LUCKNOW :

अमीर खुसरो हिंदुस्तान की अजीम शख्सियत थे। उन्होंने जज्बाती पोयट्री ही नहीं लिखी बल्कि उनका संगीत में भी अहम योगदान रहा। उनकी रचनाएं आज भी लोगों के जहन में हैं। खुसरो ने जिस रफ्तार से ख्यालातों को पेश किया, वह समाज का आईना है। उनके अलावा मुंशी नवल किशोर ने तमाम भाषाओं की किताबें लिखीं। उनकी किताबें ईरान में बदलाव का कारण भी बनी। ये बातें कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने खुर्शीद जहां सोसाइटी की ओर से हजरत अमीर खुसरो पर केंद्रित नेशनल सेमिनार के दौरान कही। सेमिनार का आयोजन कैसरबाग के जयशंकर प्रसाद सभागार में संडे को व‌र्ल्ड बुक डे के अवसर पर किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता उत्तराखंड योजना आयोग के मेंबर प्रो। तनवीर चिश्ती ने की।

खड़ी बोली के फाउंडर थे खुसरो

इस मौके पर मोहम्मद गुफरान नसीम ने कहा कि खुसरो की लेखन शैली अद्भुत थी। वह खड़ी बोली के फाउंडर थे, जबकि वह दौर फारसी का था। प्रो। खान मोहम्मद आतिफ ने कहा कि खुसरो ने जब आंख खोली तो हिंदू मुस्लिम एक साथ रहना सीख चुके थे। वह पहले इंसान थे, जिन्होंने हिंदुस्तान को जन्नत कहा।

खसरो की बातें आज भी ताजा

नवाब जाफर मीर अब्दुल्ला ने कहा कि खुसरो का बादशाहों से लेकर सूफियों तक से ताल्लुक रहा। पूर्व विधायक चंद्रशेखर त्रिवेदी ने कहा कि खुसरो की दीन दुनिया पर लिखी बातें आज भी ताजा हैं। प्रो। अजर्मी दुख्त साफ्वी ने बताया कि खुसरो का दौर हिंदवी का था, न कि हिंदी का। आज लोग उनकी रचनाओं की भी शिनाख्त नहीं कर पा रहे हैं। अशआर उनके हैं, लेकिन सही नहीं पढ़े जा रहे। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।

रचनाएं इंसानी तहजीब की मिसाल

प्रो। तनवीर ने कहा कि खुसरो की रचनाएं इंसानी तहजीब की मिसाल हैं। आने वाले वक्त में हिंदुस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में खुसरो की परम्परा का परचम लहराएगा।

मुद्दे से भटका सेमिनार

सेमिनार अमीर खुसरो पर था मगर बहराइच के पूर्व विधायक प्रो। खान मोहम्मद आतिफ ने कहा कि हुक्मरान हिंदु है, उनकी जिम्मेदारी है कि मुंशी और खुसरो को खिराजे अकीदत पेश करें। जिसपर सहमति जताते हुए पूर्व विधायक चंद्रशेखर त्रिवेदी ने कहा कि यह हिंदुओं की नहीं पूरे देश की सरकार है। जिसको ज्यादा वोट मिले उसकी सरकार बनी। यह सरकार सभी धमरें की है। उन्होंने कहा कि मोदी के शासनकाल का कोई एक फैसला बतायें जिससे समाज के किसी वर्ग को नुकसान पहुंचा हो। मामला बढ़ते देख प्रो। अजर्मी दुख्त साफ्वी ने सेमिनार को विषय से अलग ले जाने पर आपत्ति जताई।

सेमिनार में यह रहे शामिल

कार्यक्रम में पूर्व विधायक चंद्रशेखर त्रिवेदी, स्टेट इंफॉर्मेशन कमिश्नर हफीज उस्मानी, लखनऊ यूनिवर्सिटी के पर्सियन डिपार्टमेंट के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो। खान मोहम्मद आतिफ अलीगढ़ म़ुस्लिम यूनिवर्सिटी के पर्सियन डिपार्टमेंट की हेड प्रो। अजर्मी दुख्त सफ्वी समेत कई विद्वान मौजूद रहे।