NAINITAL: कॉर्बेट नेशनल पार्क में वन्यजीवों की दावत की तैयारी हो रही है। पार्क में 8 ग्रासलैंड डेवलप किए जाने की कवायद रामनगर फॉरेस्ट डिविजन में शुरू कर दी गई है। इन ग्रासलैंड्स पर खर-पतवारों का कब्जा है जो वन्यजीवों के लिए दूसरा चारा नहीं पनपने दे रहे। मध्यप्रदेश से आए विशेषज्ञों की मदद से इन खरपतवारों को हटाया जाएगा और इनके स्थान पर चारे का उत्पादन किया जाएगा।

 

एमपी के विशेषज्ञों से मदद

वन्यजीवों के लिए ग्रासलैंड्स ही सबसे बेहतर पर्यावास होते हैं। दरअसल ग्रासलैंड्स शाकाहारी जीवों के चरागाह होते हैं और इसीलिए मांसाहारी जीव भी इन्हीं इलाकों में शिकार के लिए घूमते हैं। चरागाहों में खाने लायक चारा न होने की सूरत में शाकाहारी जीव दूसरे स्थानों पर चारे के लिए भटकते हैं और मांसाहारी जीवों को भी शिकार नहीं मिल पाता। कॉर्बेट लैंडस्केप के रामनगर फॉरेस्ट डिविजन में जो ग्रासलैंड हैं, उनमें कई तरह की खरपतवार भी हैं जो दूसरी प्रजाति के चारे को उगने नहीं देती। ऐसे में चीतल, सांभर, पाड़ा व हाथियों को चारा नहीं मिल पाता। यह खरपतवार वन्य जीवों की पंसदीदा प्रजाति के चारे के उगने में बाधक बनी है। ग्रासलैंड से खरपतवार हटाने व वन्य जीवों की निर्भरता वाली घास लगाने के लिए इन दिनों मध्यप्रदेश से वनस्पति विशेषज्ञ मुरातकर पहुंचे हैं। मुरातकार मध्यप्रदेश, उड़ीसा व छत्तीसगढ़ में बेहतर ग्रासलैंड विकसित कर चुके हैं। रामनगर फॉरेस्ट डिविजन भी उनकी मदद ले रहा है।

 

 

हटाई जाएंगे ये खरपतवार

लैंटाना, गाजर घास, काला बासा, वन तुलसी, पाती।

 

लगाया जाएगा यह चारा

खस, दूब, गोरिया, कुमेरिया, फिरकिरी, बाबड़, पेनीकम, कांस, कुस।

 

 

 

यहां विकसित होंगे ग्रासलैंड

- कोसी रेंज में जमनिया चौड़

- कोटा रेंज में चौफला, भंडार पानी, कालीगाड़, कुंआचौड़

- देचौरी रेंज में हाथी गलियार, सांदनी चौड़

- कालाढूंगी में ढापला।

 

 

वनकर्मियों को मध्यप्रदेश के विशेषज्ञ द्वारा ट्रेंड किया जा रहा है। कर्मचारियों को बताया जा रहा है कि किस महीने में कौन सी खरपतवार हटानी है। साथ ही घास को पहचानने व कौन सी घास किस जानवर के लिए है, कौन सा क्षेत्र किस घास के लिए बेहतर है, इसकी जानकारी भी दी जा रही है।

- नेहा वर्मा, डीएफओ, फॉरेस्ट डिविजन रामनगर.