एक्सक्लूसिव

- विचित्र बुखार और डेंगू के बढ़ते प्रकोप के पीछे दो खास वायरस, डेंगू के वायरस को केजीएमयू ने पहचाना

- विचित्र बुखार के वायरस की जांच के लिए 50 सैंपल पुणे स्थित नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ वॉयरोलॉजी भेजे गए

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KANPUR: शहर में लागू अघोषित मेडिकल इमरजेंसी की हालत शहर में ही पैदा हुए दो खास वायरस की वजह से है। ऐसा हम नहीं कर रहे बल्कि केजीएमयू की एक रिपोर्ट कह रही है। इन वायरस के मल्टीपल अटैक की वजह से ही डेंगू इतना तेजी से फैला। वहीं विचित्र बुखार के पीछे कौन सा वायरस सक्रिय है, नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की पहल पर इसकी जांच के लिए शहर से 50 सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीटयूट आफ वायरोलॉजी भेजे गए हैं? कानपुर में बसे वायरस की वजह से 'मेडिकल इमरजेंसी' जैसे हालात बन गए हैं।

डेन-1,3 में डेन 2,4 का इंफेक्शन घातक

बीते साल शहर में फैले डेंगू में किस तरह का वायरस सक्रिय है इसकी जांच के लिए 40 सैंपल केजीएमयू की लैब में भेजे गए थे। जिसमें से 13 की रिपार्ट पॉजिटिव आई थी। इन 13 सैंपलो में 3 डेन-1 वायरस, 5 डेन-2 वायरस और 5 डेन-3 वायरस से इंफेक्टेड पाए गए। डॉक्टर्स के मुताबिक डेन-1 और 2 स्तर का वायरस नार्थ इंडिया की साइड होता है जबकि डेन-3,4 स्तर का वायरस साउथ इंडिया में पाया जाता है। कानपुर में डेन-3 का वायरस मिलना खतरनाक है। माना जाता है कि डेन-1 और 3 स्तर के वायरस के इंफेक्शन में बुखार आता है जबकि डेन- 2 व 4 स्तर का वायरस ज्यादा खतरनाक होता है। डेन-1,3 वायरस से पीडि़त रह चुके अगर किसी शख्स को डेन -2,4 वायरस का अटैक होता है तो यह ज्यादा खतरनाक होता है।

वायरस का डबल अटैक

मेडिकल कॉलेज के सीनियर फिजीशियन डॉ। बृजेश कुमार बताते हैं कि जो मरीज आ रहे हैं उनके जोड़ों में दर्द से लेकर बुखार तक की प्रॉब्लम है। उनकी जांच कराते हैं तो कई में डेंगू पॉजिटिव भी आता है। उनकी रिपोर्ट की स्टडी करने पर पता चलता हैं कि उन्हें डेंगू के एक नहीं बल्कि मल्टीपल वायरस का संक्रमण हुआ है। वहीं जोड़ों के दर्द के साथ बुखार वाले कई मरीजों की डेंगू और चिकुनगुनिया दोनों ही रिपोर्ट निगेटिव भी आती है।

10 दिन में आंकड़ों का अंतर समझ लीजिए-

2350- कुल जांचे हुई, 16 सिंतबर तक मेडिकल कॉलेज की लैब में

1399- सैंपल्स के ही पॉजिटिव होने की रिपोर्ट मिली 25 सितंबर तक स्वास्थ्य विभाग को

971- मरीज डेंगू पॉजिटिव आ चुके थे 16 सितंबर तक मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट में

83- डेंगू पॉजिटिव मरीज मिले 9 दिनों में स्वास्थ्य विभाग को

- जबकि अब मेडिकल कॉलेज के अलावा उर्सला और प्राइवेट पैथोलॉजियों से भी डेली रिपोर्ट मिल रही है स्वास्थ्य विभाग को

52-डेंगू पेशेंट्स मिले स्वास्थ्य विभाग को शहर में

477- डेंगू पॉजिटिव मरीज कहां के हैं, स्वास्थ्य विभाग को पता ही नहीं

562- डेंगू पॉजिटिव मरीजों के शहर से बाहर के होने का दावा

5 - मौतें डेंगू से अब तक(स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में एक भी नहीं)

फैक्ट फाइल-

शहर में कुल प्राइवेट हॉस्पिटल व नर्सिगहोमों की संख्या- 475

कुल बेडों की संख्या- 10,000 औसतन

मेडिसिन के बेड- 40 फीसदी

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अंदर के लिए

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आंकड़ेबाजी की मरीजों पर मार कौशलपुरी में रहने वाली 5 साल की बच्ची को तीन दिन पहले मेडिकल कॉलेज की जांच रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हुई। एक दिन बाद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उसके घर जाकर दवा का छिड़काव भी किया गया। वहीं फ्राईडे को जब डेंगू के नए मरीजों की जानकारी मांगी गई तो पता चला कि स्वास्थ्य विभाग को इस एरिया से कोई डेंगू पेशेंट नहीं मिला। कुछ ऐसा ही फूलबाग कुरसवां में रहने वाली किशोरी को भी दो दिन पहले मेडिकल कॉलेज की रिपोर्ट में डेंगू की पुष्टि हुई। उसका नार्थस्टार हॉस्पिटल में इलाज भी चला लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी भी दबा ली.इससे साफ है कि डेंगू का प्रकोप कम दिखाने के लिए स्वास्थ्य विभाग उसे रिपोर्ट ही नहीं कर रहा है और स्वास्थ्य विभाग की इस आंकड़ेबाजी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।

मेडिकल इमरजेंसी जैसे हालात

दरअसल डेंगू और चिकुनगुनिया को लेकर स्वास्थ्य विभाग जो भी दावे करे लेकिन हालात मेडिकल इमरजेंसी से जैसे हैं। शहर के सभी प्रमुख अस्पताल मरीजों से फुल हैं। यहां तक कि प्राइवेट हॉस्पिटल में भी बेड लेने के लिए शिफारिशें लगवानी पड़ रही है।

ये प्रमुख हॉिस्पटल फुल

रीजेंसी हॉस्पिटल, मधुराज हॉस्पिटल, चांदनी हॉस्पिटल, एसपीएम हॉस्पिटल, अपोलो स्पैक्ट्रा हॉस्पिटल, भार्गव हॉस्पिटल, प्रिया हॉस्पिटल, प्रखर हॉस्पिटल, कुलवंती हॉस्पिटल, लीलामनी हॉस्पिटल, तुलसी हॉस्पिटल, आभा हॉस्पिटल आदि।

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