाहता है कि क्षेत्रीय उम्मीदवार चुनाव जीते। इस लिहाज से पप्पू यादव दमदार उम्मीदवार हैं। पप्पू यादव पर सीपीएम लीडर अजीत सरकार की हत्या का आरोप लगा था। वे जेल में भी रहे। लेकिन हाईकोर्ट ने सबूत के अभाव में उन्हें बरी कर दिया। शरद यादव के बारे में लोगों की आम राय है वे क्षेत्र में कम आते हैं। यादवों की संख्या यहां अच्छी है, लेकिन चूंकि इस जाति के दो दमदार कैंडिडेट मैदान में हैं इसलिए वोट बंटने पर अगले को फायदा हो सकता है। बिहार में अपनी जाति के वोट बैंक पर शरद यादव से ज्यादा पकड़ लालू प्रसाद का माना जाता है। लेकिन मधेपुरा तो मधेपुरा है। पढ़े-लिखे और समझदार यादवों का गढ़। इन्हें मालूम है कि इस सीट पर देश की नजर रहेगी।

कुल वोटर : क्भ्म्म्फ्म्फ्

मेल : 8ख्8ब्9ब्

फीमेल : 7फ्78म्9

अब तक रहे सांसद

क्9म्7- बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल (एसएसपी)

क्97क्- चौधरी राजेंद्र प्रसाद यादव (कांग्रेस उर्स)

क्977- बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल (जनता पार्टी)

क्980- चौधरी राजेंद्र प्रसाद यादव (कांग्रेस उर्स)

क्98ब्- महावीर प्रसाद यादव (कांग्रेस)

क्989- रमेंद्र कुमार यादव 'रवि' (जनता दल)

क्99क्- शरद यादव (जनता यादव)

क्99म्- शरद यादव (जनता दल)

क्998- लालू प्रसाद यादव (राजद)

क्999- शरद यादव (जदयू)

ख्00ब्- लालू प्रसाद यादव (राजद)

ख्00ब् (उपचुनाव)- राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव (राजद)

ख्009- शरद यादव (जदयू)

विधानसभा क्षेत्र पर कब्जा

क्। आलम नगर- नरेंद्र नारायण यादव (जदयू)

ख्। बिहारीगंज- रेणू कुमारी कुशवाहा (जदयू)

फ्। मधेपुरा- चंद्रशेखर (राजद)

(तीनों क्षेत्र मधेपुरा जिला में)

ब्। सोनवर्षा (रिजर्व)- रत्नेश सादा (जदयू)

भ्। महिषी - अब्दुल गफूर (राजद)

म्। सहरसा- आलोक रंजन (भाजपा)

(तीनों क्षेत्र सहरसा जिले में)