RANCHI : झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन की फिफ्थ सिविल सर्विसेज के मेन्स एग्जाम पर सस्पेंस बना हुआ है। 16 जून से ही मेन्स एग्जाम होना था, पर ऐन मौके पर हेमंत सरकार ने तत्काल प्रभाव से एग्जाम पर रोक लगा दी। मेन्स पर रोक लगे एक महीने से ज्यादा हो चुके हैं, पर इसपर कोई फैसला सरकार नहीं ले पाई है। इस बाबत जेपीएससी की ओर से मेन्स एग्जाम पर रोक हटाने के लिए कार्मिक विभाग को लेटर भेजा जा चुका है, पर उसे एग्जाम कंडक्ट कराने के लिए परमिशन नहीं मिल पाई। ऐसे में वैसे कैंडिडेट्स सबसे ज्यादा परेशान हैं, जिन्हें मेन्स में शामिल होना है। मेन्स पर बने सस्पेंस की वजह से कैंडिडेट्स की तैयारियों पर असर पड़ रहा है।

क्या है मामला?

फिफ्थ सिविल सर्विसेज के असफल अभ्यर्थियों का आरोप है कि जेपीएससी ने पीटी के रिजल्ट में रिजर्वेशन पॉलिसी का पालन नहीं किया। इतना ही नहीं, पीटी में क्वालिफाई करनेवाले ज्यादातर कैंडिडेट्स झारखंड की बजाय अदर स्टेट के हैं। इसके अलावे पीटी के ओएमआर शीट में सिर्फ सब्जेक्ट कोड गलत भरनेवाले कई कैंडिडेट्स का रिजल्ट पेंडिंग में डाल दिया गया। जेपीएससी की रिजल्ट बनाने में की गई इस गलती का खामियाजा हजारों कैंडिडेट्स को भुगतना पड़ा। कैंडिडेट्स का यह भी कहना है कि जब सरकार ने रिजर्वेशन पॉलिसी बनाई है तो इसमें छेड़छाड़ करने का कोई अधिकार जेपीएससी को नहीं है। ऐसे में जेपीएससी पीटी का या तो रिवाइज्ड रिजल्ट निकाले या फिर एग्जाम कैंसिल कर नए सिरे से एग्जाम ले। हालांकि, पीटी रिजल्ट में किसी भी तरह की गड़बड़ी से जेपीएससी ने इंकार किया है।

हंगामा व विरोध-प्रदर्शन

फिफ्थ सिविल सर्विसेज पीटी का रिजल्ट पब्लिश होने के बाद असफल कैंडिडेट्स का हंगामा व विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया था। सरकार से लेकर आयोग के ऑफिस तक कैंडिडेट्स ने धरना-प्रदर्शन के साथ नारेबाजी की। इस बीच जेपीएससी ने मेन्स एग्जाम की डेट अनाउंस करने के साथ शिड्यूल भी जारी कर दी, लेकिन कैंडिडेट्स रिवाइज्ड रिजल्ट अथवा एग्जाम कैंसिल कराने की मुहिम में लगे रहे। इन कैंडिडेट्स ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुखदेव भगत और तृणमूल कांग्रेस के बंधु तिर्की समेत कई मंत्रियों, विधायकों एवं नेताओं से संपर्क साधा और रिजल्ट में बरती गई गड़बडि़यों की जानकारी दी। इन नेताओं के जरिए फिफ्थ सिविल सर्विसेज का मामला सरकार के पास पहुंचा। एग्जाम से जुड़े तमाम मुद्दों पर पैदा विवाद को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 16 जून से शुरू होनेवाले मेन्स पर रोक लगाने का निर्देश दिया था।

सरकार नहीं ले पा रही कोई निर्णय

जेपीएससी के फिफ्थ सिविल सर्विसेज के मेन्स एग्जाम पर रोक लगे एक महीने से ज्यादा हो चुके हैं। ऐसे में मेन्स पर रोक हटेगी या रिवाइज्ड रिजल्ट निकलेगा अथवा एग्जाम कैंसिल होगा, इसपर सस्पेंस बरकरार है। सरकार इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं ले पा रही है। सरकार की ओर से न तो मेन्स एग्जाम पर रोक हटाई गई है और न ही एग्जाम अथवा रिजल्ट को लेकर कोई दिशा निर्देश जेपीएससी को दिया गया है। इस वजह से मेन्स के लिए क्वालिफाई करनेवाले कैंडिडेट्स तो परेशान हैं ही, साथ ही असफल कैंडिडेट्स को भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि आखिर सरकार का क्या फैसला होगा।

कट ऑफ डेट पर भी विवाद

जेपीएससी के फिफ्थ सिविल सर्विसेज एग्जाम का मामला शुरू से ही विवादों के घेरे में रहा है। जब फिफ्थ सिविल सर्विसेज के लिए एडवर्टिजमेंट पब्लिश किया गया तो कट ऑफ डेट को लेकर विवाद हुआ। जेपीएससी ने कट ऑफ डेट को एक अगस्त 2009 कर दिया था, जबकि फोर्थ सिविल सर्विसेज के लिए कट ऑफ डेट 2006 था। ऐसे में कट ऑफ डेट को तीन साल आगे बढ़ाने का कैंडिडेट्स ने जमकर विरोध किया था, हालांकि जेपीएससी ने कट ऑफ डेट को बढ़ाने से इंकार कर दिया था। आखिरकार इसी कट ऑफ डेट की बेसिस पर कैंडिडेट्स को फॉर्म भरने पड़े थे।