- धनतेरस को लेकर बाजारों से लेकर घरों तक बढ़ी रौनक

- सोने-चांदी से लेकर बर्तन आदि की होगी खरीदारी

GORAKHPUR: धनतेरस को लेकर शहर के बाजारों से लेकर घरों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। बाजार में जहां व्यापारियों ने इसे लेकर खास इंतजाम किए हैं, वहीं घरों में भी इस दिन की जाने वाली खरीदारी को लेकर पूरी प्लानिंग हो चुकी है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार दिवाली की शुरुआत के रूप में चिन्हित होने के अलावा, धनतेरस कार्तिक महीने का तेरहवां दिन भी होता है। धनतेरस देश भर में हिंदू परिवारों और दुनिया के लिए एक शुभ अवसर होता है। ऐसे में माना जाता है कि इस दिन की जाने वाली खरीदारी लोगों के लिए काफी शुभ होती है।

मां लक्ष्मी को करें प्रसन्न, घर में आएगा धन

धनतेरस शब्द को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। हिंदी में धन का अर्थ होता है धन और शब्द तेरस का अर्थ है तेरह। इस प्रकार धनतेरस के दिन, हिंदू देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं, जो धन की देवी हैं। धनतेरस से हिंदू लोग दिवाली के बेहद लोकप्रिय त्योहार की शुरुआत करते हैं।

शुभ होती है खरीदारी

ज्योर्तिविद पं। नरेंद्र उपाध्याय ने बताया कि धनतेरस हिंदू परिवारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि धनतेरस के शुभ दिन पर लोग नए बर्तन, सोना/चांदी खरीदना शुभ मनाते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी खुश होकर परिवारों पर धन की वर्षा करती हैं। वास्तव में, धनतेरस पर पूजा न केवल देवी लक्ष्मी के लिए की जाती है बल्कि कुबेर के लिए भी यह पूजा की जाती है, जो धन के देवता हैं। धनतेरस पर कई परिवारों में देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर दोनों की पूजा की जाती है, क्योंकि यह भगवान से मांगी प्रार्थनाओं के लाभ को दोगुना कर देता है।

ये चीजें खरीदना है अशुभ

अक्षय ज्योतिष संस्थान के ज्योतिषी पं। रविशंकर पांडेय के मुताबिक धनतेरस पर शीशा खरीदना ज्योतिष के अनुसार अशुभ माना गया है। इसका कारण है की शीशा का संबंध राहू से है इसलिए शीशे से बनी वस्तुओं की खरीदारी से बचना चाहिए। अगर शीशा खरीदना बाध्यता है तो ध्यान रखना चाहिए कि धुंधला और पारदर्शी ना हो। वहीं अल्युमिनियम की खरीदारी भी ज्योतिषियों ने खराब माना है। क्योंकि सभी शुभ ग्रह इस धातु से प्रभावित होते हैं। इसके अलावे वास्तु की दृष्टि से भी अल्युमिनियम को अच्छा नहीं माना गया है। इस दिन किचन के काम में आने वाली नुकीली वस्तुएं जैसे चाकू और लोहे की वस्तुएं और बर्तन नहीं खरीदने चाहिए। धनतेरस में खरीदारी की परंपरा और मान्यता दोनों ही हैं। इस दिन मान्यता है कि जैसे माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं, ठीक उसी प्रकार भगवान धन्वंतरी भी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए थे। तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। इसलिए इस दिन सोना, चांदी, तांबा और पीतल के समान एवं बर्तन खरीदने की परंपरा शास्त्रों के अनुसार सदियों से चली आ रही है।

धनतेरस पर पूजा का मुहूर्त

धनतेरस पर पूजा का समय - 19.32 अपराह्न से रात 8.18 बजे तक

प्रदोष काल - शाम 5.49 बजे से रात 8.18 बजे तक

वृषभ काल - शाम 7.32 से रात 9.33 बजे तक

17 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि सुबह 12 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी।

18 अक्टूबर को त्रयोदशी तिथि सुबह 8 बजे समाप्त होगी।

सूर्योदय के बाद शुरू होने वाले प्रदोषकाल के दौरान लक्ष्मी पूजा की जानी चाहिए।