ये बीस डॉलर के सिक्के हैं जिन पर दो बाज़ उकेरे गए हैं। ऐसे सिक्के 1933 में ढाले गए थे लेकिन उन्हें कभी भी जनता के उपयोग के लिए जारी नहीं किया गया।

जिस महिला के पास से ये सिक्के बरामद किए गए हैं वो फ़िलाडेल्फ़िया प्रांत की रहने वाली है। उनका कहना है कि उन्हें ये दुर्लभ सिक्के अपने पिता की मृत्यु के बाद तिजोरी में मिले।

दुर्लभतम सिक्के

अब ये मामला अदालत में पहुँच गया है और जज ही तय करेंगे कि सिक्कों का असली मालिक कौन है। वॉशिंगटन में बीबीसी संवाददाता जेन ओ’ब्रायन का कहना है कि दो बाज़ वाले सिक्कों को दुनिया में दुर्लभतम माना जाता है।

लेकिन तीस के दशक में जब मुद्रा की क़ीमत सोने के आधार पर तय किया जाना बंद हुआ, अमरीकी सरकार ने दो बाज़ वाले ऐसे ज़्यादातर सिक्कों को नष्ट कर दिया।

ऐसे दो सिक्के अजायबघर में रखे गए हैं और एक मिस्र के शाह फ़ारुख़ के पास था। बाद में इसे 75 लाख डॉलर की क़ीमत में बेचा गया। बाक़ी सभी सिक्के ग़ायब हो गए।

अब इतने वर्षों बाद फ़िलाडेल्फ़िया की जोन लैंगबर्ड को ये सिक्के उनके पिता की मृत्यु के बाद उनकी तिजोरी से मिले हैं। जोन के पिता एक ज़माने में जौहरी का काम करते थे।

मिलीभगत?

अमरीकी ख़ुफ़िया विभाग के अधिकारियों का दावा है कि जोन लैंगबर्ड के पिता ने अमरीकी टकसाल के किसी कर्मचारी की मिलीभगत से सत्तर साल पहले इन सिक्कों को चुराया होगा।

लेकिन जोन का कहना है कि उनके पिता सोने का कारोबार भी करते थे और इस सिलसिले में टकसाल के साथ भी उनका संपर्क रहता था। इसलिए जोन के मुताबिक़ उनके पिता ने ये सिक्के क़ानूनी तरीक़े से हासिल किए हो सकते हैं।

लेकिन अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि उनकी मृत्यु के बाद उनकी तिजोरी को किराए पर दे दिया गया था और जोन लैंगबर्ड की पूरी कहानी में काफ़ी झोल हैं।

एक ज्यूरी ने अभी सरकार के पक्ष में अपनी राय ज़ाहिर की है और इन बेशक़ीमती सिक्कों को हिफ़ाज़त से रखने के लिए फ़ोर्ट नॉक्स भेज दिया गया है। अब इंतज़ार है अदालत के फ़ैसले का जिसके बाद तय होगा कि सिक्के सरकार के हैं या जोन लैंगबर्ड के।

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