-कस्तूरबा गांधी विद्यालय में खिड़कियों पर नहीं हैं शीशे

-ठंडी हवाओं से छात्राओं का जीना हुआ मुहाल, जिम्मेदार नहीं उठा रहे जिम्मेदारी

>BAREILLY

मौसम के मिजाज ने करवट ले ली है। ठंड ने अपना असर भी दिखाना शुरू कर दिया है। लोगों ने गर्म कपड़े भी निकाल लिए हैं तो वहीं दूसरी ओर सुभाषनगर स्थित कस्तूरबा गांधी विद्यालय का हाल कुछ ऐसा है कि यहां छात्राओं को कंबल और रजाई भी उपलब्ध नहीं कराई गई है। रात के वक्त ठंड से छात्राओं को जूझना पड़ रहा है। रही सही कसर विद्यालय की टूटी खिड़कियों के शीशे पूरी कर दे रहे हैं। जिनसे रात के वक्त आने वाली ठंडी हवाएं छात्राओं को नींद हराम कर रही हैं। जबकि सबकुछ जानने के बावजूद जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी से कन्नी काट रहे हैं।

ठंड ने छात्राओं को किया बीमार

ट्यूजडे को डिस्ट्रिक्ट का तापमान 23 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। पारा दिन ब दिन नीचे ही गिरता जा रहा है। सुबह शाम ठंडी हवाएं चल रही हैं। ऐसे में कस्तूरबा गांधी विद्यालय में छात्राएं अव्यवस्थाओं के बीच जूझ रही हैं। जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण विद्यालय में पढ़ रही छात्राओं को न तो कंबल मिला है और न ही रजाई। जबकि ठंड के चलते करीब आधा दर्जन छात्राएं बुखार, खासी, जुकाम आदि से परेशान हैं।

बच्चे खिलाती हैं छात्राएं

सिर्फ इतना ही नहीं विद्यालय की छात्राओं को जहां एक ओर ठंड से जूझना पड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर विद्यालय में तैनात शिक्षिकाएं छात्राओं को शिक्षित करने की बजाय उनसे बच्चों को बहलाने का काम करवा रही हैं। इससे आप खुद ही समझ सकते हैं कि विद्यालय में पढ़ाई का क्या हाल होगा। बता दें कि विद्यालय में तीन पार्ट टाइम और चार फुल टाइम शिक्षिकाएं तैनात हैं।

मानकों की उड़ती धज्जियां

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। नियमानुसार विद्यालय में तैनात चौकीदार और चपरासी आवासीय क्षेत्र से बाहर रहने की बजाय आवासीय परिसर में ही रहते हैं। जबकि सुभाषनगर स्थित आवासीय परिसर में ट्यूजडे को एक युवक घूमता मिला। वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विद्यालय परिसर में आए-दिन युवकों का आना-जाना लगा रहता है। आवासीय विद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं की सुरक्षा खतरे में हैं। सूत्रों के मुताबिक जिस तरह परिसर में युवक घूमते रहते हैं,

कस्तूरबा गांधी विद्यालयों रजाई-कंबल समेत तमाम व्यवस्थाओं की जिम्मेदारी बीएसए की है। इसके लिए जेडी जिम्मेदार नहीं है।

शिव प्रसाद द्विवेदी-जेडी

बालिकाओं के आवासीय परिसर में शाम होने के बाद कोई पुरुष नहीं जा सकता है। यदि किसी युवक का आना-जाना है तो मामले की जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।

-शशिदेवी शर्मा, एडी बेसिक