-अवैध बिल्डिंग्स बनने की गूंज शासन व मुख्यमंत्री तक पहुंच चुकी है

-फिर भी जारी है अवैध निर्माण का सिलसिला, स्लैब डालने से पहले लाखों रुपए वसूले जाते हैं

-मोटी कमाई देखकर सबकुछ भूल जाती है एनफोर्समेंट, केडीए को हर साल हो रहा करोड़ों का नुकसान

-केडीए की अरबों रुपए की जमीन पर अवैध रूप से खड़े हो चुके हैं मकान

KANPUR: शासन और मुख्यमंत्री तक इल्लीगल कंस्ट्रक्शन का मामला गूंजने के बावजूद भी शहर में अवैध बिल्डिंग्स बनने का सिलसिला जारी है। अवैध बिल्डिंग बनने पर होने वाली मोटी कमाई के चलते एनफोर्समेंट टीम के इम्लाई से लेकर ऑफिसर तक अंजान बन जाते हैं। अपना फायदा देख रोकने की कोशिश नहीं करते हैं, चाहे अवैध बिल्डिंग्स बनने की वजह से केडीए के खजाने को करोड़ों और अरबों रुपए का नुकसान ही क्यों न हो रहा हो? बस उन्हें फिक्र रहती है तो अपनी जेबें भरने की।

100 लोग भी नहीं आते मैप पास कराने

सिटी में हर महीने एवरेज छोटी-बड़ी 250 बिल्डिंग बनना शुरू हो जाती हैं। लेकिन इनमें से 100 लोग भी नक्शा पास कराने के लिए केडीए नहीं पहुंचते हैं। इसकी एक बड़ी वजह है कि नक्शा पास कराने में केडीए में बहुत पापड़ बेलने पड़ते हैं। फाइल के पीछे-पीछे चक्कर लगाने पड़ते हैं और हर जगह सुविधा शुल्क चुकाना पड़ता है।

खोजकर पहुंच जाते है केडीए इम्प्लाई

लोगों के निर्माण शुरू करने के कुछ दिनों बाद ही केडीए की एनफोर्समेंट टीम के इम्प्लाई वहां पहुंच जाते हैं। खासतौर पर उस समय वे पहुंचते है जब मकान का निर्माण स्लैब लेवल तक और मल्टीस्टोरी के पिलर खड़े हो जाते हैं। पहुंचते ही केडीए इम्प्लाई निर्माण करा रहे है लोगों से नक्शा मांगने लगते हैं। नक्शा पास न होने पर सील कर देने की धमकी देकर डराते हैं। अगर नक्शा पास है तो नक्शे के मुताबिक निर्माण न होने(वायलेशन) पर सीलिंग व डेमोलेशन की चेतावनी देते हैं। अगर साइट पर बात नहीं बनती है तो केडीए के 216 नम्बर कमरे में निर्माण करने वाले मकान मालिक को बुलाया जाता है। मिलने का खासतौर पर समय 4 बजे दिया जाता है। जिससे कि ऑफिस में पब्लिक न हो । फिर शुरू हो जाता है सेटिंग-गेटिंग का खेल।

किस एरिया में प्लाट है और उसके साइज के बेस पर सौदा होता है। सोर्सेज का कहना है कि मिनी अपार्टमेंट में अवैध फ्लोर की स्लैब डालने के लिए 5-5 लाख रुपए अवैध वसूली होती है। नक्शा पास होने पर लेकिन सेटबैक घेरने आदि अवैध निर्माण करने पर अवैध वसूली की रकम घटकर 3 लाख तक पहुंच जाती है। रकम का बंदरबांट होता है.इसीलिए प्रेम नगर में 6-6 मंजिल तक बिल्डिंग बन गई है लेकिन सभी इंजीनियर्स ने अपनी आंखें बन्द रखी।

अरबों की केडीए की जमीनों पर बस गए मोहल्ले

केडीए के एनफोर्समेंट टीम की लापरवाही से उसकी जमीनों पर भी कब्जे हो गए। भूमाफिया ने देहलीसुजानपुर, गोपाल नगर, बर्रा, दामोदर नगर, संजय गांधी नगर, काकादेव, कल्याणपुर में प्राइवेट लैंड के साथ केडीए की जमीन भी बेच डाली। केडीए की जमीन पर न केवल मकान बन गए बल्कि अवैध रूप से 167 कॉलोनीज बस बस गई है। केडीए को मकान बनाए जाने पर नक्शा पास होने का शुल्क मिलना तो दूर उसकी अरबों रुपए कीमत की जमीन तक में अवैध कब्जे हो गए। लेकिन एनफोर्समेंट टीम ने इसकी परवाह नहीं की। उन्हें चिन्ता रही तो केवल अपनी जेबों की। मोटी कमाई के आगे वे ये भी भूल गए अवैध रूप से मकान की जमीनों पर ही बन रहे हैं। अगर एनफोर्समेंट टीम रोकने की कोशिश करती तो शायद केडीए जमीन के लिए परेशान न होता।

जो जिम्मेदार, उन्हीं को जांच

संडे को केडीए ऑफिसर्स के प्रेम नगर में मारे गए छापे में अवैध रूप से 6-6 मंजिला तक बिल्डिंग बनी मिली। इस मामले की जांच जोन-1 एनफोर्समेंट के एक्सईएन को सौंपी गई है। लेकिन इस जांच को लेकर भी केडीए इम्प्लाई ही सवालिया निशान लगा रहे हैं। केडीए इम्प्लाइज का कहना है कि अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी तो लंबे समय से जांच अधिकारी के पास ही है। या तो वह अवैध निर्माण चेक करने के केडीए से बाहर नहीं निकलते हैं या फिर जानते हुए भी किसी के प्रभाव में आकर उन्होंने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। केडीए के एडीशनल सेक्रेटरी सीपी त्रिपाठी ने बताया जो भी अवैध बिल्डिंग्स के लिए जिम्मेदार हैं, वह बच नहीं पाएंगें।

केडीए को करोड़ों का नुकसान

- मैप पास कराए बगैर बन जाती मल्टीस्टोरी, नक्शा पास होने वाले लगने वाला शुल्क नहीं मिलता केडीए को

- एक्स्ट्रा कंस्ट्रक्शन पर शमनीय भाग की कम्पाउंडिंग चार्ज भी नहीं मिलता केडीए को

- डेवलपमेंट चार्ज से भी केडीए को हाथ धोना पड़ता

मैप पास कराने पर इस तरह लगता है चार्ज

--केडीए स्कीम का प्लाट होने पर--

1- कवर्ड एरिया पर 112 रुपए पर स्क्वॉयर मीटर

--केडीए स्कीम का प्लाट न होने पर--

1-कवर्ड एरिया पर 112 रूपए पर स्क्वॉयर मीटर

2- 1154 रूपए पर स्क्वॉयर मीटर डेवलपमेंट चार्ज

3- लैंडकास्ट का 2.5 परसेंट सबडिवीजन चार्ज

भवन विभाग(नक्शा) से केडीए को आय

2013-14- 60 करोड़

2012-13- 42 करोड़

आई कनेक्ट

गलियों में भी किसी का मकान बन रहा हो तो केडीए वाले खोजकर पहुंच जाते है। नक्शा पास हो या न हो। वे सील करने की धमकी देकर अवैध वसूली करते है।

-अवधेश वर्मा

बिरहाना रोड में एक मकान बन रहा था, तभी केडीए वाले आए और अवैध वसूली को लेकर डराने-धमकाने लगे। मकान सील करने और गिरा देने की धमकी भी दे गए थे

- विकास वर्मा

-जब कोई नया घर या प्लाट बनना स्टार्ट होता है तो केडीए के इम्प्लाई अवैध वसूली करने के लिए आ धमकते है। चाहे नक्शा पास ही क्यों न हो?

- रईस अहमद