उत्सव

दूसरों की खुशियों का भी रखें ध्यान

शोर और धुएं से खराब न करें दिवाली

- जमकर न छुड़ाएं पटाखे, बस मनाएं ईको दिवाली

-आई नेक्स्ट ने दिवाली की पूर्व संध्या में किया जागरूक

MEERUT: दिवाली पर पटाखों के तेज धमाकों ने खुशी देने से ज्यादा घर के बच्चों को दहशत दी तो कोने में बैठे बुजुर्ग अपना दिल थामकर रह गए। हर्ट पेशेंट, अस्थमा के मरीजों के लिए तो दिवाली मानों मुश्किल भरी है। ऐसा न करो और न ही ऐसा होना दें। पर्यावरणविद् डॉ। मधु वत्स का मानना है कि त्योहार को त्योहार की तरह मनाएं। आईनेक्स्ट के पैनल डिस्कशन में एक्सपर्ट्स ने अपने व्यूज दिए।

न हो कोई अनहोनी

सोशल वर्कर प्रशांत कौशिक का कहना है कि दिवाली खुशियों का त्योहार है। कोई अनहोनी पूरे त्योहार को खराब कर देती है। तो सावधानी बेहद जरूरी है। हम आपको दीपावली के दिन यही बताने जा रहे हैं कि पटाखें छोड़े लेकिन थोड़ा ध्यान से।

इनका रखें ध्यान

डॉ। वत्स ने कहा कि जिस समय दीपावली पर आप पटाखों के तेज धमाकों को एंज्वाय कर रहे होंगे, अपने पड़ोसी के साथ उससे तेज आवाज वाले पटाखे फोड़ने में कॉम्पिटिशन लगा रहे होंगे, तब शायद कोई जानवर, कोई बुजुर्ग, कोई बीमार व्यक्ति या फिर छोटा सा बच्चा आपके आसपास नजर न आए।

कम आवाज के पटाखे चलाएं

डॉ। वत्स का कहना है कि कम आवाज के पटाखे चलाएं, ऐसे पटाखे चलाएं जिनमें आवाज और धुआं कम हो। पीएम नरेंद्र मोदी को मेक इन इंडिया में प्रदूषण को कम करने वाले उद्यमों को स्थापित करें। घर के बाहर कनेर और बोगेनबिलिया के पौधों को घर के बाहर रोपो, ये पौधे प्रदूषण का शोषण करते हैं। प्रशांत कौशिक ने कहा कि पटाखों की आतिशबाजी के बीच जरा सी भी चिंगारी से कपड़ों में आग लगने या जलने जैसी दुर्घटना हो सकती है।

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