- स्कूल, मार्ग और पुल का नामकरण शहीद के नाम पर करने की थी घोषणा

- 16 वर्ष बीते प्रशासन ने नहीं ली सुध, परिजन आज भी लगाए हैं उम्मीद

UNNAO: कारगिल युद्ध में आज ही के दिन लांस नायक अमर बहादुर सिंह ने अपनी शहादत देकर बैसवारे के बलिदानी इतिहास की कड़ी में एक और नाम जोड़ दिया था। इस वीर सपूत के गांव में विकास कार्य तो हुए पर उनका नामकरण आज तक शहीद के नाम पर नहीं किया गया। यह कसक ग्रामीणों में आज भी बनी हुई है।

टाइगर हिल पर था तैनात

तहसील बीघापुर के ग्राम बजौरा निवासी मनमोहन सिंह का बड़ा पुत्र अमर बहादुर सिंह थलसेना में लांस नायक पद पर था। कारगिल युद्ध के समय अमर बहादुर टाईगर हिल पर तैनात था जहां पर दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुए 25 जुलाई 1999 को शहीद हो गया था। शहीद अमर बहादुर का शव 30 जुलाई को उसके पैतृक गांव बजौरा लाया गया। जहां पर भारी संख्या में जनप्रतिनिधि व अधिकारी श्रद्धांजलि देने आए थे और शहीद के नाम पर कई विकास की घोषणाएं की थीं। शहीद के शव का अंतिम संस्कार 1 अगस्त को बक्सर के गंगा तट पर किया गया था।

कब पूरी होगी घोषणा

जन प्रतिनिधियों व अधिकारियों ने गांव के जूनियर व प्राथमिक विद्यालय का नामकरण, बिहार सरेनी मार्ग और लोन नदी पर बने पुल का नामकरण शहीद के नाम पर करने की घोषणा की थी जो आज तक पूरी नहीं हो पाई। विधान परिषद सदस्य स्व। अजीत सिंह ने बजौरा मार्ग पर द्वार का निर्माण कराकर शहीद की याद को ताजा करने का काम किया है।

बेटे में भी देशभक्ति का जज्बा

इसके अलावा जनप्रतिनिधियों ने स्मारक बनाने में अपना सहयोग प्रदान किया है। वहीं बैसवारा कल्याण समिति ने स्मारक में शहीद की प्रतिमा स्थापित कराई है। बताते चलें कि शहीद अमर बहादुर का एकलौता पुत्र अजय सिंह है जो शहादत के दिन मात्र 15 दिन का था। अब अजय सिंह करीब 16 वर्ष का हो गया है। उसमें भी पिता की तरह देश भक्ति का जज्बा है। अमर शहीद के भाई राय सिंह का कहना है कि मेरा व मेरे गांव के लोगों कच्ी इच्छा थी कि भैया के नाम से बिहार सरेनी मार्ग, गांव के विद्यालय, लोन नदी के पुल का नामकरण किए जाने की घोषणा को पूरा किया जाए। आखिर प्रशासन अपना वादा कब पूरा करेगा और हम लोगों को अभी कितना और इंतजार करना होगा।