-पुलिस और जुवेनाइल बोर्ड की ओर से जारी रिकॉर्ड से हुई पेरेंट्स को हिला देने वाले सच की पुष्टि

-कानपुर में तेजी से बढ़ रहा टीनएजर्स क्राइम ग्राफ, हत्या, लूट, रेप जैसे जघन्य अपराध भी दे रहे अंजाम

KANPUR : नवाबगंज में थर्सडे को जिस तरह एक नाबालिग बुआ ने घरवालों को सबक सिखाने के लिए दस साल की भतीजी की गर्दन रेत दी। उसने एक बार फिर टीनएजर्स के बारे में सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। कानपुर में टीनएजर्स के संगीन अपराध का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी चोरी, लूट, रेप, डकैती और हत्या जैसे हीनियस क्राइम में टीनएजर्स का नाम आ चुका है। पेरेंट्स के लिए एक बड़ी चुनौती बनते जा रहे हैं टीनएजर्स। बच्चों में बढ़ती आपराधिक प्रवत्ति पेरेंट्स के लिए खतरे की घंटी है। कानपुर के टीनएजर्स के क्राइम ग्राफ और उससे जुड़े कई पहलुओं पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट आज नजर डाल रहा है। जिससे आप अलर्ट हो जाएं क्योंकि मामला आपके लाडले से जुड़ा है।

हर महीने 20 से 22 केस

पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक कानपुर में हर महीने औसतन 20 से 22 किशोर किसी न किसी अपराध में गिरफ्तार जा रहे हैं। इसमें ज्यादातर लूट, चोरी और तस्करी में पकड़े गए हैं। खास बात ये है कि इसमें अच्छी फैमिली के बच्चे भी हैं। वहीं, हत्या, दुष्कर्म, हत्या का प्रयास जैसे संगीन मामलों में ज्यादातर मिडिल क्लास और आर्थिक रूप से समृद्ध फैमिली के बच्चों के नाम सामने आ रहे हैं। जुवेनाइल बोर्ड के ताजा आंकड़ों के मुताबिक जहां 2014 में टीनएजर्स द्वारा किए गए अपराध के 799 मामले आए थे वहीं 2016 में इनकी संख्या 1045 पहुंच चुकी है। जोकि एक बड़ी चिंता का विषय है।

25 प्रतिशत रेप और मर्डर के मामले

अगर आज की बात करें तो जुवेनाइल कोर्ट में एक हजार से ज्यादा केस चल रहे हैं। जिसमें 300 से ज्यादा केस रेप, मर्डर, डकैती जैसे संगीन मामलों के हैं। इसमें रेप के केस सबसे ज्यादा हैं। बोर्ड के सदस्य कमलकान्त तिवारी के मुताबिक पहले रेप के केस बहुत कम आते थे। पिछले तीन से चार साल में रेप के केस अचानक बढ़ गए हैं। इसके पीछे सामाजिक बदलाव और मानसिक विकृति है। इस तरह के ज्यादातर केस में बच्चे मानसिक रोगी होते हैं। ऐसे में बच्चों में अगर जरा भी विकृति देखें तो तुरंत काउंसिलिंग कराएं।

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कैसे बढ़ रहा है ग्राफ?

वर्ष मुकदमे

2016 1045

2015 801

2014 799

नोट-जुवेनाइल कोर्ट के रिकॉर्ड के आधार पर।

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पेरेन्ट्स की अनदेखी पर बच्चे बिगड़ जाते हैं। कई सर्वे और रिसर्च में ये बात सामने आ चुकी है। बच्चे की अच्छी परवरिश हो तो ऐसे बच्चे जानबूझकर क्राइम नहीं करते हैं। ज्यादातर बच्चे गरीबी या फिर बहुत ज्यादा पैसे पाकर क्राइम की राह पकड़ लेते हैं। जुवेनाइल कोर्ट में 70 प्रतिशत केस में गरीब परिवार के बच्चे ही अपराध में संलिप्त पाए जाते हैं।

-कमलकान्त तिवारी, मेंबर, जुवेनाइल बोर्ड

बच्चों पर विशेष ध्यान की जरूरत होती है। पैरेंट्स की जिम्मेदारी होती है कि वो बच्चे की हर हरकत पर निगाह रखें। अगर कहीं गड़बड़ी लगे तो उसको मारने-पीटने की जगह समझाएं। बिना किसी हड़बड़ी के उनको एहसास कराएं कि आप जो कह रहे हैं वो सही है और उनके लिए बेहतर है।

धनंजय चौधरी, एचओडी, मनोरोग विभाग, जीएसवीएम

बच्चों पर दें पूरा ध्यान

- पेरेंट्स को बच्चों की हर बात के पॉजिटिव और निगेटिव पहलू पर जरूर ध्यान देना दें फिर फैसला लें।

- बच्चों के साथ दोस्त बनकर रहें, ताकि वो बिना डरे आपसे हर बात को शेयर कर सकें।

- बच्चों को कोई ऐसा मौका न दें कि उन्हें छोटी बात के लिए भी झूठ बोलना पड़ा।

-एक छोटे झूठ से ही बड़े झूठ की शुरुआत होती है। ऐसे में उनकी बात पर ध्यान रखें।

- बच्चों के फ्रैंड्स सर्कल के बारे में जानकारी जरूर रखें। उनके दोस्तों पर भी निगाह रखें।

- अगर आपको कुछ गड़बड़ लगे तो बच्चे को अच्छे दोस्त की तरह समझाएं। उसकी काउंसिलिंग करें।

- बच्चों के दोस्तों को घर पर इनवाइट करें, ताकि आप उनके बारे में भी जा सकें।