-फंड के फेर में फंसी दवा, रेजीडेंट डॉक्टर्स अब चंदा जुटा कर कर रहे मरीजों का इलाज

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sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में मरीजों की मुसीबत बढ़ती जा रही है। फंड की कमी के चलते दवा और सर्जिकल सामानों की कमी से जूझ रहे ट्रॉमा सेंटर को लेकर रेजीडेंट डॉक्टर्स 'भगवान' बन कर सामने आए हैं। आलम यह कि रेजीडेंट डॉक्टर्स चंदा जुटा कर मरीजों का इलाज करने में जुट गए हैं। हालत न सुधरे तो रेजीडेंट डॉक्टर्स फैकल्टी मेंबर्स और कर्मचारियों से भी मदद मांगेगे। वहीं इतनी बड़ी समस्या के बावजूद शासन में बैठ बड़े अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। इस मामले में विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा अरिंदम भट्टाचार्य से सपंर्क किया गया तो उन्होंने इस मसले पर बात करने से ही इंकार कर दिया।

बेसिक एंटीबायोटिक भी खत्म

पिछले लगभग एक माह से भी ज्यादा समय से ट्रॉमा सेंटर सहित अन्य विभागों में भी दवाओं के इंडेंट के आगे नाट इन सप्लाई लिखकर आ रहा है। जिसके कारण ट्रॉमा में मरीजों के लिए दवाएं नहीं मिल पा रही हैं। बेसिक एंटीबायोटिक से लेकर सिरींज, कॉटन बैंडेज, ग्लब्स तक मरीजों से मंगाया जा रहा है। जबकि ये चीजें कभी भी मरीजों से मंगाने की बजाए केजीएमयू देता था। मेडिसिन, सर्जरी और पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में सोमवार को एमाक्सीसिलिन, सेफ्रीएक्जोन जैसी बेसिक एंटीबायोटिक भी बाहर से मंगानी पड़ी।

नहीं आ रही दवाएं

मेडिसिन विभाग के एक डॉक्टर की मानें तो दवाओं की कमी के कारण बाहर से दवाएं मंगाना मजबूरी है। क्योंकि ग्लब्स से लेकर सिरींज तक की सप्लाई नहीं मिल रही है। लेकिन जल्द ही यह बंद करना पड़ेगा। क्योंकि बाहर से दवाएं मंगाने पर रोक है। दूसरा बड़ा कारण कि मरीजों परिजनों को पर्ची थमाते ही वे झगड़ पड़ते हैं। सबको मालूम है कि यह सरकारी संस्थान है और यहां फ्री दवाएं मिलती हैं।

तीन माह से नहीं किया पेमेंट

केजीएमयू सूत्रों के अनुसार, दवा सप्लाई करने वाली कंपनियों को अगस्त माह से पेमेंट नहीं किया गया है। उसके पहले भी पेमेंट में दिक्कत थी जिसके कारण कंपनियों ने नवंबर माह से दवाएं सप्लाई रोक दी है। जिसके बाद से ट्रॉमा सहित हर विभाग में फ्री दवाएं मिलना बंद हो गई। कंपनियों ने केजीएमयू को दो टूक कह दिया है कि पेमेंट नहीं तो दवाएं नहीं दी जाएंगी। उधर, केजीएमयू प्रशासन ने ट्रॉमा के इमरजेंसी रिसीविंग रूम में बेसिक दवाएं उपलब्ध करा दी हैं। यहां पर पेशेंट्स को मैनेज करने के बाद संबंधित डिपार्टमेंट में भेज दिया जाता है। जहां से सभी दवाएं बाहर से ही मंगाई जा रही हैं।

यहां मिली हेल्प

मेडिसिन की कमी के कारण ही केजीएमयू की रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने एक दिन पहले ही हॉस्पिटल में पोस्टर चस्पा कर तीमारदारों को सूचना दी थी कि बेसिक दवाएं भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। इसलिए डॉक्टर से उलझे नहीं और संयम से काम लें। इसके साथ ही एसेसिएशन के पदाधिकारियों ने अपनी एसोसिएशन के डॉक्टर्स से चंदा लेर कर मरीजों की मदद का भी आह्वान किया। एसोसिएशन के डॉक्टर्स ने सोमवार को सर्जरी, मेडिसिन, पीडियाट्रिक, क्वीन मेरी, आर्थोपेडिक सहित कई अन्य विभागों में दो दर्जन से अधिक जरूरत मरीजों को मेडिसिन प्रोवाइड कराई। डॉक्टर्स का कहना है कि कैश की कमी है जिसके कारण दवाएं खरीदने में भी दिक्कत है। यही स्थिति रही तो फैकल्टी मेंबर्स से भी मदद मांगेंगे।

69 करोड़ का कंटेंजेंसी मद केजीएमयू के फाइनेंस सेक्रेटरी मुकुल अग्रवाल के अनुसार, हर वर्ष शासन से 69 करोड़ रुपये का कंटेंजेंसी मद के मिलता है। लेकिन पिछले वर्ष ही 95 करोड़ का खर्च आया था। लगातार डिमांड बढ़ रही है। जिसके कारण शासन से 35 करोड़ रुपए के लिए प्रस्ताव भेजा गया है।

फंड की कमी है डिमांड लगातार बढ़ रही है। शासन को 35 करोड़ का प्रस्ताव भेजा गया है। पैसा मिलते ही पेमेंट कर दिया जाएगा।

-मुकुल अग्रवाल, फाइनेंस ऑफिसर, केजीएमयू

शासन से फंड रिलीज करने के लिए रिक्वेस्ट की गई है। फिलहाल जो दवाएं उपलब्ध हैं उनसे इलाज किया जा रहा है।

-प्रो। एससी तिवारी, सीएमएस, केजीएमयू