RANCHI राजधानी के वीआइपी इलाके में रह रहे दो ला2ा से अधिक लोगों को पानी पिलाने वाला कांके डैम बीमार है। इसकी वजह इसके तली में जमी गाद है, जिससे पानी का रंग हरा हो रहा है और इसमें शैवाल पनप रहे हैं। इस वजह से पानी में ऑ1सीजन 5ाी लगातार कम हो रहा है। इसके पानी को बेहतर बनाने के लिए जरुरी है कि इसका जोनवाइज कंप्लीट डिसिल्टेशन हो।

डिसिल्टिंग के लिए सु2ाना होगा

गोंदा जलागार के एग्जी1यूटिव इंजीनियर तपेश्वर चौधरी ने बताया कि कांके डैम रांची के सबसे पुराने डैम में से एक है। 1952-53 में इसकी स्थापना हुई थी। इसका प्लांट अपनी आयु पूरी कर चुका है। इसलिए इसमें मेंटेनेंस का काम चलता रहता है। जहां तक इसके डिसिल्टेशन की बात है तो इसके लिए डैम को पूरा सु2ाना होगा। जहां तक आंशिक गाद हटाये जाने की बात है तो दो साल पहले यह काम किया गया था और इससे डैम की जल ग्रहण क्षमता बढ़ी है।

गर्मी में जोन में बांट हो डिसिल्टिंग

पर्यावरणविद डॉ नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि जहां तक कंप्लीट डिसिल्टेशन की बात है तो जब इंग्लैंड की टे6स नदी और झेलम नदी का हो सकता है तो कांके डैम का 1यों नहीं हो सकता है। डिसिल्टेशन के लिए डैम को सु2ाने की जरुरत नहीं है। गर्मियों में जब डैम में पानी कम होता है तो जोन में बांटकर इसकी डिसिल्टिंग हो। इसके कई फायदे हैं। इससे सबसे पहले पानी में बै1िटरिया का पनपना कम हो जायेगा और इसकी जलग्रहण क्षमता बढ़ेगी। जिस शैवाल के कारण इसके पानी का रंग हरा हो रहा है गाद 2ात्म होने से वह 5ाी हट जायेगा। कंप्लीट डिसिल्टेशन डैम की जरुरत है और यह काम वर्तमान समय में उपल4ध अत्याधुनिक मशीनों से हो सकता है।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की है जरूरत

कांके डैम में प्रदूषण का बड़ा कारण इसकी तलहटी में जमी गाद और अगल-बगल से गिर रहा कचरा है। 2ासकर रातू रोड एरिया से इसमें बहुत कचरा मिल रहा है। इसे दूर करने के लिए रातू रोड के एरिया में एक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जाये जिससे कचरा इसमें मिलने से रुक जाये।

गाद हटने से यह फायदे होंगे

- बै1िटरिया व शैवाल का फार्मेशन रुकेगा

-पानी में प्रदूषण का स्तर कम होगा

- पानी के पीएच रखा जा सकेगा मेंटेन

- पानी में ऑ1सीजन की मात्र बढ़ेगी

- डैम का पानी अधिक स्वच्छ

- पर्यटक 5ाी अधिक आकर्षित होंगे

प्रयोगशाला की दीवार 5ाी दरक रही

गोंदा जलागार की प्रयोगशाला की छत से सटी दीवारें 5ाी दे2ारे2ा के अ5ाव में दरक रही हैं। इसी प्रयोगशाला में पानी की जांच की जाती है। अगर इसकी ओर ध्यान नहीं दिया गया तो इसका 5ावन गिर सकता है। इससे प्रयोगशाला में र2ो कीमती उपकरण 2ाराब हो सकते हैं। यही नहीं बरसात में जब इनसे होकर पानी सिपेज करेगा तो यहां र2ो केमिकल 5ाी बर्बाद हो जायेंगे।