- अवैध निर्माण के नियम में बदलाव, पहले की तरह टू बी डिमालिश्ड हलफनामा देकर खुलेगी बिल्डिंग की सील

- 2014 में लागू किया गया था अवैध निर्माण के बराबर जमानती प्रतिभूति राशि जमा करने का नियम

KANPUR: अवैध रूप से सिटी में तन चुकी सैकड़ों बिल्डिंग्स से कम्पाउंडिंग फीस न मिलती देख केडीए बैकफुट पर आ गया है। सील बिल्डिंग्स की कम्पाउंडिंग कराने के लिए नियमों में परिवर्तन करने जा रहा है। तीन साल पहले तक लागू नियमों को फिर से लागू करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए फ्राईडे को होने जा रही केडीए बोर्ड मीटिंग में प्रपोजल लाया जा रहा है।

एनफोर्समेंट टीम की मिलीभगत से

सिटी में एनफोर्समेंट टीम की मिलीभगत से अवैध रूप से गली-मोहल्लों में मिनी अपार्टमेंट तान दिए गए। सेटबैक ही नहीं फ्लोर तक एकस्ट्रा बना लिए गए। अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी संभाले इंजीनियर्स की मिलीभगत से कम्पाउंडिंग लिमिट से कई गुना अधिक अवैध निर्माण कर लिया गया है। केडीए अब तक करीब 700 बिल्डिंग सील कर चुका है। इनमें कुछ को छोड़कर ज्यादातर लोगों ने कम्पाउंडिंग नहीं कराई है। केडीए ऑफिसर इसकी वजह कम्पाउंडिंग के लिए जरूरी प्रतिभूति राशि को बता रहे हैं।

वर्ष ख्0क्ब् में नियम बदले गए थे

केडीए ऑफिसर्स के मुताबिक कम्पाउंडिंग को लेकर वर्ष ख्0क्ब् में नियम बदले गए थे। इसमें कम्पाउंडिंग के लिए अवैध निर्माण के बराबर प्रतिभूति राशि जमा कराई जाती है। जो कि अवैध निर्माण के हिसाब से लाखों ही नहीं करोड़ों रुपए तक पहुंच जाती है। यह धनराशि तभी केडीए वापस करता है, जबकि कम्पाउंडिंग लिमिट से अधिक अवैध निर्माण तोड़ दिया जाए। लाखों ही नहीं करोड़ों रुपए फंसता देख लोग अवैध निर्माण की कम्पाउंडिंग के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। इसी वजह से केडीए ने एक बार फिर वर्ष ख्0क्ब् से पहले तक लागू कम्पाउंडिंग का नियम अपनाने की तैयारी कर रहा है। जिसमें की अवैध निर्माण की कम्पाउंडिंग के लिए अप्लीकेशन के साथ निर्माणकर्ता को टू बी डिमालिश्ड का हलफनामा देना होता था। इसके साथ ही बिल्डिंग की सील खुल जाती थी। लेकिन हलफनामा देकर बिल्डर अवैध निर्माण को भूल जाते थे। मिलीभगत की वजह से एनफोर्समेंट टीम भी परवाह नहीं करती थी। शायद यही वजह है कि टू बी डिमालिश्ड का हलफनामा देने के बाद भी ज्यादातर बिल्डिंग में अवैध निर्माण नहीं तोड़ा गया। इसे देखते हुए केडीए ने वर्ष ख्0क्ब् में जमानती प्रतिभूति राशि का नियम लागू किया था।