- एलयू में रद्दी के टेंडर को लेकर स्टूडेंट्स ने किया घेराव

- छात्रनेताओं ने कहा, टेंडर से एक घंटे पूर्व रखा गया बक्सा

- कुलसचिव पर मनमानी करने का लगाया आरोप

LUCKNOW: लखनऊ यूनिवर्सिटी में रद्दी की टेंडर प्रक्रिया एक बार फिर विवादों में आ गई है। गुरुवार को टेंडर खोलते समय यूनिवर्सिटी के छात्रनेताओं ने घेराव कर टेंडर पर विरोध दर्ज कराया। उन्होंने आचार संहिता में टेंडर करने और टेंडर खोलने से मात्र एक घंटा पूर्व ही बक्सा प्रॉक्टर ऑफिस में रखने पर विरोध किया।

छात्र नेता ने लगाया आरोप

छात्रनेता शमी कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ यूनिवर्सिटी में रद्दी का तीसरी बार टेंडर प्रक्रिया का विज्ञापन क्क् अप्रैल की रात को दिया गया। विज्ञापन के बाद से टेंडर डालने का बक्सा प्रॉक्टर ऑफिस क्ख् अप्रैल से रख देना चाहिए था, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने टेंडर खोलने के मात्र एक घंटा पूर्व ही बक्सा वहां पर रखा।

बनी है छह सदस्यीय समिति

छात्र नेता शमी सिंह का कहना है कि इस टेंडर प्रक्रिया में छह सदस्यीय समिति बनी हुई है, जिसमें परीक्षा नियंत्रक प्रो। एके शर्मा, वित्त अधिकारी प्रो। ए चटर्जी, प्रॉक्टर प्रो। मनोज दीक्षित, उपकुलसचिव रामचंद्र अवस्थी, रत्नेश्वर भारती लेखाधिकारी और कुलसचिव अमिताभ प्रकाश हैं।

जब मांगा जवाब

मौके पर मौजूद परीक्षा नियंत्रक, उपकुलसचिव और लेखाधिकारी से छात्रनेताओं ने एक घंटा पहले बक्सा रखने और आचार संहिता में टेंडर करने का स्पष्टीकरण मांगा तो सभी चुप्पी साध गए और बताया कि इसका जवाब कुलसचिव ही देंगे। वहीं छात्रनेता दुर्गेश कुमार सिंह ने बताया कि कुलसचिव के टेंडर की अवैध और अनैतिक कार्यो को अविलंब रोकने के लिए क्म् अप्रैल को कुलपति कार्यालय में ज्ञापन सौंपा है। छात्रनेता ने बताया कि इस पर कार्यकारी कुलपति प्रो। एकेसेन गुप्ता ने अफसोस व्यक्त किया है।

फिर टाली प्रक्रिया

छात्रनेता वेद प्रकाश यादव ने आरोप लगाया कि यूनिवर्सिटी के कुलसचिव व्यक्तिगत लाभ के लिए दो बार टेंडर प्रक्रिया स्थगित कर चुके हैं और अब तीसरी बार टेंडर डाल रहे हैं। छात्रनेताओं ने टेंडर प्रक्रिया को निरस्त कर फिर से निकालने की मांग की है। इस पर छात्रनेताओं और कुलसचिव के बीच इस बात पर जमकर बहस भी हुआ। जिस पर कुलसचिव ने अंतिम में टेंडर प्रक्रिया को आगे के लिए टाल दिया। यूनिवर्सिटी ने यह मामला वीसी के आने तक के लिए टाल दिया है।