-रेलवे प्रत्येक कोच में बना रहा भोजन रखने का इंतजाम

-सभी कोच से हटेगा एक टॉयलेट, इसकी जगह बनेगा किचन का रैक

VARANASI

अब आपको ट्रेन में हाइजेनिक फूड मिलेगा। प्रत्येक कोच में किचन होगा। जहां से संबंधित कोच में फूड आइटम की सप्लाई होगी। इसके लिए रेलवे ने कोचेज से एक टॉयलेट हटाने का डिसीजन लिया है। दरअसल, ट्रेन में खाने की प्लेट, कैरेट्स व फूड आइटम को रखने के लिए कहीं जगह नहीं होती है, और पैसेंजर्स को दिए जाने वाले खाने को टॉयलेट के दरवाजे के पास रखना पड़ता है। जिससे फूड के दूषित होने की आशंका बनी रहती है। इस वजह से यह डिसीजन लिया गया है। बता दें कि बनारस से क्भ्0 ट्रेंस का संचालन होता है।

रिपोर्ट के बाद लिया डिसीजन

पिछले दिनों कैग ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे के भोजन को अनहाइजेनिक पाया। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह भोजन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है। जिसके बाद रेलवे डिपार्टमेंट में हड़कंप मच गया है। रेलवे अपने पेसैंजर्स को हाइजेनिक भोजन कराने के लिए नया प्लान बनाया है। इसी क्रम में डिपार्टमेंट ने दुनिया के अन्य देशों में चलने वाली ट्रेंस में पैसेंजर्स को दिए जाने वाले फूड आइटम जैसा इंतजाम करने का निर्णय लिया। रेलवे की योजना के मुताबिक हर कोच से एक-एक टॉयलेट हटाकर वहां कैटरिंग व फूड आइटम से जुड़े सामान को रखने के लिए जगह बनायी जाएगी।

मिलेगा गरम भोजन

जिस कोच में पैसेंजर बैठकर जर्नी करेंगे उसी कोच में खाने पीने का आइटम मिलेगा, इससे अच्छा और क्या हो सकता है। कम से कम उन्हें मनपसंद फूड आइटम के लिए पेंट्रीकार का चक्कर तो नहीं लगाना होगा। जो चाहिए उन्हें संबंधित कोच में ही मिल जाएगा। यही नहीं खाना गरम और हाइजेनिक भी रहेगा। इससे सेहत के सुरक्षित रहने की पूरी संभावना है। यहां बेस किचन से आए भोजन को गरम करने का भी प्रबंध रहेगा। खास बात यह कि जिस ट्रेन में पेंट्रीकार नहीं होगा उसमें भी पैसेंजर्स को अब फूड आइटम मिल जाएगा।

भोपाल कोच फैक्ट्री करेगा निर्माण

इंडियन रेलवे ने पिछले क्फ् जून को मिशन रेट्रो फिटमेंट स्टार्ट किया है। इसके तहत रेलवे के पुराने आईसीएफ डिजाइन के कोचेज को मॉडर्न और सुरक्षित बनाया जा रहा है। रेलवे में फिलहाल इस तरह के करीब ब्0 हजार कोच मौजूद हैं। इन सभी को अगले पांच साल में नया डिजाइन दिया जाएगा। कोच में एक टॉयलेट को हटाकर किचन बनाने की जिम्मेदारी भोपाल स्थित कोच फैक्ट्री को सौंपा गया है। पहले क्00 कोच का ट्रायल के तौर पर निर्माण होगा।

एलएचबी में चार टॉयलेट

इंडियन रेलवे इधर बीच जर्मन डिजाइन से तैयार एलएचबी कोच का भी यूज कर रहा है। इस तरह के कोच में खास डिजाइन की वजह से इसमें खानपान की सामग्री रखने की जगह मौजूद होती है। इसलिए ऐसे कोचेज में चार टॉयलेट रहेंगे। जब पुराने सभी कोच कंडम हो जाएंगे तब रेलवे केवल एलएचबी डिजाइन के कोच ही अपने ट्रेन में जोड़ेगा। आगे भी इस तरह का ही कोच बनाने का फैसला किया गया है।

ट्रेन में पैसेंजर्स को जर्नी के दौरान हाइजेनिक फूड आइटम मिले इसको लेकर रेलवे सीरियस है। इसी कड़ी में ट्रेन के कोचेज में एक टॉयलेट को हटाकर छोटा किचन बनाने का प्लान किया गया है।

नीरज शर्मा, सीपीआरओ

नॉर्दन रेलवे, रेलवे बोर्ड

सन् क्970 में बढ़ी संख्या

रेलवे के रिजर्वेशन क्लास के कोचेज में कई दशक पहले दो टॉयलेट हुआ करते थे। फिर सन् क्970 के दशक में तत्कालीन यात्री सेवा समिति के सुझाव पर ट्रेंस के हर कोच में चार टॉयलेट बनाए गए थे। अब जब ट्रेंस में भीड़ पहले की अपेक्षा कई गुना बढ़ गयी है तब टॉयलेट कम करने का प्लान बनाया जा रहा है। इससे कहीं पैसेंजर्स को सुविधा मिलने की बजाए प्रॉब्लम न होने लगे।