-एंटीबायोटिक सर्विलांस प्रोग्राम शुरू, लेकिन नहीं बन सकी पॉलिसी

-पिछले कई वर्षो से चल रहे प्रयास, मरीजों में बढ़ रहा रजिस्टेंस

LUCKNOW(15 April):

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कई वर्ष पूर्व एंटीबायोटिक दवाओं के अनियंत्रित प्रयोग पर रोक लगाने के लिए एंटीबायोटिक पॉलिसी बनाकर लागू करने की घोषणा की गई थी। कई बार इसको लेकर प्रस्ताव भी बने लेकिन इसे अभी तक पॉलिसी पर कोई काम नहीं किया गया। जिसके खामियाजे के तौर पर मरीजों को बिना जरूरत ही हाई लेवल एंटीबायोटिक दवाएं खानी पड़ रही हैं।

एक समान पॉलिसी नहीं

पिछले वर्ष भी एंटीबायोटिक के अधाधुंध प्रयोग पर रोक लगाने के प्रयास किए गए थे। केजीएमयू प्रशासन ने टीम बनाकर इसकी निगरानी शुरू की थी। एंटीबायोटिक सर्विलांस प्रोग्राम भी शुरू हुआ लेकिन अब तक सिर्फ मेडिसिन आईसीयू में ही एंटीबायोटिक के अधाधुंध प्रयोग पर रोक लग सकी।

यह थ्ा उद्देश्य

एंटीबायोटिक पॉलिसी एंटीबायोटिक के अत्यधिक सेवन से होने वाले रजिस्टेंस से बचाने के लिए जरूरी है। दो वर्ष पहले पूर्व वीसी प्रो। रविकांत के समय भी इस पॉलिसी को बनाने की बात हुई थी। लेकिन यह पॉलिसी बन ही न सकी। वर्तमान वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट ने भी इसे लागू करने की घोषणा की थी लेकिन इस बार भी पॉलिसी ही नहीं बनाई गई।

शुरू हुए थे कई प्रोग्राम

केजीएमयू के अधिकारियों के अनुसार सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और एम्स के साथ मिलकर देश भर के कई संस्थानों में इंफेक्शन कंट्रोल और एंटीबायोटिक के अधाधुंध प्रयोग पर लगाम लगाने के लिए निगरानी शुरू की गई थी। इनमें केजीएमयू को भी शामिल किया गया। आईसीएमआर ने इसके लिए एंटीबायोटिक स्टीवर्डशिप, प्रिवेंशन ऑफ इंफेक्शन एंड कंट्रोल (एएसपीआईसी) प्रोग्राम शुरू किया।

कलेक्ट कर रहे डाटा

इस प्रोग्राम के तहत केजीएमयू में डॉ। अमिता जैन, डॉ। विमला वेंकटेशन ,डॉ। डी हिमांशु, डॉ। मो। परवेज खान की टीम मानीटरिंग कर रही है। रोजाना हर मरीज को दिए जाने वाले हाई लेवल की एंटीबायोटिक के प्रयोग का डाटा एकत्र किया जा रहा है। कालिस्टिन, पालीमिक्सिन, डैप्रोमाइसिन, डिजी साइक्लिन जैसे हाई लेवल एंटीबायोटिक की गहन मॉनीटरिंग हो रही है। इसके बाद भी अभी तक मरीजों के लिए कोई गाइड लाइन नहीं बनाई जा सकी है।

नर्स, डॉक्टर को देनी थी ट्रेनिंग

डॉक्टर्स के अनुसार प्रोजेक्ट के तहत केजीएमयू की नर्सो और रेजीडेंट डॉक्टरों को एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग की ट्रेनिंग दी जानी थी। आईसीयू में हाई लेवल एंटीबायोटिक का प्रयोग भी कम कर दिया गया है।

बाक्स

एक्सपीरियंस के बेस पर एंटीबायोटिक

डॉक्टर्स के अनुसार 70 परसेंट से अधिक मरीजों को हाई लेवल एंटीबायोटिक बिना जरूरत दी जा रही है। जिससे लोगों में एंटीबायोटिक के प्रति रजिस्टेंस पैदा हो रहा है। देश में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रयोग लिए कोई नियम-कानून नहीं है। जिससे बहुत से डॉक्टर हाई लेवल एंटीबायोटिक प्रयोग करते हैं और बाद में मरीज के दोबारा बीमार होने पर उन पर इन दवाओं का असर नहीं होता है। इसे देखते हुए ही केजीएमयू में पॉलिसी बनाने की बात हुई थी। इस मामले में केजीएमयू के वीसी प्रो। एमएलबी भट्ट ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया।