LUCKNOW: पहले शराब की लत लगवाते, पैसे देकर अपना कर्जदार बनाते और फिर कर्ज चुकता करने के लिए किडनी का सौदा कर लेते। कुछ इसी तरह से चल रहा था किडनी के सौदागरों का धंधा। ये लोग पीजीआई के आसपास अपने शिकार की तलाश करते थे और मोहाली  ले जाकर किडनी का ट्रांसप्लांट करा देते। यह काम बड़े ही मैनेज्ड वे में किया जा रहा था।

छह लोगों को अपना शिकार बनाने के बाद जब इस गिरोह ने सातवें युवक को अपने चंगुल में फंसाया तो छह में से एक ने पुलिस की मुखबिरी कर दी और इस काले कारनामे का भंडाफोड़ हो गया।

संडे को आशियाना पुलिस ने इस गोरखधंधे में शामिल चार व्यक्तियों को अरेस्ट किया था। इसका खुलासा संडे को डीआईजी डीके ठाकुर ने किया था। मीडिया में खबरें आने के बाद मंगलवार को किडनी के सौदागरों के हाथ अपनी किडनी गंवा चुके पांच लोगों ने आशियाना पुलिस को पूरी घटना बताई।

पहले बनाते थे अपना कर्जदार

आशियाना पुलिस के पास पहुंचे राजाजीपुरम के पप्पू वाल्मीकि ने पुलिस को बताया कि सदर कैंट में रहने वाले विनोद दूबे से उसकी मुलाकात शराब के एक ठेके पर हुई। विनोद ने इससे दोस्ती कर ली और रोज शराब पिलाने लगा। रोज कमाकर खाने वाले इस युवक का काम भी विनोद ने छुड़वा दिया। घर का खर्च चलाने के लिए विनोद पप्पू को पैसा देता।

धीरे-धीरे विनोद ने पप्पू वाल्मीकि पर 15 हजार रुपये खर्च कर दिये। विनोद ने पप्पू से पैसा देने के लिए कहा तो पप्पू हाथ पैर जोडऩे लगा। पप्पू को अपने कब्जे में होता देख विनोद ने पप्पू की मुलाकात हरिशंकर मौर्या से करायी। हरिशंकर ने पप्पू से डेढ़ लाख रुपये में उसकी किडनी का सौदा कर लिया।

हरिशंकर ने बताया कि ऐसा करने से उसके सारे कर्ज भी उतर जाएंगे और उसे ज्यादा प्रॉब्लम भी नहीं होगी। इसके बाद पप्पू को मोहाली ले जाया गया और एक युवक का खुद को रिश्तेदार बताने के लिए कहा गया। आपरेशन से पहले डॉक्टरों ने पप्पू से पूछा भी कि वह किसी के दबाव में तो किडनी नहीं दे रहा है? पप्पू की सहमति से कुछ ही घंटों में उसकी एक किडनी निकाल ली गयी। पप्पू को डेढ़ लाख रुपये देने का वादा किया गया था, लेकिन उसे सिर्फ 35 हजार रुपये दिये गये।

डेढ़ लाख में किया सौदा

आलमबाग के रहने वाले अभिषेक मुखर्जी ने सब इंस्पेक्टर जीडी शुक्ला को बताया कि विनोद दूबे ने उसके साथ भी ऐसा ही किया और तीन महीने में लगभग 31 हजार रुपये का कर्जदार बना दिया। फिर सबकुछ वैसा ही हुआ जो पप्पू के साथ हुआ था। डेढ़ लाख रुपये में इसकी भी किडनी का सौदा किया गया था, लेकिन इसे भी सिर्फ 19 हजार रुपये दिये गये।

बाकी पैसे देने के लिए विनोद उसे टालता रहा। यही हाल कैंट के कल्लू और आलमबाग के अनिल कुमार के साथ भी हुआ। इन लोगों को किडनी के एवज में 20-20 हजार रुपये दिये गये।

सौदे के बाद भी नहीं दिए रुपए

आशियाना के रुचिखण्ड में रहने वाले राजेंद्र के साथ हरिशंकर ने किडनी के बदले तीन लाख रुपये का सौदा किया। किडनी देने के बाद उसे एक लाख चालीस हजार रुपये भी दिये। बाकी एक लाख साठ हजार रुपये उसके भी नहीं दिये गये।

जब यही तरीका दिनेश भट्टाचार्या के साथ अपनाया गया और दिनेश को मोहाली में किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए मोटिवेट भी कर दिया गया, लेकिन दिनेश के घर वालों ने उसकी गुमशुदगी की खबर पुलिस को दी। वहीं अपनी किडनी गंवा चुके एक व्यक्ति ने पुलिस के पास पहुंच कर पुलिस को पूरी कहानी बता दी और पुलिस ने अपना जाल बिछा कर चार युवकों को अरेस्ट कर लिया।

पुलिस को अब उस उस वकील की तलाश है जो फर्जी दस्तावेज के जरिये डिप्टी कमिश्नर का लेटर जारी कराता था। पुलिस ने विनोद दूबे की भी तलाश तेज कर दी है। सूत्रों की मानें तो मोहाली के शिवालिक हॉस्पिटल और सिल्वर हॉक्स हॉस्पिटल से भी जानकारी इकट्ठा की जा रही है।

Report By : Yasir Raza