- सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने दर्ज किया केस

- बिरहाना रोड स्थित यूनियन बैंक में बदले गये सवा करोड़

- कानपुर और औरैया में सीबीआई की टीमों ने की छापेमारी

LUCKNOW :

नोटबंदी के बाद यूपी में शुरू हुए फर्जीवाड़े का पहला मामला सीबीआई ने दर्ज कर लिया है। राजधानी स्थित सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच ने कानपुर के बिरहाना रोड स्थित यूनियन बैंक और इंडिया शाखा के तीन कर्मचारियों व अन्य के खिलाफ केस दर्ज करते हुए कानपुर और औरैया में छापेमारी भी की है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि नोटबंदी के बाद बैंक के एकाउंटेंट और कैशियर समेत तीन कर्मचारियों ने करीब 1.17 करोड़ रुपये के पुराने नोटों को गैरकानूनी तरीके से बदलकर नये नोट दे दिये। इसके एवज में उन्हें तगड़ा कमीशन मिला था। सीबीआई ने आरोपितों के खिलाफ आपराधिक साजिश रचने, अमानत में खयानत करने और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज किया है।

सरप्राइज चेकिंग में हुआ खुलासा

सीबीआई के सूत्रों की माने तो कानपुर की यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की बिरहाना रोड स्थित मेन ब्रांच शाखा के एकाउंटेंट राम नारायण, हेड कैशियर विनीत सोनकर और क्लर्क रजनी कुंडेर व अन्य ने इस गोरखधंधे को अंजाम दिया है। दरअसल नोटबंदी के बाद सक्रिय सीबीआई को सूचना मिली थी कि कानपुर के इस बैंक के कुछ कर्मचारी पांच सौ और हजार के पुराने नोट गैरकानूनी तरीके से बदल रहे हैं। इसके बाद सीबीआई ने विगत 13 और 14 फरवरी को बैंक का सरप्राइज सर्वे किया। इस दौरान रिकार्ड की छानबीन की गयी तो गड़बड़ी के मिले। नोटबंदी लागू होने के बाद दस नवंबर से 23 नवंबर के बीच 1.17 करोड़ रुपये की ब्लैक मनी बदली गयी। साथ ही इसमें एकाउंटेंट रामनारायण और कैशियर विनीत सोनकर की भूमिका सामने आई। दोनों ने रजनी कुंडेर की मदद से बिना कोई आईडी और नोट बदलने का फार्म लिए बगैर ब्लैक मनी लेकर नये नोट दे दिए। गलत तरीके से बदले गए नोटों को कागजों में हेरफेर कर करेंसी चेस्ट में जमा भी कराते रहे। सीबीआई ने गुरुवार को तीनों के ठिकानों पर छापेमारी कर कई अहम सुबूत भी जमा किए हैं।