- केजीएमयू में नियमों के विरुद्ध डेंटल में तैनात होते हैं एसआर, नॉन पीजी जेआर

- ईसी मेंबर्स ने की थी राजभवन से शिकायत

- डेंटल में कार्यरत हैं दर्जन भर नॉन पीजी रेजीडेंट

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) की डेंटल फैकल्टी में सीनियर रेजीडेंट और नॉन पीजी रेजीडेंट की तैनाती में खूब 'खेल' चल रहा है। एक तरफ संस्थान में एक-एक सीट पर पीजी करके आए हुए रेजीडेंट्स में मारामारी मची है तो दूसरी तरफ डेंटल में दर्जन भर से अधिक नॉन पीजी जेआर को तैनात किया गया है।

क्या हैं नियम

डेंटल में जब एमडीएस की सीटें खाली रह जाती हैं तो उनकी जगह पर नॉन पीजी डॉक्टर को नॉन पीजी जेआर के पद पर तैनात कर लिया जाता है। ताकि विभाग में इलाज का कार्य बाधित न हो, लेकिन यहीं पर सारा 'खेल' हो जाता है। पीजी की सीटें सरकारी कॉलेजों में पूरे यूपी में सिर्फ केजीएमयू में ही हैं। चुनिंदा सीटों पर कोई भी बीडीएस डॉक्टर अपनी सीट छोड़ता नहीं है। अगर छोड़ता है तो उससे कम रैंक वाले को मौका दिया जाता है, लेकिन केजीएमयू के डॉक्टर 'अपनों' को फायदा पहुंचाने के लिए यहां पर नॉन पीजी जेआर के रूप में तैनात कर लेते हैं।

एक साल की जगह तीन साल की दी तैनाती

केजीएमयू की डेंटल फैकल्टी के डॉक्टर्स की मानें तो विभाग में इस समय लगभग एक दर्जन नॉन पीजी जेआर काम कर रहे हैं। जबकि पीजी की सीटें बहुत अधिक नहीं हैं। एक साल में एक दर्जन नॉन पीजी जेआर तैनात करने का मतलब हैं कि इतनी बड़ी संख्या में एमडीएस की सीटें खाली रह गई। नियमों के मुताबिक सीनियर रेजीडेंट का पद भी डेंटल में एक साल के लिए है जबकि प्रास्थोडांटिक्स में एक डॉक्टर को पिछले तीन साल से लगातार एक्सटेंशन मिल रहा है। वह विभाग में लगातार तीन साल से सीनियर रेजीडेंट हैं। यही नहीं केजीएमयू में डेंटल में नान पीजी जेआर तैनात करने के लिए समय समय पर प्राशासन पर उंगलिया उठती रही हैं।

ईसी मेंबर्स ने भी की थी शिकायत

पिछले माह ही एक्जीक्यूटिव काउंसिल के भी चार सदस्यों ने सीनियर रेजीडेंट और नॉन पीजी रेजीडेंट के अप्वाइंटमेंट को लेकर प्रश्न उठाया था और अप्वाइंटमेंट नियमों के तहत ही करने की मांग की थी, लेकिन ईसी ने इस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण मामले में उसमें ईसी मेंबर्स ने कहा है कि एसआर और नॉन पीजी अप्वाइंटमेंट कैसे हो इसके लिए कार्य परिषद से मांग की थी। लेकिन कार्य परिषद ने इग्नोर कर दिया। जिसके कारण ईसी के सदस्यों ने राजभवन में शिकायत भी थी।

सीनियर रेजीडेंट का पद तीन साल के लिए ही होता है। जिसकी तैनाती में कोई दिक्कत नहीं। नान पीजी मामले में कोई शिकायत मिलती है तो जांच और कार्रवाई की जाएगी।

- प्रो। रविकांत, वीसी, केजीएमयू