रक्षा सौदा बढ़ाने पर चर्चा
सूत्रों के मुताबिक, मोदी-केरी की मुलाकात में द्विपक्षीय व्यापार के लिये रक्षा सौदा बढ़ाने पर चर्चा की गयी. इसके साथ ही दोनो नेताओं के बीच आतंकवाद की समस्या और अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर भी विचार-विमर्श किया गया. मीटिंग के दौरान मोदी और केरी ने परमाणु ऊर्जा सहयोग पर भी बातचीत की. इस दौरान मोदी के अमेरिका जाने के प्लान पर भी चर्चा हुई.

यूपीए सरकार ने लगाई थी वीजा पर रोक
अमेरिका से रवानगी के वक्त से ही केरी पर मोदी का रंग चढ़ा हुआ है. दिल्ली में भी उन्होंने मोदी के नारे 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे को दोहराया. जॉन केरी के इस तरह के रुख को देखते हुये ये तो तय है कि अमेरिका एक अरसे के बाद बैकफुट पर दिखा है. जासूसी मामले को लेकर भारत ने खरी-खरी सुनाई और इसमें अमेरिका को कुछ कहते नहीं बना. यहां तक की ओबामा सरकार ने मोदी वीजा विवाद का ठीकरा भी पिछली सरकार पर फोड़ दिया. मोदी से मुलाकात से पहले केरी ने वीजा विवाद से भी पल्ला झाड़ लिया. केरी ने कहा कि पिछली सरकार ने मोदी के वीजा पर रोक लगाई थी, उनकी सरकार तो मोदी को वीजा देने जा रही है. गौरतलब है कि 2002 के गुजरात दंगों की वजह से अमेरिका ने मोदी को वीजा देने से मना कर दिया था.

सुषमा ने सुनाई दो टूक

इससे पहले, गुरूवार को साझा प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जब भारतीय नेताओं पर जासूसी का सवाल उठा तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बेझिझक बताया कि ये मुद्दा भी उठा और अमेरिका को खरी-खरी सुना दी गई. अचानक उठे इस सवाल का जवाब केरी नहीं दे पाये और वे बैकफुट पर आ गये. गौरतलब है कि विसिलब्लोअर एडवर्ड स्नोडेन ने यह खुलासा कर सनसनी फैला दी थी कि अमेरिकी सरकार ने खुफिया एजेंसी को बीजेपी नेताओं की जासूसी करने के लिये हरी झंडी दे दी है. हालांकि ये 2010 का मामला है.

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