-हाईकोर्ट के पूर्व जज ने जांच में भी पाया नियुक्ति घोटाला

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PATNA: बिहार में सृजन घोटाले के बाद एक और बड़ा घोटाला सामने आया है। मामला बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, सबौर का है। यहां असिस्टेंट प्रोफेसर कम जूनियर साइंटिस्ट की क्म्क् पदों पर बहाली निकाली गई थी। आरोप है कि पैसे लेकर इंटरव्यू में अयोग्य को भी पास कर दिया गया। इसका खुलासा आरटीआई में हुआ। इसके बाद यह मामला तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद के समक्ष पहुंचा। पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज सैयद महफूज आलम के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच रिपोर्ट तैयार की गई। विस्तृत जांच रिपोर्ट में भी इसकी पुष्टि की गई है कि जानबूझ कर कम एकेडमिक रिकॉर्ड वाले कैंडिडेट्स को अधिक जबकि बेहतरीन स्टूडेंट्स को 0.क्, 0.भ् जैसे मा‌र्क्स देकर सलेक्शन से रोका गया।

बिना प्रजेंटेशन मिले मा‌र्क्स?

एकेडमिक मा‌र्क्स 80, पावर प्वॉइंट प्रजेंटेशन के क्0 मा‌र्क्स और क्0 मा‌र्क्स इंटरव्यू का था। तीनों ही सेक्शन में सलेक्शन बोर्ड ने मनमाना रवैया अपनाया। जस्टिस महफूज आलम की रिपोर्ट में इसका जिक्र है कि पावर प्वॉइंट प्रजेंटेशन लिया ही नहीं गया। इसके बिना ही मनमाफिक तरीके से मा‌र्क्स दिए गए। साथ ही यह बात भी सामने आया कि जिन कैंडिडेट्स का रिसर्च वर्क, बुक प?िलसिंग आदि नहीं था, उन्हें इंटरव्यू में अधिक नंबर दिए गए। जांच रिपोर्ट में यह माना गया है कि बिहार एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, सबौर के तत्कालीन वीसी और सलेक्शन बोर्ड के चेयरमैन डॉ मेवालाल चौधरी थे। इसलिए इस धांधली में उन्हें दोषी माना जाता है। मामला इतना ही नहीं है। जो नेट क्वालिफाइड नहीं थे, उन्हें भी इस नियुक्तिप्रक्रिया में शामिल किया गया।

जांच में जो बातें सामने आयी

- पावर प्वॉइंट प्रजेंटेशन नहीं कराया ।

- ब्7 कैंडिडेट बिना नेट पास ही नियुक्तिप्रक्रिया में शामिल।

-एकेडमिक मा‌र्क्स की अनदेखी कर इंटरव्यू में मनमाना मा‌र्क्स दिया गया।

-फ्7 सफल कैंडिडेट्स को इंटरव्यू में दिया गया शत प्रतिशत मा‌र्क्स।

-नियुक्तिसे पहले ही तत्कालीन वीसी एवं सलेक्शन बोर्ड के अध्यक्ष मेवालाल ने की धांधली।

-पीपीपी में शामिल नौ एक्सपर्ट ने स्वीकार की गड़बड़ी।