-शहर में जगह-जगह लगा है कूड़े का ढेर

-सड़ने से बाद निकलने वाली गैसें सेहत के लिए खतरनाक

-जलाकर ही निस्तारित कर देते हैं कचरा, धुआं पैदा कर रहा संकट

ALLAHABAD: एक तरफ तो सफाई अभियान जोरों पर चल रहा है। लेकिन कचरे के डंपिंग और निस्तारण की व्यवस्था आज भी वही, वर्षो पुरानी है। इससे जो स्थिति बनती है वह शहरवासियों की सेहत का दम घोंट रही है। जगह-जगह कचरों का ढेर और कचरे की सड़न और इसे जलाने से निकलने वाला धुआं शहर की आबोहवा में जहर घोल रहा है। इस धुएं से लोगों को सांस और आंख की कई बीमारियां हो रही हैं।

बढ़ रहा पीएम-10 और पीएम-2.5

सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़कों की हो रही खोदाई और खुले में पड़े कचरे के ढेर के कारण इससे उठती धूल की वजह से हवा में पर्टिकुलेट मैटर (पीएम-10) का स्तर तीन से चार गुना तक बढ़ गया है। इसकी वजह से लोगों को घुटन महसूस हो रही है। पूरे शहर में जगह-जगह सड़क के किनारे कूड़े का अड्डा बना है। पीएम-10 का मानक 100 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर है, लेकिन वर्तमान में शहर के कई इलाकों में पीएम-10 का स्तर 300 से 400 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया है।

बॉक्स

-650 मीट्रिक टन कचरा शहर में पर डे निकलता है। फिलहाल बंसवार स्थित नगर निगम का गार्बेज ट्रीटमेंट प्लांट में शहर और बाहरी हिस्सों के कचरे को निस्तारित करने की जिम्मेदारी है। लेकिन यह पर्याप्त नहीं साबित हो पा रहा है।

-नैनी और फाफामऊ में पर डे निकलने वाले कचरे को बसवार प्लांट तक ले जाने में नगर निगम को समय के साथ ही अधिक धन खर्च करना पड़ रहा है।

-बसवार प्लांट का लोड कम करने और गंगा व यमुना कछार से निकलने वाले कचरे को वहीं निस्तारित करने के लिए नगर निगम ने नैनी और फाफामऊ में ही कूड़ा निस्तारण केंद्र स्थापित करने का प्लान है, जिसके लिए जमीन की तलाश की जा रही है।

वर्जन-

शहर से निकलने वाले कचरे का पूरा निस्तारण हो सके इसकी पूरी कोशिश हो रही है। नैनी और फाफामऊ से कचरा बसवार प्लांट तक लाने और निस्तारण में दिक्कत होती है। इसलिए नैनी और फाफामऊ में ही गार्बेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने का प्लान है।

-हरिकेश चौरसिया, नगर आयुक्त

वर्जन-

वायु प्रदूषण बढ़ने का बड़ा कारण सड़कों की खोदाई और खुले में पड़ा रहने वाला कूड़ा है। इससे उठती धूल और गंदगी के कारण पीएम-10 का स्तर बढ़ रहा है। सड़क खोदाई गाइडलाइन के तहत हो और कूड़ा नियमित रूप से उठे और उसे गाडि़यों में ढंक कर ही निस्तारण प्लांट तक ले जाया जाए तो ही स्थिति में सुधार संभव है।

-प्रो। एआर सिद्दिकी

भूगोल विभाग, इलाहाबाद यूनिवर्सिटी

कॉलिंग

कचरे को डस्टबिन में ही फेंका जाए, इसके लिए पब्लिक को तो अवेयर किया जा रहा है, लेकिन कचरा इकट्ठा होने के बाद उसे किस तरह से डंपिंग स्टेशन तक ले जाना है और कब तक उसका निस्तारण करना है, यह सुनिश्चित नहीं हो पा रहा है।

-तरंग अग्रवाल

लीडर रोड

कचरे को किसी जगह डाल देना समस्या का समाधान नहीं है। शहरीकरण के साथ-साथ डंपिंग यार्ड भी बनते जाएंगे, यह प्राकृतिक वातावरण को नुकसान पहुंचाएंगे। डंपिंग यार्ड में आग लगना किसी विनाश से कम नहीं है।

-दिनेश सिंह

सर्राफा व्यापारी, चौक

चौक से बहादुरगंज रोड पर थोड़ा आगे बढ़ने पर मेन मंडी में नगर निगम ने कूड़ा अड्डा बना रखा है। जहां आस-पास के एरिया का कचरा डंप होता है। दो-तीन दिन तक कचरा पड़ा रहता है। इसकी वजह से सांस लेना मुश्किल हो जाता है।

-विनय मिश्रा

बहादुरगंज

कचरे से कई नुकसान

-एक्सप‌र्ट्स मुताबिक, कचरे में प्लास्टिक, पॉली बैग और अन्य नष्ट न होने वाली नॉन-बायोडिग्रेडेबल सामग्री होती हैं।

-कचरा जलाने से कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, हेक्साक्लोरोबेंजीन, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, मीथेन और जैसी विषैली गैसें और खतरनाक महीन कण निकलते हैं।

-यह कण वायुमंडल में पहुंच जाते हैं। इनसे सांस, त्वचा आदि से सम्बन्धित बीमारियां होने की आशंका बढ़ जाती है।

-सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग होते हैं।

वर्जन-

सर्दियों के मौसम में कूड़ा जलाने पर वायुमंडल में धूल और धुएं की एक मोटी परत जमा हो जाती है। इससे प्रदूषण का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। ऐसे वायुमंडल में सांस लेने पर हमारी उम्र तक कम हो सकती है।

-डा। आशुतोष गुप्ता

चेस्ट फिजिशियन