- करवा चौथ पर महिलाओं ने पति के लिए रखा व्रत

- 8.27 बजे रात में निकला चांद, व्रती महिलाओं ने किया भोजन

GORAKHPUR: करवाचौथ पर बुधवार को सिटी में उत्सव जैसा माहौल रहा। महिलाओं ने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखा तो पति का भी उन पर प्यार उमड़ा। महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर पति को रिझाया और उनके लिए पूजा भी की। पुरुष भी इस कोशिश में रहे कि पत्‍‌नी को कोई दिक्कत न हो। नए कपल ने इसे एंज्वाय किया तो पुराने कपल के रिश्ते में भी नए अहसास घुल गए। रात में 8.27 बजे चांद निकला। परंपरा के अनुसार चांद को अ‌र्घ्य देकर महिलाओं ने अपना व्रत समाप्त किया।

उनमें देखा अपना चांद

दिन में महिलाएं एक बार फिर दुल्हन के रूप में सजी-धजीं। हाथों में मेंहदी रचाई। जेवरों से श्रृंगार किया। नए कपड़े पहने और सज-धजकर पति को रिझाया। पति के लिए दिनभर व्रत रहीं तो पति को भी उनपर खूब प्यार आया। कई ने पत्नी के लिए ऑफिस से छुट्टी ले रखी थीं ताकि महिलाओं को व्रत के दौरान कोई दिक्कत न हो। महिलाओं ने शाम में चांद में अपने पति का दीदार किया तो पुरुषों ने भी उन्हें अपना चांद बताकर उनके सौंदर्य की तारीफ की और अपने जीवन में पत्‍‌नी की अहमियत बताई।

चलनी के झरोखे से देखा पति को

दिनभर व्रत के बाद महिलाओं ने शाम में गौरी-गणेश की पूजा-अर्चना की। चांद निकलने पर अ‌र्घ्य दिया और करवा से पूजा की। चलनी के झरोखे से पति को देखा। पति के साथ घर के बड़ों के पैर छूकर उनसे आशीर्वाद लिया। इसके बाद पति को भोजन कराकर पके हुए आटे के गौर, दही व खीर के से अपना व्रत समाप्त किया।

समूह में भी की पूजा

मोहल्ले की महिलाओं ने एक साथ ग्रुप में बैठकर करवाचौथ की पूजा की। पैडलेगंज गुरुद्धारा, धर्मशाला गुरुद्वारा के साथ ही संयुक्त परिवार वाले घरों में महिलाओं ने एक साथ बैठकर गौरी-गणेश की पूजा की। साथ ही कथा भी सुनी। बेतियाहाता की रहने वाली ज्योति पॉल बताती हैं कि करवा चौथ उनका फेवरेट फास्ट है। वह इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं और काफी पहले से तैयारी करती हैं। शालिनी बताती हैं कि उन्हें अपने पति के लिए यह व्रत रखते हुए काफी अच्छा लगता है। वे भी उनका बहुत ख्याल रखते हैं।

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गणेश की पूजा, चांद को अ‌र्घ्य

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन करवा चौथ पर्व परंपरागत ढंग से मनाया गया। करवाचौथ का व्रत महिलाएं पति की दीर्घायु व सुख-समृद्धि की कामना के लिए करती हैं। रात को भगवान गणेश की पूजा-अर्चना कर व चंद्रमा को अ‌र्घ्य देने के बाद पारण किया। पं। शरद चंद्र मिश्रा बताते हैं कि चतुर्थी तिथि रात के 12 बजे के बाद तक भी महिलाओं ने पूजा अर्चना किया है।