रविवार को तालिबान ने काबुल में अफगान संसद, कई पश्चिमी देशों के दूतावासों और देश के कई प्रांतों में हमले किए। अधिकारियों ने बताया कि इस पूरी कार्रवाई में 17 बंदूकधारी और एक पुलिस अफसर मारे गए है। उन्होंने कहा कि दो संदिग्ध आत्मघाती हमलावर भी पकड़े गए हैं।

अफगान सरकार के मुताबिक इनका इरादा देश के उपराष्ट्रपति मोहम्मग करीम खलीली को मारने का था। अफगान पुलिस प्रमुख के प्रवक्ता ने बताया कि शहर के पश्चिमी इलाके में संसद के पास लड़ रहा आखिरी हमलावर सोमवार तड़के मारा गया। इससे पहले सुरक्षा बलों ने चरमपंथियों को राजधानी के केंद्रीय इलाके से बाहर कर दिया। इसी इलाके में कई देशों के दूतावास हैं।

तालिबान जिम्मेदार

राजधानी काबुल के अलावा चरमपंथियों ने लोगार, पकतिया और नांगहार प्रांतों में भी हमले किए। तालिबान ने इन सभी हमलों की जिम्मेदारी ली है।

काबुल में ब्रितानी, जर्मन और रूसी दूतावासों के साथ साथ नाटो मुख्यालय और अफगान संसद को निशाना बनाया गया। अफगान राजधानी में यह छह महीनों में सबसे बड़ा हमला बताया जा रहा है।

हमलों के जवाब में नाटो सेना ने कार्रवाई की जो रात भर चली। जब सोमवार की सुबह लोग जगे तो उन्हें गोलीबारी और आसमान में उड़ते हेलीकॉप्टरों की आवाजें सुनाई दे रही थीं।

18 घंटे का घमासान

विशेष बल उस निर्माणाधीन इमारत में घुस गए जिसे हमलावर अपने ठिकाने के तौर पर इस्तेमाल कर रहे थे। वहां से वे 18 घंटे तक ग्रेनेड से चलने वाले रॉकेट और मशीनगनों से अंतरराष्ट्रीय इमारतों को निशाना बनाते रहे जिनमें ब्रितानी और जर्मन दूतावास भी शामिल हैं।

ऐसी भी खबरें हैं कि चरमपंथियों ने कुछ मजदूरों को बंधक बना लिया है। काबुल में पिछला बड़ा हमला सितंबर में हुआ जब चरमपंथियों ने अमरीकी दूतावास और नाटो के मुख्यालय पर हमला किया। पिछले हफ्ते ही तालिबान ने बड़े हमलों की धमकी दी थी।

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