- तीसरे मुहर्रम को जनाब-ए-वहब की शहादत सुन नम हुई आंखे

- मजलिस में कर्बला में इमाम की कुर्बानियों को किया बयां

LUCKNOW: रिमझिम बारिश की बूंदों के बीच जब मौलानाओं ने कर्बला में इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम की कुर्बानियों को बयां किया तो अजादारों की आंखे नम हो गई। रविवार को मोहर्रम की तीसरे दिन जनाब-ए-वहब की शहादत को मौलानाओं ने बयां किया। मजलिसों में अकबरी गेट स्थित इमामबाड़ा जन्नतमआब सैयद तकी साहब में अशरे की तीसरी मजलिस को मौलाना सैफ अब्बास ने खिताब करते हुए कहा कि करीब चौदह सौ साल बीत गये है इमाम की कुर्बानियों को आज भी लोग याद करते हैं। जबकि यजीद का कोई नाम लेने वाला नहीं रहा। इंसानियत के लिए इमाम ने यजीद के सामने अपना सिर नहीं झुकाया बल्कि अपना सिर कटा दिया। यहीं सच्चाई की ताकत है। विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा अफजल महल में मौलाना अली नासिर सईद आबाकाती आगा रूही मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि इमाम हुसैन अलेहिस्सलाम पर आंसू बहाना इबादत है। अजाखाना डॉ। सैयद आगा में मजलिस में मौलाना अख्तर अब्बास जोन ने कुरआन और अहलेबैत जुदा नहीं किया जा सकता। इस्लाम की सच्ची शिक्षाओं को समझना है तो कुरआन और अहलेबैत दोनों का दामन मजबूती से थामने रहना होगा। मदरसा जामिया नाजमिया में मौलाना हमीदुल हसन ने मजलिस में पढ़ा कि कर्बला का रिश्ता इंसान के दिलों से हैं। इमामबाड़ा गुफरानमआब में मौलाना कल्बे जवाद, इमामबाड़ा आगाबाकर में मौलाना मीसम जैदी, शिया पीजी कालेज में मौलाना अब्बास नासिर सईद आबाकाती, इमामबाड़ा आगाबाकर में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस को खिताब कर कर्बला में इमाम की कुर्बानियों को बयां किया।

जलसे का आयोजन

सुन्नी यूथ फेडरेशन की ओर से अकबरी गेट स्थित मस्जिद एक मिनारा में दस दिवसीय जलसे का दौर जारी रहा। जिसमें कारी मुहम्मद सिद्दीक ने खिताब करते हुए कहा कि अगर कर्बला में हजरत हुसैन अलेहिस्सलाम ने अपनी कुर्बानी पेश न करते, तो आज दुनिया में इस्लाम बाकी न होता। नवासा-ए-रसूल ने दस मुहर्रम को अपनी अजीम कुर्बानी देकर इस्लाम को मिटने से बचा लिया। उन्होंने कहा कि इस्लाम में शहादत का दर्जा सबसे बुलंद है। इस्लाम को बचाने के लिए अल्लाह ने अपने सबसे प्यारे नबी हजरत मुहम्मद साहब के नवासे को चुना था। नवासा-ए-रसूल ने अपनी शहादत पेश कर इस्लाम को कयामत तक के लिए महफूज कर दिया। वहीं शाह-ए-रजा एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी की ओर से माल एवेंयू स्थित दरगाह दादा मियां में दस दिवसीय जलसा शोहदा-ए-कर्बला का दौर भी जारी रहा। इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया की ओर से दारुल उलूम निजामिया फरंगी महल में जलसा शोहदा-ए-दीन-ए-हक व इस्लाह-ए-मुआशरा का दौर जारी रहा। तीसरे जलसे को मौलाना नईमुर्रहमान सिद्दीकी ने खिताब करते हुए कहा कि इस्लाम का पैगाम पूरी इंसानियत के लिए। इस्लाम की शिक्षाओं पर अमल करके ही इंसान समाज को बेहतर बना सकता है। इसी तरह सुन्नी बोर्ड ऑफ इंडिया की ओर से निजामबाग व मिनाई एजुकेशन वेलफेयर सोसाइटी की ओर से चौक स्थित दरगाह शाहमीना शाह में जलसा का आयोजन हुआ।